बेटी ने जब कुश्ती मैट पर मां को 'चीयरअप' किया...

Webdunia
शनिवार, 18 नवंबर 2017 (01:16 IST)
- सीमान्त सुवीर 

यह धारणा अब बिलकुल बदल गई है कि विवाह के बाद पहलवान का करियर खत्म हो जाता है या फिर महिला पहलवान की जिंदगी शादी के बाद चूल्हा-चौका संभालने या फिर बच्चे पालने में बीतनी चाहिए...

सुशील कुमार, गीता फोगाट, साक्षी मलिक, या फिर नरसिंह पहलवान हों, ये सभी शादी के बाद भी प्रतिस्पर्धात्मक कुश्ती लड़ रहे हैं। दिल्ली की कामिनी यादव की तो बेटी भी है जो तीसरी कक्षा में पढ़ रही है। शुक्रवार को जब वे इंदौर में राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती में अपना मुकाबला लड़ रही थीं, तब बेटी अपनी मां को चीयरअप कर रही थी...
 
21वीं सदी के बदलाव का भारत यही है...जहां मां की कुश्ती पर बेटी तालियां बजाती नजर आती है..वो भी तब जब मामला राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता का हो। साक्षी मलिक और फोगाट बहनों से भले ही आज भारतीय महिला कुश्ती को दुनिया एक ताकत के रूप में देख रही हो लेकिन इसकी शुरुआत तो बहुत पहले ही हो गई थी..


कामिनी ने 18 बरस पहले 1999 से कुश्ती लड़ना शुरु किया था। दिल्ली के पास एक गांव की लड़की कुश्ती लड़े ये लोगों को नागवार गुजरा और परिवार ने भी विरोध किया लेकिन जब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपना गला कामयाबी के तमगों से सजाया तो यह विरोध पीछे छूट गया। परिवार ही नहीं, गांववाले भी कामिनी पर नाज करने लगे।

 
कामिनी ने 24 अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारत की जर्सी पहनी। वे 48 किलोग्राम में दो बार की राष्ट्रीय विजेता रहीं लेकिन 2017 की राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता में वे 72 किलोग्राम भार वर्ग में उतरीं। साथ में उत्साह बढ़ाने के लिए तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली बेटी एंजल भी थी। एंजल बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है।
कामिनी का विवाह रेलवे के पहलवान अनिल कुमार से 2007 में हुआ। 2014 में कामिनी भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की कोच बनीं और फिलहाल दिल्ली के एक नामी अखाड़े में 30 महिला पहलवानों को तैयार कर रही हैं। 
 
2020 टोक्यो ओलंपिक में उन्हें विनेश फोगाट, गीता फोगाट और विद्या से पदक की उम्मीद है। कामिनी को इस बात का अफसोस जरूर है कि उनके वक्त में मीडिया आज की तरह महिला कुश्ती को प्रोत्साहित नहीं करता था, जितना कि आज कर रहा है।
इंदौर की राष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा में 2 बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार भी उतरे और 74 किलोग्राम में राष्ट्रीय चैम्पियन बने। सुशील का विवाह महाबली सतपाल की बेटी से हुआ। साक्षी मलिक ने अपने पुरुष मित्र सत्यव्रत कातियान से विवाह किया और ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के बाद इंदौर में 62 किलोग्राम भार समूह में राष्ट्रीय विजेता बनीं। सत्यव्रत भी पहलवान हैं।
यही नहीं, गीता फोगाट की शादी भी पहलवान पवन कुमार से हुई। पवन कुमार भी इंदौर में 86 किलोग्राम भार वर्ग में राष्ट्रीय विजेता बने तो पत्नी गीता ने 69 किलोग्राम में विजेता रहकर अपना गला सोने के पदक से सजाया। नरसिंह पहलवान मुकाबला जरूर नहीं लड़े लेकिन पत्नी शिल्पी का हौसला बढ़ाते रहे। शिल्पी ने राष्ट्रीय स्पर्धा में कांसे का पदक जीता।

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