गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस, बलिदान की गाथा

WD Feature Desk
रविवार, 9 जून 2024 (16:11 IST)
Guru Arjan Dev ji : आज गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस है। वे सिख धर्म के 5वें गुरु है। मान्यतानुसार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 15 अप्रैल 1563 को अमृतसर में हुआ था। तथा तिथि के अनुसार अर्जुन देव जी का जन्म वैशाख वदी सप्तमी के अनुसार हुआ था। उनका शहीदी दिवस ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार 10 जून को उनका शहीदी दिवस मनाया जाएगा।
 
जन्म : उनका जन्म सिख धर्म के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी तथा माता भानी जी के घर जन्म गोइंदवाल (अमृतसर) में हुआ था।
 
सिख धर्मगुरु : गुरु अर्जुन/ अर्जन देव सिख धर्म के 5वें गुरु माने गए हैं। उनमें धार्मिक एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण, सहृदयता, कर्तव्यनिष्ठता और निर्मल प्रवृत्ति होने  कारण ही गुरु रामदास जी ने उन्हें 5वें गुरु के रूप में गुरु गद्दी पर सुशोभित किया। 
ALSO READ: Maharana pratap jayanti 2024: महाराणा प्रताप के बारे में 5 अनसुनी बातें
उल्लेखनीय कार्य : उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब का संपादन किया तथा उनके स्वयं की उच्चारित 30 रागों में 2,218 शबदों श्री गुरुग्रंथ साहिब में दर्ज किया है। गुरु अर्जुन देव ने सभी गुरुओं की बानी और अन्य धर्मों के संतों के भजनों को संकलित कर एक ग्रंथ बनाया, जिसका नाम 'ग्रंथसाहिब' रख कर उसे हरमंदिर में स्थापित करवाया।उन्होंने देश सेवा के साथ ही गरीबों की खूब सेवा की है।
 
शहीदी : वे संत शिरोमणि, सर्वधर्म समभाव के प्रखर पैरोकार तथा मानवीय आदर्शों को कायम रखने के लिए आत्म बलिदान करने वाले एक महान आत्मा थे। 'तेरा कीआ मीठा लागे/ हरि नाम पदारथ नानक मागे' शबद का उच्चारण करते हुए गुरु अर्जुन देव जी ने सन्‌ 1606 मेंअमर शहीदी प्राप्त की। 
ALSO READ: महाराजा छत्रसाल कौन थे?
बलिदान की गाथा: अकबर की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का बादशाह जहांगीर बना और साम्राज्य मिलते ही गुरु अर्जुन देव के विरोधी जहांगीर को उनके खिलाफ भड़काने लगे। उसी दौरान जहांगीर के खिलाफ उसके पुत्र शहजादा खुसरो ने बगावत कर दी, तब गुस्से में जहांगीर अपने बेटे के पीछे पड़ा तो खुसरो भागकर पंजाब भाग गया और तरनतारन गुरु साहिब के पास जा पहुंचा। तब गुरु अर्जुन देव जी ने ही उसे अपने यहां पनाह देकर उसका स्वागत किया।
 
जब इस बात की जानकारी जहांगीर को लगी तो वह गुरु अर्जुन देव पर क्रोधित हो गया और उसने गुरु अर्जुन देव को गिरफ्तार करके लाने का आदेश दिया। उधर गुरु अर्जुन देव जी बाल हरि गोबिंद साहिब को गुरुगद्दी सौंपकर स्वयं लाहौर पहुंच गए, तो उन पर मुगल बादशाह से बगावत करने का आरोप लगा और उन्हें यातनाएं देकर मारने का आदेश दिया। फिर उन्हें पांच दिनों तक तरह-तरह की यातनाएं दी गईं, लेकिन उन्होंने सबकुछ शां‍ति से सहन किया। 
ALSO READ: छत्रपति शिवाजी महाराज की 10 अनसुनी बातें
फिर गुस्साएं जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को सन् 1606 में भीषण गर्मी में गर्म तवे पर बिठाकर तथा उनके ऊपर गर्म तेल और गरम-गरम रेत डालकर उन्हें यातना दी गई। और वे इस यातना से मूर्छित हो गए, तो उन्हें रावी की धारा में बहा दिया गया।
 
अपने पवित्र वचनों से दुनिया को उपदेश देने वाले गुरु अर्जुन देव जी का मात्र 43 वर्ष का जीवन काल अत्यंत प्रेरणादायी रहा। इस तरह उसी स्थान पर गुरु अर्जुन सिंह जी ज्योति-ज्योत में समा गए। वर्तमान समय में लाहौर में रावी नदी के किनारे पर उस स्थान पर गुरुद्वारा डेरा साहिब का निर्माण किया गया, जो कि अब पाकिस्तान में हैं। तभी से सिख समुदाय द्वारा 16 जून को उनका शहीदी दिवस मनाया जाता है
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पर्स में रखें ये 5 चीजें, कभी नहीं होगी धन की कमी बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

चैत्र नवरात्रि पर IRCTC का वैष्‍णोदेवी स्पेशल टूर पैकेज, जानिए कम खर्च में कैसे जा सकते हैं माता रानी के दरबार में

चैत्र नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि कब रहेगी, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त?

बुध ग्रह मीन राशि में अस्त, 3 राशियां रहेंगी मस्त

बुध हुए मीन राशि पर अस्त, जानें 5 राशियों पर क्या होगा असर

सभी देखें

धर्म संसार

21 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

21 मार्च 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

jhulelal jayanti 2025: भगवान झूलेलाल की कहानी

चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना क्यों करते हैं?

जानिए कब शुरू को रही है केदारनाथ समेत चारधाम की यात्रा

अगला लेख