Geeta Jayanti 2024: इस साल 2024 को गीता जयंती की 5161वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस बार यह गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 बुधवार को है। मान्यतानुसार इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है। पापों से छुटकारा मिलता है तथा मोक्ष मिलता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति आती है। इस दिन को मोक्षदा एकादशी इसीलिए कहते हैं। आओ जानते हैं गीता की 7 खास बातें।
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1. गीता है संपूर्ण धर्म ज्ञान का सार निचोड़: हिंदुओं के चार धर्मग्रंथ है- यथाक्रम ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। इन चारों ग्रंथों के तत्व ज्ञान को उपनिषद में समेटा गया है। उपनिषद मूल रूप से 108 है। इन्हीं उपनिषदों के संपूर्ण ज्ञान को श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को बताया था। अर्जुन को बताए ज्ञान को बाद में गीता कहा जाने लगा। गीता के चौथे अध्याय में कृष्णजी कहते हैं कि पूर्व काल में यह योग मैंने विवस्वान को बताया था। विवस्वान ने मनु से कहा। मनु ने इक्ष्वाकु को बताया। यूं पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परा से प्राप्त इस ज्ञान को राजर्षियों ने जाना पर कालान्तर में यह योग लुप्त हो गया। और अब उस पुराने योग को ही तुम्हें पुन: बता रहा हूं। परंपरा से यह ज्ञान सबसे पहले विवस्वान् (सूर्य) को मिला था। जिसके पुत्र वैवस्वत मनु थे।
2. श्रीकृष्ण का गीत होने कारण कहते हैं गीता : गीता शब्द का अर्थ है गीत और भगवद शब्द का अर्थ है भगवान। श्रीकृष्ण ने अपना उपदेश गायन के माध्यम से दिया था, इसलिए इसे गीता कहा जाता है। गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है। महाभारत में ही कुछ स्थानों पर उसका हरिगीता नाम से उल्लेख हुआ है।-(शान्ति पर्व अ. 346.10, अ. 348.8 व 53)।
3. गीता का परिचय : गीता को अर्जुन के अलावा संजय ने सुना और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया। गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। गीता के कुल 700 श्लोक 18 अध्याय में विभक्त हैं। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। 8 अध्याय में अध्याय विषाद योग में 46, सांख्य योग में 72, कर्म योग में 43, ज्ञान कर्म संन्यास योग में 42, कर्म संन्यास योग में 29, ध्यान योग अथवा आत्मसंयम योग में 47, ज्ञान विज्ञान योग में 30, अक्षर ब्रम्हयोग में 28, राजविद्या राजगुह्य योग में 34, विभूति विस्तार योग में 42, विश्वरूप दर्शन योग में 55, भक्ति योग में 20, क्षेत्र क्षेत्रजन विभाग योग में 35, गुणत्रय विभाग योग में 27, पुरुषोत्तम योग में 20, दैवासुर सम्पद विभाग योग में 24, श्रध्दात्रय विभाग योग में 28, मोक्ष संन्यास योग में 78 श्लोक है।
4. गीता कब, कहां और कैसे : आज से 5161 वर्ष पहले श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान अर्जुन को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में युद्ध के मैदान में रथ पर खड़े होकर दिया था। जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। उस दिन रविवार था। कहते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान दिन में लगभग 45 मिनट तक दिया था। कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। यह ज्ञान तब दिया गया जबकि अर्जुन ने भरे मैदान में यह कहकर युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया था कि मैं अपने ही बंधु बांधओं को राजपाट के लिए नहीं मार सकता। इस पर श्रीकृष्ण कहा कि अब युद्ध का मैदान छोड़कर जाने से इतिहास में तूझे कायर और पलायनकर्ता माना जाएगा। फिर भी अर्जुन नहीं माना तब श्रीकृष्ण को गीता का ज्ञान देने पड़े लेकिन तब भी अर्जुन नहीं माना तो श्रीकृष्ण ने कहा कि जिन्हें तू जिंदा समझ रहा है मैं उन्हें पहले ही मार चुका हूं। तू तो निमित्त मात्र है। इसके बाद श्रीकृष्ण अपना विराट स्वरूप प्रकट किया था। तब जाकर अर्जुन माना था।
5. गीता पर शोध ग्रंथ : गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिस पर दुनियाभर की भाषा में सबसे ज्यादा भाष्य, टीका, व्याख्या, टिप्पणी, निबंध, शोधग्रंथ आदि लिखे गए हैं। आदि शंकराचार्य, रामानुज, रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, निम्बार्क, भास्कर, वल्लभ, श्रीधर स्वामी, आनन्द गिरि, मधुसूदन सरस्वती, संत ज्ञानेश्वर, बालगंगाधर तिलक, परमहंस योगानंद, महात्मा गांधी, सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, महर्षि अरविन्द घोष, एनी बेसेन्ट, गुरुदत्त, विनोबा भावे, स्वामी चिन्मयानन्द, चैतन्य महाप्रभु, स्वामी नारायण, जयदयाल गोयन्दका, ओशो रजनीश, स्वामी क्रियानन्द, स्वामी रामसुखदास, श्रीराम शर्मा आचार्य आदि सैंकड़ों विद्वानों ने गीता पर भाष्य लिखे या प्रवचन दिए हैं। लेकिन कहते हैं कि ओशो रजनीश ने जो गीता पर प्रवचन दिए हैं वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रवचन हैं। गीता को बार-बार पढ़ेंगे तो आपके समक्ष इसके ज्ञान का रहस्य खुलता जाएगा। गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है।
6. क्या है गीता में : गीता में भक्ति, योग, ज्ञान और कर्म मार्ग की चर्चा की गई है। उसमें यम-नियम और धर्म-कर्म के बारे में भी बताया गया है। गीता ही कहती है कि ब्रह्म (ईश्वर) एक ही है। गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकासक्रम, हिन्दू संदेवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म, कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी, देवता, उपासना, प्रार्थना, यम, नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्वजन्म, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव, मोक्ष मार्ग आदि सभी की जानकारी है।
7. हिंदुओं का सर्वमान्य ग्रंथ : गीता प्रत्येक हिंदू का यह मुख्य धर्मग्रंथ है। प्रत्येक हिंदू को बार बार गीता पढ़ना चाहिए। बार बार पढ़ने से ही गीता का ज्ञान समझ में आने लगता है। इसे पढ़ते रहने से जीवन के सभी संकट स्वत: ही दूर हो जाते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता योगेश्वर श्रीकृष्ण की वाणी है। इसके प्रत्येक श्लोक में ज्ञानरूपी प्रकाश है, जिसके प्रस्फुटित होते ही अज्ञान का अंधकार नष्ट हो जाता है। ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।