श्रावण मास विशेष : शिव कृपा चाहे तो जल जरूर बचाएं

Webdunia

भगवान शिव ही स्वयं जल हैं

पुराणों में पानी के महत्व और उसके संरक्षण के बारे में स्पष्ट व्याख्या की गई है। शिव पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन की कथा से जु़ड़ा है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। 


 
FILE


विष की ऊष्णता को शांत करके शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व है।

शिव पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं-


अगले पेज पर पढ़ें जल मंत्र


संजीवनं समस्तस्य जगतः सलिलात्मकम्‌।

भव इत्युच्यते रूपं भवस्य परमात्मनः ॥



FILE


अर्थात्‌ जो जल समस्त जगत के प्राणियों में जीवन का संचार करता है वह जल स्वयं उस परमात्मा शिव का रूप है। इसीलिए जल का महत्व समझकर उसकी पूजा करना चाहिए, न कि उसका अपव्यय।

समाप्त

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

मंगला गौरी व्रत कब रखा जाएगा, क्या है माता की पूजा का शुभ मुहूर्त

भविष्य मालिका की भविष्यवाणी के अनुसार तीसरा विश्‍व युद्ध कब होगा, भारत में लगेगा मिलिट्री शासन?

सावन सोमवार से संबंधित आरती चालीसा सहित महत्वपूर्ण जानकारी

अमरनाथ यात्रा शुरू, बालटाल और नुनवान आधार शिविरों से पहला जत्था रवाना

कैलाश मानसरोवर भारत का हिस्सा क्यों नहीं है? जानिए कब और कैसे हुआ भारत से अलग?

सभी देखें

धर्म संसार

06 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

06 जुलाई 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

झूठ निकली 5 जुलाई को जापान में तबाही वाली मॉडर्न बाबा वेंगा की भविष्यवाणी, जानिए क्या सच आया सामने

शनि की मीन राशि में वक्री चाल, 12 राशियों का राशिफल

सुख और समृद्धि के लिए देवशयनी एकादशी के 5 प्रभावी उपाय