4 अगस्त 2025 को सावन का आखिरी सोमवार, शुभ मुहूर्त, दुर्लभ योग में करें इस तरह से पूजा

WD Feature Desk
रविवार, 3 अगस्त 2025 (16:35 IST)
Forth Sawan Somwar Shubh Yog 2025: इस बार सावन माह में 4 ही सोमवार थे। सावन का चतुर्थ और अंतिम सोमवार 04 अगस्त 2025 को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, रवि, ब्रह्म और इंद्र जैसे शुभ योग बन रहे हैं। सावन के इस चौथे सोमवार की सभी को शुभकामनाएं। सर्वार्थ सिद्धि योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। ब्रह्म योग आध्यात्मिक कार्यों, ध्यान और पूजा-पाठ के लिए विशेष रूप से शुभ होता है। इंद्र योग शुभ कार्यों और सफलता के लिए उत्तम माना जाता है।

4 अगस्त 2025 को सावन का आखिरी सोमवार के शुभ मुहूर्त, दुर्लभ योग:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:20 से 05:02 के बीच।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:41 से 05:44 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:54 के बीच।
गोधूलि मुहूर्त: शाम को 07:10 से 07:31 के बीच। 
सायाह्न सन्ध्या: शाम 07:10 से 08:13 के बीच।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:44 से 09:12 के बीच।
रवि योग: पूरे दिन
 
शिवलिंग की इस तरह करें पूजा:
1. स्नान और शुद्धिकरण: सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर में पूजा स्थल का शुद्धिकरण करें। इसी के साथ पूजा की तैयारी करें। शिवजी, पार्वतीजी, गणेशजी आदि सहित पंच देवताओं को स्थान दें।
 
2. व्रत का संकल्प: इसके बाद शिवजी का ध्यान करते हुए पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें। आप चाहें तो फलाहर ले सकते हैं। 
 
3. पूजा सामग्री: इसके बाद शिव पूजा की संपूर्ण सामग्री एकत्रित करें। एक लोटा जल, पांचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा, गंजाजल, शुद्ध जल, दूध, शहद, दही, घी, आकड़े के फूल, रोली, चंदन, अक्षत, दीपक, धूपबत्ती, फल, गन्ना का रस, मिठाई और कपूर आदि।
 
4. शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग का अभिषेक कई तरह से करते हैं। सभी में सबसे पहले जलाभिषेक करें, फिर पंचामृत अभिषेक करें। आप चहें तो रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं। इसके बाद अंत में पुन: जलाभिषेक करने के बाद पूजा करें। 
 
5. शिवलिंग की पूजा: पूजा के दौरान सबसे पहले दीप प्रज्वलिंत करें, फिर शिवलिंग को चंदन लगाएं। इसके बाद फूल, बेलपत्र आदि सभी पूजा सामग्री बारी बारी से अर्पित करें। इस दौरान ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें या यदि यादि को तो प्रत्येक पूजा सामग्री अर्पित करने के साथ उसका मंत्र बोलते जाएं। अंत में भोग और प्रसाद अर्पित करें। 
 
6. आरती और प्रसाद: पूजा के बाद शिवजी की आरती करें। आरती के बाद कपूर आती करें और अंत में प्रसाद का वितरण करें। 
 
7. व्रत का समापन: शाम को जब भी व्रत का समापन करें तो उससे पहले शिवजी को भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें। इसके बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें।

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