करोड़ों भारतीयों को दीवाना बना देने वाली आवाज़ की गूंज कानों में नहीं, दिमाग में तैरती रहती थी...

सीमान्त सुवीर
कुछ शख्सियतें ऐसी होती हैं, जिनकी आवाज़ की गूंज कानों में नहीं, बल्कि दिमाग में तैरती रहती हैं। कोई दो पीढ़ियों को अपनी जादुई कॉमेंट्री से दीवाना बनाकर रख देने वाले ख्यात कमेंटेटर जसदेव सिंह के नहीं रहने की खबर ने उनके करोड़ों चाहने वालों को भीतर तक हिला कर रख दिया और बरबस याद आने लगी रेडियों पर गूंजने वाली वो आवाज़ कि 'मैं जसदेव सिंह बोल रहा हूं...'। दिल्ली में 25 सितम्बर 2018 को वे 87 साल की उम्र में इस दुनिया से 'दूसरी दुनिया' में चले गए...
 
 
आंखों देखा हाल सुनाने का विशिष्ट अंदाज : 21वीं सदी भले ही आधुनिक तकनीक के साजो-सामान के साथ लैस होकर युवा पीढ़ी के दिलो-दिमाग में छायी हो लेकिन रेडियो के चाहने वालों की वो पीढ़ी भी रही, जिसने जसदेव सिंह की जादुई आवाज़ को चुंबक की तरह अपनी ओर आकर्षित कर रखा था। 1980 के बाद टीवी पर भी कई दफा अपने चेहरे के साथ किसी मैच का या फिर 15 अगस्त या 26 जनवरी को दिल्ली से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की परेड का आंखों देखा हाल विशिष्ट अंदाज में पेश होने वाले जसदेव सिंह का जलवा भी देखा है...सुना है...। 
 
गेंद के साथ दौड़ती थी जसदेव सिंह की आवाज़ : जसदेव सिंह की खासियत यही थी कि वे दिल्ली से परेड का आंखों देखा हाल इस अंदाज में सुनाते थे, जैसे आप वहां मौजूद हों। देश के करोड़ों लोग रेडियो पर उनकी आवाज़ को पहचान लेते थे कि ये जसदेव सिंह ही हैं। भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी की कमेंट्री करने में जसदेव सिंह को महारथ हासिल थी। तब हॉकी कलात्मक होती थी और मिट्‍टी के मैदान पर खेली जाती थी। हॉकी का खेल बहुत तेजी से खेला जाता है लेकिन जसदेव जी की खासियत थी कि आवाज गेंद के साथ दौड़ती थी। यही कारण है कि करोड़ों लोगों को अपना मुरीद बना रखा था।
 
भारतीय उपमहाद्वीप में जसदेव जैसी नहीं थी आवाज : इसमें कोई दो राय नहीं कि कमेंटरी के मामले में जसदेव सिंह जैसी आवाज पूरे भारतीय महाद्वीप में नहीं थी। जब भारत और पाकिस्तान के संबंध मधुर हुआ करते थे और हॉकी के मैदान में जब ये दोनों टीमें मुकाबला करती थी, तब देश के करोड़ों लोग जसदेव सिंह के मुख से मैच का आंखों देखा हाल सुनने के लिए सब कामकाज छोड़ दिया करते थे।
 
जयपुर आकाशवाणी केंद्र से हुई थी करियर की शुरुआत : जसदेव सिंह ने अपने करियर की शुरुआत जयपुर आकाशवाणी केंद्र से 1955 में की थी। 1963 में वे दिल्ली आकाशवाणी में आ गए और दूरदर्शन से जुड़ गए। 1963 से लेकर 48 सालों तक रेडियो और उसके बाद दूरदर्शन पर उनका एकछत्र राज रहा और वे लगातार स्वतंत्रता दिवस समारोह के साथ ही गणतंत्र दिवस की परेड का आंखों देखा हाल अपनी खनकती आवाज़ में सुनाते रहे।
 
खेलों की दुनिया पर भी जसदेव सिंह का राज : जसदेव सिंह का कद समय के साथ ही साथ बढ़ता चला गया और वे आंखों देखा हाल सुनाने के मामले में भारतीय श्रोताओं के पर्याय बन गए। उन्होंने वे 9 ओलम्पिक खेलों, 8 हॉकी विश्व कप और 6 एशियाई खेलों के कमेंट्री बॉक्स की शोभा बढ़ाई और हर रोमांच से भारतीयों को रूबरू करवाया। 
 
जसदेव सिंह को मिले सम्मान : जसदेव सिंह अपनी खनकती आवाज के जरिए भारतीयों के दिलों पर राज करने वाली शख्सियत बन चुके थे। खेलों को बढ़ावा देने के लिए उन्हें 1988 में 'ओलम्पिक ऑर्डर' से सम्मानित किया गया। इस तरह का सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय हैं। उन्होंने 1968 के हेलसिंकी ओलंपिक से लेकर 2000 तक के सिडनी ओलंपिक तक (9 ओलंपिक) का हाल भारतीय लोगों तक पहुंचाया। यह भी अपने आप में एक कीर्तिमान है। भारत सरकार ने जसदेव सिंह को 1985 में पद्मश्री और 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

रोहित और कोहली का T20I टीम में चयन क्या विश्व कप में भारत को भारी पड़ेगा?

लक्ष्य और चिराग को भारतीय टीम में जगह मिलने से सेन परिवार में खुशी का माहौल

क्या विराट और रोहित दिखेंगे सलामी बल्लेबाजी करते हुए? यह 5 सवाल उठे

धोनी के हस्ताक्षर वाली टीशर्ट आज भी दिल के करीब संजोकर रखी है सुनील गावस्कर ने

तुम लोग कुछ भी कहो, मैं नहीं रुकने वाला

ब्रिटेन में चुनाव लड़ेंगे इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर

T20 World Cup : इस वजह से नहीं बना सके रिंकू सिंह टीम में जगह

IPL 2024 : हर्षित राणा पर लगा बैन, हरकत वापस दोहराने की मिली सजा

T20 World Cup : रिंकू सिंह का क्या था कसूर? हार्दिक पर क्यों मेहरबान चयनकर्ता?

IPL 2024 MI vs LSG: लखनऊ ने मुबंई को 4 विकेटों से हराया

अगला लेख