25 जुलाई 2021 से श्रावण मास प्रारंभ हो चुका है। सावन माह में सोमवार, प्रदोष और चदुर्दशी का दिन शिव पूजा के लिए खास दिन होता है। जिस तरह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है उसी तरह प्रदोष का व्रत भगवान शिव को सपर्पित हैं। आओ जाने हैं कि सावन माह में कब कब रखा जाएगा प्रदोष का व्रत और इसके क्या हैं फायदे।
1. 5 अगस्त 2021 गुरुवार को कृष्ण प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसके बाद 20 अगस्त शुक्रवार को शुक्ल प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष का व्रत एकादशी के बाद एक दिन छोड़कर अर्थात तेरस को रखा जाता है।
2. पांच 5 अगस्त को गुरु प्रदोष है और 20 अगस्त को शुक्र प्रदोष है। हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है।
3. गुरु प्रदोष रखने से बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव देता है साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अक्सर यह प्रदोष शत्रु एवं खतरों के विनाश के लिए किया जाता है। यह हर तर की सफलता के लिए भी रखा जाता है।
4. शुक्र प्रदोष को भ्रुगुवारा प्रदोष भी कहा जाता है। जीवन में सौभाग्य की वृद्धि हेतु यह प्रदोष किया जाता है। सौभाग्य है तो धन और संपदा स्वत: ही मिल जाती है। इससे जीवन में हर कार्य में सफलता भी मिलती है।
5. प्रदोष का व्रत करने से कुंडली में स्थित चंद्र दोष समाप्त हो जाता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।
6. त्रयोदशी (तेरस) के देवता हैं त्रयोदशी और शिव। त्रयोदशी में कामदेव की पूजा करने से मनुष्य उत्तम भार्या प्राप्त करता है तथा उसकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह जयप्रदा अर्थात विजय देने वाली तिथि हैं।
व्रत कथा : पद्म पुराण की एक कथा के अनुसार चंद्रदेव जबअपनी 27 पत्नियों में से सिर्फ एक रोहिणी से ही सबसे ज्यादा प्यार करते थे और बाकी 26 को उपेक्षित रखते थे जिसके चलते उन्हें श्राप दे दिया था जिसके चलते उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। ऐसे में अन्य देवताओं की सलाह पर उन्होंने शिवजी की आराधना की और जहां आराधना की वहीं पर एक शिवलिंग स्थापित किया। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें न केवल दर्शन दिए बल्कि उनका कुष्ठ रोग भी ठीक कर दिया। चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इस स्थान का नाम 'सोमनाथ' हो गया।
व्रत नियम :
1. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है।
2. प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए। हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।
3. व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठें। नित्यकर्म से निपटने के बाद सफेद रंग के कपड़े पहने। पूजाघर को साफ और शुद्ध करें। गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें।
4. इस मंडप के नीचे 5 अलग अलग रंगों का प्रयोग कर के रंगोली बनाएं। फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव जी की पूजा करें। पूरे दिन किसी भी प्रकार का अन्य ग्रहण ना करें।