Shri Krishna 19 June Episode 48 : सांदीपनि ऋषि सुनाते हैं श्रीकृष्‍ण को रामकथा

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 19 जून 2020 (22:07 IST)
निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर के श्रीकृष्णा धारावाहिक के 19 जून के 48वें एपिसोड ( Shree Krishna Episode 48 ) में फिर सांदीपनि ऋषि सीता के स्वयंवर में परशुरामजी के आगमन और उनके द्वारा श्रीराम को विष्णु का धनुष देने की घटना को सुनाते हैं और बताते हैं कि परशुरामजी को श्रीराम में विष्णु के दर्शन हुए तो वे समझ गए कि मेरा अवतार काल समाप्त हुआ और वे उसी क्षण तपस्या के लिए चले गए। फिर सांदीपनि ऋषि भगवान श्रीराम के जन्म, बचपन और उनके गुरुकुल जाने तक की कथा सुनाते हैं।
 
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गुरुकुल में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को गुरु वशिष्ठ तत्व ज्ञान की शिक्षा देते हैं। शिक्षा पूर्ण करने के बाद चारों भाई अयोध्या लौट आते हैं।
 
फिर सांदीपनि ऋषि बताते हैं कि उन्हीं दिनों महान ऋषि विश्वामित्र एक महान यज्ञ कर रहे थे। वहां सुबाहु और मारीच  नाम के दो राक्षस उनके यज्ञ कार्य में हर बार विघ्न डालते हैं। तब ब्रह्मर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास जाकर उनसे राम को मांगते हैं यज्ञ की रक्षा के लिए। वशिष्ठ की अनुशंसा पर दशरथ अपने पुत्र राम और लक्ष्मण को उन्हें सौंप देते हैं। फिर राम और लक्ष्मण उनके आश्रम में जाने के मार्ग पर पहले ताड़का का वध कर देते हैं। फिर राम को विश्वामित्र अपनी शक्तियों से दिव्यास्त्र देते हैं। बाद में सुबाहु और मारीच का वध कर देते हैं।
 
फिर सांदीपनि ऋषि बताते हैं कि फिर विश्‍वामित्र राम और लक्ष्मण को सीता के स्वयंवर में ले जाते हैं जहां राम शिव धनुष को तोड़कर सीता के साथ विवाह करते हैं। उनके साथ उनके तीनों भाइयों का भी विवाह होता है। फिर श्रीराम का अयोध्या आगमन पर भव्य स्वागत होता है।
 
आगे सांदीपनि ऋषि बताते हैं कि राजा दशरथ राज्य में राम के राज्याभिषेक की घोषणा करवा देते हैं। यह सुनकर महारानी कैकेयी की एक कुटिल दासी मंथरा जाकर कैकयी के कानों में विष घोल देती हैं जिसके चलते कैकेयी कोपभवन में जाकर बैठ जाती हैं।
 
वहां राजा दशरथ आते हैं तो वह उनको देवासुर संग्राम में उनका साथ देने के एवज में वह बताती है कि आपने मुझे कई भी दो वर मांगने का कहा था। राजा दशरथ कहते हैं बस इतनी सी बात है तो मांग लो कोई भी दो वर। तब कैकेयी राजा दशरत से अपने दो वरों में पहला भरत को अयोध्या का राज बनाना और दूसरा राम को 14 बरस का वनवास मांग लेती हैं। जय श्रीकृष्ण। 
 
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