आंसुओं, मस्ती और हिंसा में डूब गया अर्जेंटीना

Webdunia
सोमवार, 14 जुलाई 2014 (11:23 IST)
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ब्यूनस आयर्स। विश्व कप खिताब का सपना टूटने के बाद अर्जेंटीना में कुछ लोगों के आंसू नहीं थम रहे थे तो कुछ ने इसके बावजूद मस्ती की जिसने आखिर में हिंसा का रूप ले लिया और पुलिस को सड़कों पर चल रही इन पार्टियों को रोकना पड़ा।

हजारों लोग ब्यूनस आयर्स के ओबेलिस्क में जमा थे, जहां यह देश पारंपरिक तौर पर जश्न मनाता है और रैलियां करता है। लोग ध्वज लहरा रहे थे, आतिशबाजी कर रहे थे और राष्ट्रीय नायक लियानेल मेस्सी के गुणगान किए जा रहे थे।

अतिरिक्त समय में किए गए गोल से जर्मनी की जीत के बाद कई लोग अपने आंसू नहीं थाम पाए लेकिन युवा अर्जेंटीनी फिर भी ट्रैफिक लाइट्स पर चढ़ गए। वे सड़कों और बस स्टॉप पर नाच-गा रहे थे। इस पार्टी के कुछ घंटे बाद ही अर्जेंटीना के कुछ धुर प्रशंसकों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया। इसके जवाब में पुलिस ने रबर की गोलियां, आंसू गैस और पानी की बौछारें छोड़ी।

इस झड़प के कारण बच्चों के साथ आए परिवारों को रेस्टॉरेंट या होटलों में शरण लेनी पड़ी। आंसू गैस छोड़े जाने के बाद अधिकतर लोग भाग गए लेकिन कुछ दर्जन प्रशंसक फिर भी बचे रहे। उन्होंने तोड़फोड़ और आगजनी करके पुलिस को उकसाया।

टीवी में दिखाया गया कि इस बीच लुटेरों ने एक रेस्टॉरेंट से टेबल और कुर्सियों सहित कई चीजें चुराई। पुलिस देखती रही जिसके लिए उसकी आलोचना भी हुई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए और 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

इस हिंसा को छोड़ दिया जाए तो अर्जेंटीना के अधिकतर हिस्सों में लोग हार से दुखी थे लेकिन उन्हें फिर अपनी टीम पर गर्व था।

टीम के धुर प्रशंसक 27 वर्षीय लियांड्रो पेरेडेस ने कहा क‍ि यह अब भी अच्छा विश्व कप था। जर्मनी के खिलाफ फाइनल खेलना बुरा नहीं था। मुझे टीम पर गर्व है। हम बदला (1990 के फाइनल में मिली हार का) नहीं चुका पाए लेकिन मैंने फाइनल में 11 योद्धाओं को मैदान पर देखा।

20 वर्षीय मार्टिन रामिरेज का तब जन्म भी नहीं हुआ था, जब डिएगो मेराडोना की अगुवाई में अर्जेंटीना ने 1986 में आखिरी बार विश्व कप जीता था। उन्होंने कहा क‍ि रविवार का फाइनल काफी कड़ा था। मुझे लग रहा था कि मैं पहली बार अर्जेंटीना को विश्व कप चैंपियन बनते हुए देखूंगा।

आखिरी सीटी बजते ही ब्यूनस आयर्स प्लाजा सैन मार्टिन पर बड़ी स्क्रीन पर मैच देख रहे 50,000 लोगों ने मेसी और टीम के समर्थन में नारे लगाए।

उनके लिए सांत्वना की बात यह थी कि उसका चिर प्रतिद्वंद्वी और मेजबान ब्राजील चौथे स्थान पर रहा। वे गा रहे थे क‍ि 'ब्राजील, जरा हमें बताओ कि अपने घर में हमें देखकर कैसा लग रहा है।'

कुछ और थे जिनके मुंह से बोल निकल रहे थे क‍ि मैं अर्जेंटीनी हूं। आगे बढ़ो अर्जेंटीना। हर दिन मेरा तुम्हारे प्रति प्यार बढ़ जाता है। (भाषा)

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