धर्मरक्षार्थ हजारों लोग बनेंगे 'खूनी नागा'

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उज्जैन। इस महाकुंभ मे 7 शैव और 3 वैष्णव अखाड़ों द्वारा उनके हजारों साधुओं को नागा बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। इन नागाओं को 'खूनी नागा' के नाम से जाना जाएगा। दरअसल, सबसे पहले जब कोई नागा बनता हैं तो उसे खूनी नागा के नाम से संबोधित किया जाता हैं।
अखाड़ों के नियमानुसार जब भी किसी को नागा साधु बनाया जाता है तो उन्हें सिर्फ हरिद्वार और उज्जैन में होने वाले कुंभ में ही नागा साधु की दीक्षा दी जाती हैं। जब हरिद्वार के कुंभ में किसी को नागा साधु की दीक्षा दी जाती है तो उन नागा साधु को बर्फानी नागा ने नाम से संबोधित किया जाता हैं और जब यही प्रक्रिया उज्जैन के कुंभ में संपन्न होती हैं तब उन्हें खूनी नागा के नाम से जाना जाता है, जिसका तात्पर्य ये है की ऐसे नागा साधु जो धर्म की रक्षा के लिए अपने खून को बहाने में कभी भी पीछे नहीं हटेंगे। ऐसे नागा साधु को एक सैनिक की तरह तैयार किया जाता हैं।
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