Shravan maas katha in hindi :श्रावण मास में हर दिन पढ़ें यह व्रत कथा

Webdunia
प्राचीन काल में एक धनी व्यक्ति था, जिसके पास सभी प्रकार की धन-दौलत एवं शौहरत थी, लेकिन दुर्भाग्य यह था कि उस व्यक्ति की कोई संतान न थी। इस बात का दुःख उसे हमेशा सताता था, लेकिन वह और उसकी पत्नी दोनों शिव भक्त थे। दोनों ही भगवान शिव की आराधना में सोमवार को व्रत रखने लगे।
 
उनकी सच्ची भक्ति को देखकर मां पार्वती ने शिव भगवान से उन दोनों दंपति की सूनी गोद को भरने का आग्रह किया। परिणाम स्वरूप शिव के आशीर्वाद से उनके घर में पुत्र ने जन्म लिया, लेकिन बालक के जन्म के साथ ही एक आकाशवाणी हुई, यह बालक अल्पायु का होगा। 12 साल की आयु में इस बालक की मृत्यु हो जाएगी। इस भविष्यकथन के साथ उस व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति की अधिक ख़ुशी न थी। उसने अपने बालक का नाम अमर रखा।
 
जैसे-जैसे अमर थोड़ा बड़ा हुआ, उस धनी व्यक्ति ने उसको शिक्षा के लिए काशी भेजना उचित समझा। उसने अपने साले को अमर के साथ काशी भेजने का निश्चय किया। अमर अपने मामा जी के साथ काशी की ओर चल दिए। रास्ते में उन्होंने जहां-जहां विश्राम किया वहां-वहां उन्होंने ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दी। चलते-चलते वे एक नगर में पहुंच गए। जहां पर एक राजकुमारी के विवाह का समारोह हो रहा था।
 
उस राजकुमारी का दूल्हा एक आंख से काना था, यह बात दूल्हे के परिवार वालों ने राज परिवार से छिपाकर रखी थी। उन्हें इस बात का डर था कि यह बात अगर राजा को पता चल गई तो यह शादी नहीं होगी। इसलिए दूल्हे के घर वालों ने अमर से झूठमूठ का दूल्हा बनने का आग्रह किया और वह उनके आग्रह को मना न कर सका।
 
इस प्रकार उस राजकुमारी के साथ अमर की शादी हो गई, लेकिन वह उस राजकुमारी को धोखे में नहीं रखना चाहता था। इसलिए उसने राजकुमारी की चुनरी में इस घटनाक्रम की पूरी सच्चाई लिख दी। राजकुमारी ने जब अमर के उस संदेश को पढ़ा, तब उसने अमर को ही अपना पति माना और काशी से वापस लौटने तक उसका इंतज़ार करने को कहा। अमर और उसके मामा वहां से काशी की ओर चल दिए।
 
समय का पहिया आगे बढ़ता रहा। उधर, अमर हमेशा धार्मिक कार्यों में लगा रहता था। जब अमर ठीक 12 साल का हुआ, तब वह शिव मंदिर में भोले बाबा को बेल पत्तियां चढ़ा रहा था। उसी समय वहां यमराज उसके प्राण लेने पधार गए, लेकिन इससे पहले भगवान शिव ने अमर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे दीर्घायु का वरदान दे दिया था। परिणाम स्वरूप यमराज को खाली हाथ लौटना पड़ा। बाद में अमर काशी से शिक्षा प्राप्त करके अपनी पत्नी (राजकुमारी) के साथ घर लौटा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख