Sports Governance Bill : खेलों में आएगा बड़ा बदलाव, नेशनल स्पोर्ट्स बिल करेगा साफ-सुथरा खेल प्रशासन!

WD Sports Desk
बुधवार, 23 जुलाई 2025 (16:05 IST)
@Sansad_tv

Sports Governance Bill : राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किया गया और हालांकि इसे अधिनियम बनने में अभी कुछ समय है लेकिन फिर भी इसको पेश किया जाना ही भारत के खेल प्रशासन को नया रूप देने और मानकीकृत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। पीटीआई इसकी मुख्य विशेषताओं पर एक नजर डालता है जो देश में खिलाड़ियों और प्रशासकों दोनों के लिए खेल प्रशासन और शिकायत निवारण प्रणाली के कई पहलुओं में आमूलचूल परिवर्तन का वादा करती हैं।

<

#MonsoonSewssion2025

Union Minister Dr. Mansukh Mandaviya introduces The National Sports Governance Bill, 2025 in #LokSabha @mansukhmandviya @ombirlakota @LokSabhaSectt @YASMinistry pic.twitter.com/wf46PA8BHd

— SansadTV (@sansad_tv) July 23, 2025 >
आयु और कार्यकाल सीमा:
 
यह विधेयक खेल संघों में अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष के पद के लिए लगातार 3 कार्यकाल की अवधि को कुल 12 वर्ष तक सीमित करता है। आयु सीमा 70 वर्ष रखी गई है जो संबंधित खेल के अंतरराष्ट्रीय चार्टर और नियमों द्वारा अनुमति मिलने पर नामांकन के समय 75 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
 
किसी भी खेल संस्था की कार्यकारी समिति की अधिकतम सदस्य संख्या 15 रखी गई है जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महासंघ पर अधिक वित्तीय बोझ नहीं पड़े। कार्यकारी समिति में कम से कम दो उत्कृष्ट खिलाड़ी और 4 महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा।
 
यह प्रावधान खेल प्रशासन में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में खिलाड़ियों को एक प्रमुख हितधारक बनाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप है।
 
राष्ट्रीय खेल बोर्ड:
 
इस विधेयक की सबसे चर्चित विशेषता राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) है जिसके पास सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को मान्यता देने या निलंबित करने और यहां तक कि खिलाड़ियों के कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय महासंघों के साथ ‘सहयोग’ करने की सर्वोच्च शक्तियां होंगी।
 
एनएसबी में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा ‘योग्य, ईमानदार और प्रतिष्ठित व्यक्तियों’ के बीच से की जाएगी। ये नियुक्तियां एक खोज सह चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएंगी जिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव या खेल सचिव होंगे।
 
इस समिति के अन्य सदस्यों में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के महानिदेशक, किसी राष्ट्रीय खेल संस्था के अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष रह चुके दो खेल प्रशासक और द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल होंगे।
 
बोर्ड को ऐसी किसी भी राष्ट्रीय संस्था की मान्यता रद्द करने का अधिकार दिया गया है जो अपनी कार्यकारी समिति के लिए चुनाव कराने में विफल रहती है या जिसने ‘चुनाव प्रक्रियाओं में घोर अनियमितताएं’ की हैं।
 
इसके अलावा ऑडिट किए गए वार्षिक खातों को प्रकाशित नहीं करने या ‘सार्वजनिक धन का दुरुपयोग, अनुचित उपयोग या गबन’ करने पर भी एनएसबी से निलंबन हो सकता है लेकिन आगे बढ़ने से पहले संबंधित वैश्विक संस्था से परामर्श करना आवश्यक होगा।
 
केवल मान्यता प्राप्त खेल संगठन ही केंद्र सरकार से अनुदान या कोई अन्य वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र होंगे।
 
राष्ट्रीय खेल पंचाट:
 
खेल मंत्रालय के अनुसार चयन से लेकर चुनाव तक देश की विभिन्न अदालतों में 350 से अधिक मामले लंबित हैं जिससे खिलाड़ियों और राष्ट्रीय खेल महासंघों की प्रगति में काफी बाधा आ रही है। राष्ट्रीय खेल पंचाट की स्थापना से यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी क्योंकि इसके पास ‘एक दीवानी न्यायालय की सभी शक्तियां’ होंगी।
 
इसमें एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे। पंचाट का प्रमुख उच्चतम न्यायालय का वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश होगा।
 
इसकी नियुक्तियां भी केंद्र सरकार के हाथों में होंगी जो एक समिति की सिफारिशों पर आधारित होंगी। इस समिति की अध्यक्षता भारत के प्रधान न्यायाधीश या भारत के प्रधान न्यायाधीश द्वारा अनुशंसित उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश करेंगे और इसमें खेल सचिव और विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे।
 
केंद्र सरकार के पास वित्तीय अनियमितताओं और ‘जनहित’ को नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाई सहित अन्य उल्लंघनों के मामले में इसके सदस्यों को हटाने का अधिकार होगा।
 
इस पंचाट के आदेशों को केवल उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी जो यह सुनिश्चित करेगा कि खेलों से संबंधित विवादों के निपटारे में कोई निचली अदालत शामिल नहीं हो।
 
पंचाट के निर्णय के 30 दिन के भीतर अपील भी दायर करनी होगी लेकिन उच्चतम न्यायालय को यह तय करने का अधिकार होगा कि समय सीमा समाप्त होने पर अपील दायर की जा सकती है या नहीं।
 
राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल:
 
इसकी नियुक्ति भी केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेल बोर्ड की सिफारिश पर की जाएगी। यह पैनल भारतीय निर्वाचन आयोग या राज्य निर्वाचन आयोग के सेवानिवृत्त सदस्यों या राज्यों के सेवानिवृत्त मुख्य निर्वाचन अधिकारियों या उप निर्वाचन आयुक्तों से बना होगा जिनके पास ‘पर्याप्त अनुभव’ हो।
 
यह पैनल खेल संघों की कार्यकारी समितियों और खिलाड़ी समितियों के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की देखरेख के लिए ‘निर्वाचन अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा।
 
बोर्ड राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का एक रोस्टर बनाएगा।
 
आरटीआई:
 
सभी मान्यता प्राप्त खेल संगठन ‘अपने कार्यों, कर्तव्यों और शक्तियों के प्रयोग के संबंध में’ सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत आएंगे।
 
यह मंत्रालय और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच विवाद का विषय हो सकता है क्योंकि क्रिकेट के ओलंपिक खेल बनने के बाद BCCI को NSB के साथ खुद को एक राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के रूप में पंजीकृत कराना होगा। क्रिकेट का टी20 प्रारूप 2028 के खेलों में पदार्पण के लिए तैयार है।
 
क्रिकेट बोर्ड ने इस पहलू का कड़ा विरोध किया है क्योंकि वह अपने कामकाज के लिए सरकारी धन पर निर्भर नहीं है। बीसीसीआई के इस पर सहमत होने की संभावना बहुत कम है।
 
सरकार की विवेकाधीन शक्तियां:
 
कोई भी खेल संगठन जो ‘भारत’ या ‘भारतीय’ या ‘राष्ट्रीय’ शब्द या किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक या चिह्न का उपयोग करना चाहता है उसे केंद्र सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।
 
केंद्र सरकार यदि जनहित में आवश्यक समझे तो उसे विधेयक के किसी भी प्रावधान में ‘ढील’ देने का अधिकार होगा।
 
इसके अतिरिक्त सरकार इस विधेयक के प्रावधानों के ‘कुशल प्रशासन’ के लिए राष्ट्रीय खेल बोर्ड या किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को भी ऐसे निर्देश दे सकती है।
 
सरकार को असाधारण परिस्थितियों में और राष्ट्रीय हित में ‘संबंधित खेल की किसी भी राष्ट्रीय टीम की भागीदारी पर उचित प्रतिबंध लगाने’ का भी अधिकार होगा। (भाषा) 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लीड्स की हार का एकमात्र सकारात्मक पहलू: बल्लेबाजी में बदलाव पटरी पर

ICC के नए टेस्ट नियम: स्टॉप क्लॉक, जानबूझकर रन पर सख्ती और नो बॉल पर नई निगरानी

बर्फ से ढंके रहने वाले इस देश में 3 महीने तक फुटबॉल स्टेडियमों को मिलेगी 24 घंटे सूरज की रोशनी

The 83 Whatsapp Group: पहली विश्वकप जीत के रोचक किस्से अब तक साझा करते हैं पूर्व क्रिकेटर्स

क्या सुनील गावस्कर के कारण दिलीप दोषी को नहीं मिल पाया उचित सम्मान?

अगला लेख