गीता जयंती : श्रीमद्भागवत गीता का संपूर्ण परिचय

Webdunia
गुरुवार, 21 दिसंबर 2023 (11:07 IST)
Bhagwat geeta 2023: प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस साल गीता जयंती की 5160वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह 23 दिसंबर 2020 शनिवार को मनाई जाएगी। आओ जानते हैं गीता का संपूर्ण परिचय।
 
पुराण, महाभारत, रामायण या स्मृतियां नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के प्रमुख धर्मग्रंथ चार वेद हैं। वेदों का सार उपनिषद हैं, अर्थात वेदांत। उपनिषों का सार गीता है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने जो गीता का उपदेश दिया था वह वेदों पर ही आधारित है। महाभारत को पंचमवेद भी कहा गया है। आओ जानते हैं श्रीमद्भागवत गीता के बारे में सबकुछ।
 
उपनिषदों का सार है गीता : गीता की गणना उपनिषदों में की जाती है। इसी‍लिये इसे गीतोपनिषद् भी कहा जाता है। दरअसल, यह महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है। महाभारत में ही कुछ स्थानों पर उसका हरिगीता नाम से उल्लेख हुआ है। (शान्ति पर्व अ. 346.10, अ. 348.8 व 53)। वेदों का सार अर्थात संक्षिप्त रूप है उपनिषद्ध और उपनिषदों का सार है गीता। गीता सभी हिन्दू ग्रंथों का निचोड़ और सारतत्व है इसीलिए यह सर्वमान्य हिन्दू धर्मग्रंथ है। इसे वेद और उपनिषदों का पॉकेट संस्करण भी कह सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पुराण, स्मृतियां, महाभारत और रामायण हिन्दुओं के इतिहास और नीति ग्रंथ है धर्मग्रंथ नहीं।
 
कब हुए थे श्रीकृष्ण : 3112 ईसा पूर्व हुए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। कलियुग का आरंभ शक संवत से 3176 वर्ष पूर्व की चैत्र शुक्ल एकम (प्रतिपदा) को हुआ था। वर्तमान में 1939 शक संवत है। इस प्रकार कलियुग को आरंभ हुए 5115 वर्ष से अधिक हो गए हैं। 
 
कब हुआ था महाभारत का युद्ध : आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी तभी से कलियुग का आरंभ माना जाता है। उनकी मृत्यु एक बहेलिए का तीर लगने से हुई थी। तब उनकी तब उनकी उम्र 119 वर्ष थी। इसके मतलब की आर्यभट्ट की गणना अनुसार गीता का ज्ञान 5157 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। गीता केज् ज्ञान की इस वर्ष 5157वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
 
कहां प्रकट हुआ था गीता का ज्ञान : हरियाणा के कुरुक्षे‍त्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी। संभवत: उस दिन रविवार था। उन्होंने यह ज्ञान लगभग 45 मिनट तक दिया था। परंपरा से यह ज्ञान सबसे पहले विवस्वान् (सूर्य) को मिला था। जिसके पुत्र वैवस्वत मनु थे। 
 
क्यों दिया था ज्ञान : श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान अर्जुन को इसलिये दिया क्योंकि वह कर्त्तव्य पथ से भटकर संन्यासी और वैरागी जैसा आचरण करके युद्ध छोड़ने को आतुर हो गया था वह भी ऐसे समय जब की सेना मैदान में डटी थी। ऐसे में श्रीकृष्ण को उन्हें उनका कर्तव्य निभाने के लिए यह ज्ञान दिया।
गीता ज्ञान को ओर किस किस ने सुना : गीता को अर्जुन के अलावा और संजय ने सुना और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया। यह ज्ञान हनुमानजी सहित आकाश में स्थित ब्रह्मा, विष्णु, महेश और इंद्रादि अन्य देवताओं ने भी सुना था। 
 
गीता के श्लोक : गीता में श्रीकृष्ण ने- 574, अर्जुन ने- 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने- 1 श्लोक कहा है। महाभारत के 18 अध्यायों में से 1 भीष्म पर्व का हिस्सा है गीता। गीता में भी कुल 18 अध्याय हैं। 18 अध्यायों की कुल श्लोक संख्या 700 है। 
 
गीता में क्या है : गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म मार्ग की चर्चा की गई है। उसमें यम-नियम और धर्म-कर्म के बारे में भी बताया गया है। गीता ही कहती है कि ब्रह्म (ईश्वर) एक ही है। गीता को बार-बार पढ़ेंगे तो आपके समक्ष इसके ज्ञान का रहस्य खुलता जाएगा। गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है। गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकासक्रम, हिन्दू संदेवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म, कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी, देवता, उपासना, प्रार्थना, यम, नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्वजन्म, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि सभी की जानकारी है।
 
गीता से पहले गीता : गीता के चौथे अध्याय में कृष्णजी कहते हैं कि पूर्व काल में यह योग मैंने विवस्वान को बताया था। विवस्वान ने मनु से कहा। मनु ने इक्ष्वाकु को बताया। यूं पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परा से प्राप्त इस ज्ञान को राजर्षियों ने जाना पर कालान्तर में यह योग लुप्त हो गया। और अब उस पुराने योग को ही तुम्हें पुन: बता रहा हूं। परंपरा से यह ज्ञान सबसे पहले विवस्वान् (सूर्य) को मिला था। जिसके पुत्र वैवस्वत मनु थे। वैसे तो गीता श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ एक संवाद है, लेकिन कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के माध्यम से उस कालरूप परम परमेश्वर ने गीता का ज्ञान विश्व को दिया। श्रीकृष्ण उस समय योगारूढ़ थे।
 
गीता के 18 अध्याय : अर्जुन-विषाद, सांख्य-योग, कर्मयोग, ज्ञान कर्म संन्यास योग, कर्म संन्यास योग, आत्मसंयम योग, ज्ञानविज्ञान योग, अक्षरब्रह्मयोग, राजविद्याराजगुह्य योग, विभूति योग, विश्वरूपदर्शन योग, भक्ति योग, क्षेत्रक्षत्रज्ञविभाग, गुणत्रयविभाग, पुरुषोत्तम योग, दैवासुरसंपद्विभाग योग, श्रद्धात्रयविभाग योग और मोक्ष-संन्यास योग नाम से 18 अध्याय है।
 
गीता पर भाष्य : गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिस पर दुनियाभर की भाषा में सबसे ज्यादा भाष्य, टीका, व्याख्या, टिप्पणी, निबंध, शोधग्रंथ आदि लिखे गए हैं। आदि शंकराचार्य, रामानुज, रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, निम्बार्क, भास्कर, वल्लभ, श्रीधर स्वामी, आनन्द गिरि, मधुसूदन सरस्वती, संत ज्ञानेश्वर, बालगंगाधर तिलक, परमहंस योगानंद, महात्मा गांधी, सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, महर्षि अरविन्द घोष, एनी बेसेन्ट, गुरुदत्त, विनोबा भावे, स्वामी चिन्मयानन्द, चैतन्य महाप्रभु, स्वामी नारायण, जयदयाल गोयन्दका, ओशो रजनीश, स्वामी क्रियानन्द, स्वामी रामसुखदास, श्रीराम शर्मा आचार्य आदि सैंकड़ों विद्वानों ने गीता पर भाष्य लिखे या प्रवचन दिए हैं। लेकिन कहते हैं कि ओशो रजनीश ने जो गीता पर प्रवचन दिए हैं वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रवचन हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख