गोल्ड कोस्ट। पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता एमसी मैरीकॉम (48 किलो) राष्ट्रमंडल खेलों में महिला मुक्केबाजी में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय बनीं, जबकि गौरव सोलंकी (52 किलो) और विकास कृष्ण (75 किलो) ने भी पीला तमगा अपने नाम किया।
हालांकि अमित पंघाल (49 किलो), मनीष कौशिक (60 किलो) और सतीश कुमार (91 किलो से अधिक) को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। भारत इस बार राष्ट्रमंडल खेलों से मुक्केबाजी के नौ पदक लेकर लौटेगा, जो इससे पहले 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के उसके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से दो पदक ज्यादा है।
इससे पहले मोहम्मद हुसामुद्दीन (56 किलो), नमन तलवार (91 किलो) और मनोज कुमार (69) को सेमीफाइनल मुकाबलों में हारकर कांस्य पदकों से संतोष करना पड़ा था। भारत के हाई परफॉर्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने कहा, यह पदकों के लिहाज से भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है, आखिर मुझे खुशी कैसे नहीं होगी। इस प्रदर्शन से मानदंड काफी ऊंचा हो गया है, लेकिन आगे बढ़ने के लिहाज से इससे चीजें आसान हो गई हैं।
उन्होंने कहा, मुक्केबाज जिस तरह से खेले, यहां तक कि जो संघर्ष करते हुए हार गए, उन्हें श्रेय देना चाहूंगा। पहली और संभवत: आखिरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले रहीं 35 बरस की मैरीकॉम ने महिलाओं के 48 किलो फाइनल में उत्तरी आयरलैंड की क्रिस्टीना ओहारा को 5-0 से हराया।
मैरीकॉम ने कहा, मुझे खुशी है कि मैंने फिर इतिहास रचा। देश के लिए इन खेलों में महिला मुक्केबाजी में पहला पदक जीतकर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा, यह पदक और मेरा हर पदक मेरे लिए खास है, क्योंकि मैंने सबके लिए मेहनत की है। जब तक फिट हूं, मैं यह मेहनत करती रहूंगी।
ओहारा के पास मैरीकॉम के दमदार पंच और फिटनेस का जवाब नहीं था। मैरीकॉम ने मुकाबले को लगभग एकतरफा बना दिया। पांच महीने पहले एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली मैरीकॉम ने जनवरी में इंडिया ओपन जीता था। उन्होंने बुल्गारिया में स्ट्रांजा मेमोरियल टूर्नामेंट में भी रजत पदक जीता था।
पुरुष वर्ग में सोलंकी ने उत्तरी आयरलैंड के ब्रेंडन इरविन को 4-1 से हराया। वह तीसरा दौर हार गए थे, लेकिन पहले दो दौर में प्रदर्शन इतना अच्छा रहा कि अपने पदार्पण खेलों में ही उन्होंने स्वर्ण जीत लिया। उन्होंने कहा, मैं यह पदक अपनी मां को समर्पित करता हूं। मैं टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं और तिरंगा लहराते देखना चाहता हूं।
इसके बाद, एशियाई खेलों में स्वर्ण और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके विकास ने कैमरून के डियूडोन विल्फ्रेड को 5-0 से शिकस्त देकर स्वर्ण पदक जीता। तकनीकी श्रेष्ठता वाले भारतीय खिलाड़ी ने धीरे-धीरे मैच पर शिकंजा कसा। विकास ने सतर्क शुरुआत करने के बाद अपने दमदार मुक्कों से विरोधी को पस्त कर दिया। आज के प्रदर्शन के साथ वे एशियाई और राष्ट्रमंडल दोनों खेलों में स्वर्ण जीतने वाले देश के पहले मुक्केबाज बन गए।
विकास ने 2010 के एशियाई खेलों में लाइटवेट 60 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने कहा, इन प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मेरे माता-पिता ने मेरी सबसे ज्यादा मदद की है, इसलिए यह स्वर्ण पदक उनके लिए है।
वहीं अमित और मनीष दोनों बंटे हुए फैसले में हार गए। अमित को इंग्लैंड के गालाल याफाइ ने हराया। मनीष को ऑस्ट्रेलिया के हैरी गारसाइड ने 3-2 से मात दी। बाद में सतीश को भी फाइनल में इंग्लैंड के फ्रेजर क्लार्क से शिकस्त झेलकर रजत से संतोष करना पड़ा। (भाषा)