इस श्रावण में श्मशान है शिव का निवास, नहीं करें 16 सोमवार आरंभ

पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे
इस बार शिव हैं सिर्फ श्मशान में, नहीं होंगे 16 सोमवार व्रत, जानिए राज 
 
सुहागन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए व कुंआरी कन्याएं इछित वर प्राप्ति के लिए 16 सोमवार का व्रत करती हैं। 16 सोमवार का व्रत हमारी अलग-अलग मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए भी किया जाता है। यह भक्त की मंशा पर निर्भर करता है कि वे भगवान शिव से क्या चाहते हैं, जैसे सौभाग्य वृद्धि, धनलक्ष्मी वृद्धि, सम्मान वृद्धि, कुल वृद्धि आदि। पार्वती पति भोलेनाथ, भोलेशंकर, कालों के काल महाकाल को व्रत से मनाया जाता है। 
 
लेकिन जिस उद्देश्य से आप 16 सोमवार का व्रत करने जा रहे हैं, क्या वह पूर्ण होगा? इसके लिए श्रावण मास में भगवान शिव का निवास देखा जाता है। यानी भगवान शिव कहां विराजमान हैं? भगवान शिव के श्रावण मास में अलग-अलग निवास होते हैं। उसी के अनुसार व्रत का सुफल मिलता है। शिव के निवास हैं : श्मशान, सभा, पार्वतीजी के साथ अथवा नंदीजी पर सवारी... श्रावण मास में शिव का निवास देखने का ज्योतिष तरीका इस प्रकार है। 

ALSO READ: श्रावण में श्रीराम भी देते हैं वरदान, रोग नाश करेगा यह छोटा सा राम मंत्र
 
कैसे देखें शिव निवास? और उनके निवास का हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जानिए...
 
मंत्र से करें शिव वास विचार 
 
तिथिं च द्धिगुणीकृत्य पंचभिश्च समव्रितम।। 
सप्तभिस्तुहरेभ्दिग्मशेषं शिव वस् उच्चयते।। 
एके कैलाश वासंद्धितीये गौरिनिधौ।।
तृतीये वृषभारूढं चतुर्थे च सभास्थित।
पंचमेंभोजने चैव क्रीड़ायान्तुसात्मके शून्येश्मशानके चैव शिववास वास संचयोजयेत।। 
 
शिववास फलम
 
कैलाशे च भवेत्सुरुयंगौर्यायांतु शम्भु वदेत।। 
वृषभेयश्रिय: प्राप्ति: सभायां वद्ध्रतीकुलम।।
भोजनस्च्वे क्रीड़ा संतपकारक: श्मशानेतुभवेंमृत्यु: शिववास सफलं वदेत।। 
 
अर्थात ज्योतिष गणनानुसार तिथि को दुगनी करके उसमें 5 को छोड़ दें, फिर 7 के भाग से शेष जो अंक बचे उसके आधार पर शिव निवास ज्ञात करें। 1 आने पर जानिए कि भोलेनाथ कैलाश पर निवास कर रहे हैं, 2 में वे गौरी के साथ हैं, 3 में वृषभ पर विराजमान हैं, 4 में सभा में स्थित हैं, 5 में भोजन कर रहे हैं, 6 में क्रीड़ा में हैं, शून्य में श्मशान में निवास कर रहे हैं।

ALSO READ: आय बढ़ाना है तो जपें शिवलिंग पूजन का यह मंत्र...
अगर शिव जी कैलाश पर है और आप व्रत कर रहे हैं तो दु:ख की प्राप्ति होगी। गौरी के साथ हैं तो शुभ फल रहेगा। वृषभ पर विराजमान हैं तो लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। सभा में हैं तो कुल की वृद्धि होगी। भोजन कर रहे हैं या क्रीड़ा में हैं तो संताप होगा, श्मशान में हैं तो मृत्यु या मृत्यु के समान कष्ट हो सकता है। 
 
इस वर्ष प्रथम सोमवार से ही शिवजी श्मशान में निवास कर रहे हैं। तथा पांचों सोमवार शिवजी का निवास श्मशान में रहेगा। अत: इस समय 16 सोमवार का व्रत प्रारंभ करना ठीक नहीं रहेगा। 
 
दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार हिन्दू पंचांग में भाद्रपद कृष्ण की अमावस्या तक श्रावण रहेगा। अत: इस पक्ष में भी 2 सोमवार हैं जिसमें प्रथम सोमवार शिवजी भोजन व क्रीड़ा में रहेंगे अत: संतापकारक है। भाद्रपद का अंतिम सोमवार अमावस्या के दिन 21 अगस्त 2017 को आ रहा है। उस सोमवार को शिवजी वृषभ पर विराजमान रहेंगे अत: इस दिन से सोमवार प्रारंभ करना शुभ होगा। 

ALSO READ: 5 उपाय दिलाए शत्रु पीड़ा से शर्तिया मुक्ति
 
विशेष
 
आप 16 सोमवार का व्रत करना ही चाहते हैं तो महामृत्युंजय की माला करके प्रारंभ करें या शिवजी का गन्ने के रस द्वारा रुद्राभिषेक करके व्रत प्रारंभ करें। 

सावन सोमवार की पवित्र और पौराणिक कथा (देखें वीडियो) 
 
 

 
Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

18 मई 2024 : आपका जन्मदिन

18 मई 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Maa lakshmi beej mantra : मां लक्ष्मी का बीज मंत्र कौनसा है, कितनी बार जपना चाहिए?

Mahabharata: भगवान विष्णु के बाद श्रीकृष्‍ण ने भी धरा था मोहिनी का रूप इरावान की पत्नी बनने के लिए

अगला लेख