कृति शर्मा
All about D Gukesh, India's No.1 Chess Player : भारतीय शतरंज ग्रैंड मास्टर Dommaraju Gukesh (जन्म 29 मई 2006), जिन्हें D Gukesh के नाम से जाना जाता है, आधिकारिक तौर पर अपने Mentor, विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) को पछाड़ भारत के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी (India's No. 1 Chess Player) बन गए हैं। यह 37 वर्षों में पहली बार है, जब भारत में विश्वनाथन आनंद के अलावा कोई नया भारतीय, नंबर 1 है।
वे अब दुनिया के शीर्ष 10 शतरंज खिलाड़ियों (World's Top Ten Chess Players) की सूची में भी शान से 8वें नंबर पर विराजमान हैं। उनके गुरु और 5 बार (2000, 2007, 2008, 2010, and 2012) के विश्व चैंपियन, विश्वनाथन 9वीं Ranking पर चले गए हैं। (FIDE Chess Ratings)
अब शंतरज की चालों से दुनिया को भी मात देने को तैयार भारतीय युवा
1991 से 2016 तक विश्वनाथन भी शीर्ष 10 शतरंज खिलाड़ियों की सूची में बने रहे थे और उन्होंने कई उपलब्धियां भी हासिल कीं लेकिन अब भारतीय युवा, भारत का प्रतिनिधित्व करके वर्तमान और भविष्य में शतरंज की दुनिया पर दबदबा बनाने और अपने देश को आगे ले जाने के लिए तैयार हो रहे हैं।
FIDE Chess World Cup 2023 में Runner Up रहे Praggnnandha के बाद अब भारत के चेन्नई के ही D Gukesh भारत के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी बन सुर्खियां बटोर रहे हैं। वह 1 अगस्त से World Cup Quarter Final में पहुंचकर तीन स्थान हासिल करने के बाद Chess Players की सूची में Top 10 में शामिल हो गए
गुकेश ने आधिकारिक FIDE रेटिंग सूची (FIDE Chess Ranking) में आनंद को पीछे छोड़ते हुए 2758 रेटिंग के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया। Vishwanathan Anand की रेटिंग इस वक़्त 2754 है। विश्व कप के उपविजेता प्रग्गनानंद (Praggnanandhaa) इस लिस्ट में 2727 रेटिंग के साथ 19वें नंबर पर है।
अपने गुरु को पछाड़ ऐसा महसूस किया गुकेश ने
एक भारतीय खेल वेबसाइट (स्पोर्ट स्टार) द्वारा यह पूछे जाने पर कि आपके गुरु, विश्वनाथन आनंद की जगह नए भारत के नंबर 1 बनने पर कैसा महसूस हो रहा है?
गुकेश ने उत्तर दिया "विशी सर की वर्तमान रेटिंग को पार करना, मेरे लिए निश्चित रूप से एक बहुत ही विशेष उपलब्धि है। हम अपने करियर के विभिन्न चरणों में हैं। जाहिर है, मैं वह सब हासिल करने के करीब भी नहीं हूं जो उन्होंने अपने पूरे करियर में हासिल किया है। मेरे पास अभी भी उनकी महानता के स्तर की बराबरी करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। लेकिन मैं भारत का नंबर 1 बनकर खुश हूं।'
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें उस पल कैसा महसूस हुआ था जब उन्होंने लाइव रेटिंग में विश्वनाथन आनंद को पछाड़ दिया था, तो उन्होंने कहा
"उस पल कुछ भी बड़ा नहीं लगा। यह थोड़ा अजीब था क्योंकि वह पल शतरंज विश्व कप के दौरान आया था। विश्व कप अभी शुरू हुआ था और मैं इसमें गहराई तक जाने की उम्मीद कर रहा था। इसलिए मैं वास्तव में उस रेटिंग पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा था जिस तक मैं पहुंचा था। यह निश्चित रूप से बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन मैं अगले गेम पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा था। मैं कोशिश कर रहा था विश्व कप में आगे बढ़ें"
Classical Chess का सबसे Strong Teenager
बता दें कि गुकेश, विश्व कप क्वार्टर फाइनल में शतरंज विश्व कप 2023 चैंपियन मैग्नस कार्लसन से हार गए थे
(Gukesh lost to Chess World Cup 2023 Champion Magnus Carlsen in the Quarter Final)
मैग्नस कार्लसन ने डी. गुकेश को Classical Chess का सबसे Strong Teenager बताया है। Norwegian वर्ल्ड नंबर 1, Magnus Carlsen ने हाल ही में विश्व कप क्वार्टर फाइनल में 17 वर्षीय भारतीय के खिलाफ अपने पहले गेम को प्रतियोगिता में अपना सर्वश्रेष्ठ बताया।
ऐसे जागा Chess में गुकेश का Interest
गकुश के पिता Rajni Kanth जो एक कान, नाक और गले के सर्जन हैं, और उनकी पत्नी, Dr Padmakumari, जो पेशे से एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं, के लिए शतरंज एक शौक था - यह उनके लिए समय बिताने का एक तरीका था।
उन्होंने अपने व्यस्त करियर को अपने बेटे का ध्यान रखते हुए इसके साथ संतुलित किया हुआ था। परिवार को विश्वनाथन आनंद और गुकेश पर उनके प्रभाव के बारे में पता था, लेकिन गुकेश द्वारा 2015 में सिंगापुर में एशियाई शतरंज स्कूल चैंपियनशिप (Asian Chess School Championships in Singapore in 2015) उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता - जीतने के बाद ही गुकेश के माता पीता की मानसिकता बदल गई।
एक समय Chess Game जो पारिवारिक मनोरंजन रहा, अब गुकेश और उनके माता-पीता की ज़िन्दगी की एक केंद्र बिंदु बन चूका था। गुकेश का Chess के प्रति और प्रेम उनके स्कूल, Velammal Vidyalaya में Summer Camp के दौरान बढ़ा। Summer Camp में उनके Coaches ने उनके इस खेल को सिखने में और भी मदद की। गुकेश ने कहा, "एक चीज जिसने मुझे शतरंज की ओर आकर्षित किया, वह थी इसकी जटिलता"
2016 में पी. हरिकृष्णन, निकले थे विश्वनाथन आनंद से आगे, लेकिन लम्बे वक़्त तक नहीं टिक पाए
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी युवा ने आनंद को पछाड़ा हो। इससे पहले 2016 में पी. हरिकृष्णन ने आनंद को रैंकिंग में पीछे छोड़ा था, लेकिन वह ज़्यादा वक़्त तक रैंकिंग में ऊपर टिक नहीं पाए थे।