देवकी और यशोदा कौन थीं, जानिए संपूर्ण परिचय

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 26 जून 2020 (18:02 IST)
भगवान श्रीकृष्‍ण ने राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लिया था और गोकुल के ग्राम प्रमुख नंदराय की पत्नी यशोदा ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया था।

 
देवकी : देवकी मथुरा के राजा उग्रसेन की पुत्री और कंस की बहनी थीं, जिनका विवाह पास ही के राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव से विवाह हुआ था। वसुदेवकी पहली पत्नी रोहिणी थी। भगवान कृष्ण की माता देवकी ने वसुदेवजी के साथ अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष जेल में ही बिता दिए थे। कंस वध के पश्चात ही उनकी रिहाई हुई थी।
 
यशोदा : ब्रजमंडल में सुमुख नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से यशोदा का जन्म हुआ। उनका विवाह गोकुल के प्रसिद्ध व्यक्ति नंद से हुआ। कहते हैं कि यशोदा वैष्य समाज से थीं। 
 
यशोदा के यहां श्रीकृष्ण :  कृष्ण को जिस माता ने पाला उनका नाम था यशोदा। इतिहास में देवकी की कम लेकिन यशोदा की चर्चा ज्यादा होती है, क्योंकि उन्होंने ही कृष्ण को बेटा समझकर पाल-पोसकर बड़ा किया और एक आदर्श मां बनकर इतिहास में अजर-अमर हो गई।
 
कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव (कृष्ण के पिता) जन्म के बाद आधी रात में ही कृष्ण को यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया। महाभारत और भागवत पुराण में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखन चोरी और उनको यशोदा द्वारा ओखल से बांध देने की घटनाओं का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है। यशोदा ने बलराम के पालन-पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था।
 
भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, ऊखल बंधन, कालिया उद्धार, पूतना वध, गोचारण, धेनुक वध, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख दिया। इस प्रकार 11 वर्ष 6 महीने तक माता यशोदा के महल में कृष्ण की लीलाएं चलती रहीं। इसके बाद कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए अक्रूरजी आ गए। यह घटना यशोदा के लिए बहुत ही दुखद रही। यशोदा विक्षिप्त-सी हो गईं क्योंकि उनका पुत्र उन्हें छोड़कर जा रहा था।
 
दूसरे के पुत्र को अपने कलेजे के टुकड़े जैसा प्यार और दुलार देकर यशोदा ने एक आदर्श चरित्र का उदाहरण प्रस्तुत किया। यशोदा का जीवन सिर्फ इतना ही नहीं है। धार्मिक ग्रंथों में उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाएं और उनके पूर्व जन्म की कथाएं भी मिलती हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

shradh paksh 2025: गयाजी के आलावा इन जगहों पर भी होता है पिंडदान, जानिए कौन से हैं ये स्थान जहां होता है तर्पण

पूर्वजों को श्रद्धा सुमन अर्पण का महापर्व श्राद्ध पक्ष

September 2025 Weekly Horoscope: इस हफ्ते आपके सितारे क्या कहते हैं?

Chandra Grahan 2025: पितृपक्ष में पूर्णिमा के श्राद्ध पर चंद्र ग्रहण का साया, श्राद्ध कर्म करें या नहीं, करें तो कब करें?

Shradh paksh 2025: श्राद्ध के 15 दिनों में करें ये काम, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

सभी देखें

धर्म संसार

12 September Birthday: आपको 12 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 12 सितंबर, 2025: शुक्रवार का पंचांग और शुभ समय

Sharadiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में प्रारंभ हो गई है गरबा प्रैक्टिस, जानिए गरबा उत्सव के नियम

Shradha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष के बाद इन 96 दिनों में कर सकते हैं श्राद्ध कर्म

shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में सप्तमी तिथि का श्राद्ध कैसे करें, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

अगला लेख