18 जुलाई को करें नाग देवता और बांबी की पूजा, नाग मरुस्थल का क्या है महत्व, नाग पंचमी से कैसे है अलग

Webdunia
सोमवार, 18 जुलाई 2022 (11:50 IST)
Nag marusthale 2022: श्रावण माह की कृष्णपक्ष क पंचमी तिथि को मौना पंचमी और नाग मरुस्थले का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 18 जुलाई 2022 को यह पर्व मनाया जा रहा है। आओ जाने हैं नाग देवता और बांबी की पूजा और कैसे है यह नागपंचमी से अलग।
 
1. रेगिस्तानी नाग : मरुस्थलीय इलाके में नागपंचमी मनाए जाने को नाग मरुस्थले पंचमी कहते हैं। मरुस्थल का अर्थ रेगिस्तान होता है। 
 
2. मौना पंचमी : इस दिन को झारखंड और बिहार में मौना पंचमी कहते हैं। मौना पंचमी का व्रत खासकर बिहार में नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। व्रत रखकर पूरे दिन मौन रहते हैं। इसीलिए इसे मौना पंचमी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथी ही नागदेव की पूजा होती है। व्रत रखकर पूरे दिन मौन रहते हैं। मौन व्रत रखने से व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता का विकास होता है और शारीरिक ऊर्जा भी बचती है। 
 
3. दोनों पंचमी पर नाग देव पूजे जाते हैं : श्रावण माह की कृष्ण पंचमी के दिन यह पर्व बनाया जाता है जबकि श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है। श्रावण माह के कृष्‍णपक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों ही पंचमी पर नागदेव की पूजा की जाती है।
 
4. पंचमी के देवता नाग : पंचमी (पंचमी) के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है। यह लक्ष्मीप्रदा तिथि हैं।
 
5 देवघर : झारखंड के देवघर के शिव मंदिर में इस दिन शर्वनी मेला लगता है, मंदिरों में भगवान शिव और शेषनाग की पूजा की जाती है। मौना पंचमी के दिन इन दोनों देवताओं का पूजन करने से काल का भय खत्म हो जाता है और हर तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं।
 
6. न‍वविवाहिता : नवविवाहताओं के लिए यह दिन विशेष माना गया है जबकि वे 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं और कथा सुनती है। कथा श्रवण करने से सुहागन महिलाओं के जीवन में किसी तरह की बाधाएं नहीं आती हैं।
 
7. पत्ते : कई क्षेत्रों में इस दिन आम के बीज, नींबू तथा अनार के साथ नीम के पत्ते चबाते हैं। मान्यता अनुसार ऐसा करने से ये पत्ते शरीर से जहर हटाने में काफी हद तक मदद करते हैं।
8.शिव नाग पूजा :
- इस दिन भगवान शिव के साथी ही नागदेव की पूजा होती है।
- इस दिन शिवजी की दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पूजा की जाती है।
- इस दिन नाग की बांबी की पूजा की जाती है।
- इस दिन पंचामृत और जल से शिवाभिषेक का बहुत महत्व है। 
- इस पूजा से मन, बुद्धि तथा ज्ञान में बढ़ोतरी होती है और रह क्षेत्र में सफलता मिलती है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astro prediction: 4 जून 2024 को किस पार्टी का भाग्य चमकेगा, क्या बंद है EVM में

Tulsi : तुलसी के पास लगाएं ये तीन पौधे, जीवनभर घर में आएगा धन, मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

Bhaiyaji sarkar: 4 साल से सिर्फ नर्मदा के जल पर कैसे जिंदा है ये संत, एमपी सरकार करवा रही जांच

Astro prediction: 18 जून को होगी बड़ी घटना, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है भविष्यवाणी

Guru ketu gochar : गुरु और केतु के नवपंचम योग से 3 राशियों को मिलेगा बड़ा फायदा

27 मई 2024 : आपका जन्मदिन

27 मई 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Forecast 2024 : 27 मई से 2 जून 2024, जानें नया साप्ताहिक राशिफल (एक क्लिक पर)

Weekly Calendar: साप्ताहिक पंचांग कैलेंडर मुहूर्त, जानें 27 मई से 2 जून 2024

Aaj Ka Rashifal: आज का दिन क्या खास लाया है आपके लिए, पढ़ें 26 मई का दैनिक राशिफल

अगला लेख