Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

श्रीकृष्णा के मामा कंस 11 दिन के लिए बनते हैं उड़ीसा के राजा, जानिए 10 रहस्य

हमें फॉलो करें श्रीकृष्णा के मामा कंस 11 दिन के लिए बनते हैं उड़ीसा के राजा, जानिए 10 रहस्य

अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 5 मई 2020 (18:40 IST)
श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीला का वर्णन मिलता है। मथुरा में उनके मामा कंस की कैद में उनका जन्म हुआ था। कंस अपने भांजे को इसलिए मारना चाहता था क्योंकि उसे आकाशवाणी से यह ज्ञात हुआ था कि उनकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। आओ जानते हैं कंस का संपूर्ण परिचय।
 
 
1. कंस के माता पिता : कंस शूरसेन जनपद के राजा अन्धक-वृष्णि संघ के गण मुख्य उग्रसेन- पद्मावती का पुत्र था। कंस के चाचा का नाम देवक था। अंधक, अहीर, भोज, स्तवत्ता, गौर आदि 106 कुलों को मिलाकर उस काल में यादव गणराज्य कहा जाता था। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थे। इनके नौ पुत्र और पांच पुत्रियां थी। कंस भाइयों में सबसे बड़ा था। उग्रसेन की अन्य पुत्रियां वसुदेव के छोटे भाइयों से ब्याही गई थीं। उग्रसेन की माता माता काशीराज की पुत्री काश्या थीं, जिनके देवक और उग्रसेन दो पुत्र थे।

 
उग्रसेन के 9 पुत्र थे, उनमें कंस ज्येष्ठ था। उनके नाम हैं- न्यग्रोध, सुनामा, कंक, शंकु अजभू, राष्ट्रपाल, युद्धमुष्टि और सुमुष्टिद। उनके कंसा, कंसवती, सतन्तू, राष्ट्रपाली और कंका नाम की 5 बहनें थीं। अपनी संतानों सहित उग्रसेनकुकुर-वंश में उत्पन्न हुए कहे जाते हैं और उन्होंने व्रजनाभ के शासन संभालने के पूर्व तक राज किया।

 
2. पूर्व जन्म में कालनेमि था कंस : कंस अपने पूर्व जन्म में 'कालनेमि' नामक असुर था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। कालनेमि विरोचन का पुत्र था। देवासुर संग्राम में कालनेमि ने भगवान हरि पर अपने सिंह पर बैठे ही बैठे बड़े वेग से त्रिशूल चलाया, पर हरि ने उस त्रिशूल को पकड़ लिया और उसी से उसको तथा उसके वाहन को मार डाला। अन्य कथा अनुसार युद्ध में उसने अनेक प्रकार की माया फैलाई और ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। वर तारकामय में हरि के चक्र में मारा गया। कालनेमि ने कंस के रूप में उग्रसेन के यहां जन्म लिया।

 
3. कंस का श्वसुर जरासंध : आर्यावर्त के तत्कालीन सर्वप्रतापी मगथ सम्राट जरासंध की पुत्री से कंस ने विवाह कर अपनी शक्ति को बढ़ा लिया था। जरासंध पौरव वंश का था और मगध के विशाल साम्राज्य का शासक था। कंस को जरासंध ने 'अस्ति' और 'प्राप्ति' नामक अपनी दो लड़कियां ब्याह दी थीं। इस प्रकार दोनों में घनिष्ठ संबंध बन गया था।

 
चेदि के यादव वंशी राजा शिशुपाल को भी जरासंध ने अपना गहरा मित्र बना लिया। यह शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण की बुआ का लड़का था और इसकी आस्था भी कंस के प्रति थी। कंस ने उत्तर-पश्चिम में कुरुराज दुर्योधन को भी अपना सहायक बना रखा था। जरासंध के कारण पूर्वोत्तर की ओर असम के राजा भगदन्त से भी उसने मित्रता जोड़ रखी थी।

 
4. कंस की चचेरी बहन देवकी और आकाशवाणी : कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था और शूरसेन के पुत्र वसुदेव का विवाह कंस की बहन देवकी से हुआ था। कंस अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत स्नेह रखता था, लेकिन विवाह के बाद वह देवकी को वसुदेव के साथ मथुरा छोड़ने जा रहा था। तभी रास्ते में आकाशवाणी सुनाई पड़ी- 'जिसे तू चाहता है, उस देवकी का आठवां बालक तुझे मार डालेगा।' इस भयंकर आकाशवाणी को सुनकर कंस भयभीत हो गया और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार निकाल ली। वसुदेव ने उसे जैसे-तैसे समझाकर शांत किया और वादा किया कि वे अपने सभी पुत्र उसे सौंप देंगे। तब कंस देवकी और वसुदेव को मथुरा में ही बंधक बना लेता है।

 
5. उग्रसेन को भी बंधक बनाया : जब कंस के पिता उग्रसेन को यह पता चलता है तो वह कंस पर बहुत क्रोधित होते हैं। तब कंस अपने श्वसुर जरासंध, मित्र भौमासुर और बाणासुर की मदद से अपने पिता उग्रसेन को राजपद से हटाकर जेल में डाल देता है और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन जाता है। शूरसेन जनपद के अंतर्गत ही मथुरा आता है। कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था। कंस ने मथुरा को भी अपने शासन के अधीन कर लिया था और वह प्रजा को अनेक प्रकार से पीड़ित करने लगा।

 
6. आठवां पुत्र : पहला पुत्र होने पर जब वसुदेव कंस के पास पहुंचे तो कंस ने कहा कि मुझे तो आठवां बेटा चाहिए। बाद में नारद ने बताया कि तुम्हें मारने के लिए देवकी के उदर से स्वयं भगवान विष्णु जन्म लेंगे तो कंस और भयभीत हो गया और उसने वसुदेव और देवकी को मल की कैद से हटाकर कारागार में डाल दिया और देवकी के आठवें पुत्र के जन्म का इंतजार करने लगा।

 
7. शेषनाग और अनंत : 7वें गर्भ में श्रीशेष (अनंत) ने प्रवेश किया था। भगवान विष्णु ने श्रीशेष को बचाने के लिए योगमाया से देवकी का गर्भ ब्रजनिवासिनी वसुदेव की पत्नी रोहिणी के उदर में रखवा दिया। तदनंतर 8वें बेटे की बारी में श्रीहरि ने स्वयं देवकी के उदर से पूर्णावतार लिया। कृष्ण के जन्म लेते ही माया के प्रभाव से सभी संतरी सो गए और जेल के दरवाजे अपने आप खुलते गए। वसुदेव मथुरा की जेल से शिशु कृष्ण को लेकर नंद के घर पहुंच गए।

 
जन्म के पश्चात् उनका पालन-पोषण नन्द बाबा और यशोदा माता के द्वारा हुआ। वसुदेव यादव के पिता का नाम 'राजा सूरसेन' था तथा बाबा नन्द यादव के पिता का नाम राजा पार्जन्य था। नन्द बाबा पार्जन्य के नौ पुत्रों में से तीसरे पुत्र थे। सूरसेन और पार्जन्य दोनों सगे भाई थे। सूरसेन जी और पार्जन्य जी के पिताजी का नाम था महाराज देवमीढ।

 
8. जब कंस को यह पता चला तो कोहराम मच गया : बाद में कंस को जब पता चला तो उसके मंत्रियों ने अपने प्रदेश के सभी नवजात शिशुओं को मारना प्रारंभ कर दिया। बाद में उसे कृष्ण के नंद के घर होने का पता चला तो उसने अनेक आसुरी प्रवृत्ति वाले लोगों से कृष्ण को मरवाना चाहा, पर सभी कृष्ण तथा बलराम के हाथों मारे गए। 

 
8. कंस वध : अंत में योजना अनुसार कंस ने एक समारोह के अवसर पर कृष्ण तथा बलराम को आमंत्रित किया। वह वहीं पर अपने हष्ट पुष्ट लोगों से श्रीकृष्ण को मारना चाहता था, किंतु कृष्ण ने चाणूर और मुष्ठिक जैसे लोगों का वध ही नहीं किया बल्कि उस समारोह में कंस को बालों से पकड़कर उसकी गद्दी से खींचकर उसे भूमि पर पटक दिया और इसके बाद उसका वध कर दिया। कंस को मारने के बाद देवकी तथा वसुदेव को मुक्त किया गया और उन्होंने माता-पिता के चरणों में वंदना की।

 
9. उग्रसेना बने पुन: राजा : कंस का वध करने के पश्चात कृष्ण और बलदेव ने कंस के पिता उग्रसेन को पुन: राजा बना दिया। 

 
10 . कंस महोत्सव : भारत में ऐसे कई गांव है जहां पर कंस की पूजा होती है। लखनऊ से हरदोई जाते वक्त मार्ग में कंस की एक प्रतिमा मिलती है। इसके आसपास के स्‍थानों में कंस की पूजा करने का प्रचलन है। उड़ीसा में 'कंस महोत्सव' होता है। यहां धनु यात्रा निकलती है। कंस का दरबार सजता है और 11 दिन के लिए कंस उड़ीसा का राजा होता है। कंस बने इस पात्र की इतनी चलती है कि यह राज्य के मुख्यमंत्री को भी इन 11 दिनों में तलब कर सकता है। कहते हैं कि कंस के राज्य में जनता प्रताड़ित जरूर थी लेकिन सभी अनुशासन में रहती थी और उन्हें सभी तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

6 मई 2020 : आपका जन्मदिन