shravan month 2020 : शिव स्वयं जल हैं, इसलिए श्रावण मास में जल बहाएं नहीं,बचाएं

Webdunia
पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण माह में ही समुद्र मंथन किया गया था। मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला। भगवान शंकर ने इस विष को अपने कंठ में उतारकर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। इसलिए इस माह में शिव-उपासना से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
 
जल चढ़ाने का महत्व : भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष की ऊष्णता को शांत कर भगवान भोले को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल-अर्पण किया। इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व माना है।
 
शिव स्वयं जल हैं 
 
शिवपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं।
 
संजीवनं समस्तस्य जगतः सलिलात्मकम्‌।
भव इत्युच्यते रूपं भवस्य परमात्मनः ॥
 
अर्थात्‌ जो जल समस्त जगत्‌ के प्राणियों में जीवन का संचार करता है वह जल स्वयं उस परमात्मा शिव का रूप है। इसीलिए जल का अपव्यय नहीं वरन्‌ उसका महत्व समझकर उसकी पूजा करना चाहिए।
 
शिव पूजा में रुद्राक्ष का भी विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार भगवान रूद्र की आंखों से गिरे आंसू से रुद्राक्ष का जन्म हुआ इसलिए रुद्राक्ष भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

23 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की 20 खास बातें

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

अगला लेख