सिंहस्थ और दान : शय्यादान का महत्व

Webdunia
सिंहस्थ में शय्यादान का बहुत महत्व है। यह दान हजारों वर्ष से चलन में है तीर्थस्थल के पुरोहित जिन चौरासी दान की चर्चा करते हैं, वे कमोबेश इसी शय्यादान के अंग है।


इसमें आमतौर पर गृहस्थी में काम आने वाली चीजों का दान किया जाता है। इस सूची में ज्यादातर ऐसी चीजें रखी गई हैं, जिनका इस्तेमाल तीर्थ पुरोहित कर सकते हैं। 
 
सिंहस्थ में शय्यादान आमतौर पर दो तरह से किए जाते हैं। मृत्यु के बाद श्राद्ध कर्म के दौरान किया जाने वाला शय्यादान केवल महापात्र लेते हैं। इसे प्रयाग के तीर्थ पुरोहित स्वीकार नहीं करते। कल्पवास की अवधि पूरी होने पर श्रद्धालु तीर्थ यात्री जो शय्यादान करते हैं, उसे तीर्थ पुरोहित स्वीकार करते हैं। यह दान श्रद्धालु इसलिए करते हैं कि परलोक में उन्हें सुख मिले। इस लोक में कल्याण और परलोक में सद्गति के लिए यह दान किया जाता है।

हाथी, घोड़ा, पालकी, गाय, मोटर-कार, जैसे वाहन तीर्थ पुरोहितों को माघ मेले या कुंभ योग के समय मिलते हैं। उन्हें जमीन और भवन भी दान में मिलता है। इन दानों का अपना इतिहास है।
 
दरअसल, सिंहस्थ के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है। आस्था का यह प्रवाह सनातन काल से चल रहा है। इसकी गति मन्द भले ही पड़ जाए, लेकिन यह धारा कभी सूख नहीं सकती। इस 'दान धारा' के साथ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं।


 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

हरतालिका तीज का इतना महत्व क्यों है, जानिए क्यों माना जाता है सभी तीजों में विशेष व्रत

गणेश चतुर्थी 2025: बाजार से गजानन की मूर्ति खरीदने से पहले जानिए कैसी होनी चाहिए प्रतिमा

जैन धर्म में त्रिलोक तीज या रोटतीज पर्व कैसे और क्यों मनाते हैं?

2025 में ओणम कब है, जानें शुभ मुहूर्त, कथा, महत्व और इतिहास

कब से होंगे गणेश उत्सव प्रारंभ, क्या है गणपति स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त, मंगल प्रवेश

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 24 अगस्त का दैनिक राशिफल, सितारे आपके साथ हैं, खुद पर भरोसा रखें, यही है आज की सीख

24 अगस्त 2025 : आपका जन्मदिन

24 अगस्त 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

रविवार को करें ये 5 आसान उपाय, सूर्य देवता देंगे सफलता और मान-सम्मान, दूर होंगी सभी परेशानियां

सोमवार की शाम करें यह एक काम, भोले बाबा चमका देंगे आपकी किस्मत