Yashoda Maiya : माता यशोदा के बारे में 5 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
भगवान श्रीकृष्‍ण ने राजा शूरसेन के पुत्र श्रीवसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से कंस की मथुरा के कारागार में भाद्रपद अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे के करीब जन्म लिया था। जन्म लेते ही उनके पिता वसुदेवजी उन्हें मथुरा की यमुना के पार गोकुल ग्राम के प्रमुख नंदराय की पत्नी यशोदा के पालने में छोड़ आए थे। माता यशोदा ने उन्हें अपना पुत्र समझकर ही पाल-पोसकर बड़ा किया था। आओ जानते हैं मैया यशोदा के बारे में 5 खास बातें।
 
 
1. माता यशोदा के माता पिता : ब्रजमंडल में सुमुख नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से यशोदा का जन्म हुआ। उनका विवाह गोकुल के प्रसिद्ध व्यक्ति नंद से हुआ। कहते हैं कि यशोदा वैष्य समाज से थीं।

 
2. श्रीबलराम को भी पाला था मां यशोदा ने : यशोदा ने बलराम के पालन-पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे। दूसरे के पुत्र को अपने कलेजे के टुकड़े जैसा प्यार और दुलार देकर यशोदा ने एक आदर्श चरित्र का उदाहरण प्रस्तुत किया। यशोदा का जीवन सिर्फ इतना ही नहीं है। धार्मिक ग्रंथों में उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाएं और उनके पूर्व जन्म की कथाएं भी मिलती हैं। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा या एकानंशा था।
 
3. विंध्यावासिदी देवी है यशोदा मैया की पुत्री : वसुदेवजी बालकृष्ण को लेकर कारागार से निकलकर यमुना पार कर गोकुल पहुंचे और उन्होंने उसी रात को बालकृष्ण को यशोदा मैया के पास सुला दिया और वे उनकी पुत्री को उठाकर ले आए। गर्गपुराण के अनुसार भगवान कृष्ण की मां देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही बदलकर कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे बलराम का जन्म हुआ। बाद में योगमाया ने यशोदा के गर्भ से जन्म लिया था। भगवान विष्णु की आज्ञा से माता योगमाया ने ही यशोदा मैया के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था। इसका बाद में नाम एकानंशा रखा गया था। इनके जन्म के समय यशोदा गहरी निद्रा में थीं और उन्होंने इस बालिका को देखा नहीं था। जब आंख खुली तो उन्होंने अपने पास पुत्र को पाया जो कि कृष्ण थे। यही योगमाया आगे चलकर विंध्यवासिनी देवी के रूप में विख्यात हुई। श्रीमद्भागवत में उन्हें ही नंदजा देवी कहा गया है इसीलिए उनका अन्य नाम कृष्णानुजा है।
 
4. श्रीराधा का विवाह हुआ था यशोदा मैया के भाई से : प्रचलित मान्यता अनुसार एक दिन श्रीकृष्ण ने माता यशोदा से कहा कि माता मैं राधा से विवाह करना चहता हूं। यह सुनकर यशोदा मैया ने कहा कि राधा तुम्हारे लिए ठीक लड़की नहीं है। पहला तो यह कि वह तुमसे पांच साल बड़ी है और दूसरा यह कि उसकी मंगनी (यशोदा के भाई रायाण) पहले से ही किसी ओर से हो चुकी है और वह कंस की सेना में है जो अभी युद्ध लड़ने गया है। जब आएगा तो राधा का उससे विवाह हो जाएगा। इसलिए उससे तुम्हारा विवाह नहीं हो सकता। हम तुम्हारे लिए दूसरी दुल्हन ढूंढेंगे। लेकिन कृष्ण जिद करने लगे थे।
 
5. श्रीकृष्ण जब छोड़ गए यशोदा मैया को : इतिहास में देवकी और रोहिणी की कम लेकिन यशोदा की चर्चा ज्यादा होती है, क्योंकि उन्होंने ही कृष्ण को बेटा समझकर पाल-पोसकर बड़ा किया और एक आदर्श मां बनकर इतिहास में अजर-अमर हो गई। महाभारत और भागवत पुराण में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखन चोरी और उनको यशोदा द्वारा ओखल से बांध देने की घटनाओं का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है। 
 
भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, ऊखल बंधन, कालिया उद्धार, पूतना वध, गोचारण, धेनुक वध, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख दिया। इस प्रकार 11 वर्ष 6 महीने तक माता यशोदा के महल में कृष्ण की लीलाएं चलती रहीं। इसके बाद कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए अक्रूरजी आ गए। यह घटना यशोदा के लिए बहुत ही दुखद रही। यशोदा विक्षिप्त-सी हो गईं क्योंकि उनका पुत्र उन्हें छोड़कर जा रहा था।

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