भारतीय हॉकी के लिए सबसे बड़ा दिन : मीररंजन नेगी

सीमान्त सुवीर
गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014 (22:14 IST)
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर और 1998 के बैंकॉक एशियाड में अंतिम बार स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के कोच रहे मीररंजन नेगी ने कहा कि आज का दिन भारतीय हॉकी इतिहास के लिए सबसे बड़ा दिन है। 16 साल के बाद पाकिस्तान पर फतह हासिल करके एशियाई खेलों में हॉकी का स्वर्ण पदक जीतना अपने आप में गौरव की बात है। मैं इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता...
मुंबई से 'वेबदुनिया' से एक विशेष बातचीत में नेगी ने कहा कि पूरा देश इस जीत का जश्न मना रहा है और इस जश्न में मैं भी शामिल हूं। मैंने पूरा मैच देखा और 1998 के एशियाड की मेरी यादें फिर से ताजा हो गईं...उस साल भी भारत पेनल्टी शूट में जीता था और गुरुवार के‍ दिन भी पेनल्टी से ही फैसला हुआ। तब की विजेता टीम भी अच्छी थी और आज खेली टीम भी बढ़िया थी, लेकिन मुझे कुछ कमियां महसूस हुईं।
 
नेगी ने कहा कि काफी सालों के बाद लग रहा है कि भारतीय हॉकी का एडवेंचर स्टार्ट हुआ है। एशियाड के फाइनल मैच में मैंने देखा कि  भारतीय खिलाड़ियों में 'विनिंग स्किल्स' की कमी है। योजनाबद्ध तरीके से पैने आक्रमण नहीं हुए। तुलनात्मक रूप से पाकिस्तान की टीम अनुभवी थी और उनका डिफेंस चीन की दीवार की तरह अड़ा हुआ था, जिसे भेदने में भारतीय फॉरवर्ड नाकाम हो रहे थे।

पहले हॉफ में पाकिस्तान ने बढ़त का गोल दाग दिया था लेकिन दूसरे हॉफ में भारत ने दबाव बढ़ाया और बराबरी का गोल दागा। तीसरे और चौथे हॉफ में भारत की तरफ से आक्रमण नहीं हो रहे थे। यदि सुनियोजित रूप से भारत आक्रमण करता तो नतीजे के लिए पेनल्टी का सहारा नहीं लेना पड़ता। 
 
पूर्व भारतीय कोच नेगी ने स्वीकार किया कि विदेशी कोचों के आने से भारतीय हॉकी का स्तर ऊंचा जरूर हुआ है लेकिन जिस तरह के फाइनल की उम्मीद की जा रही थी, उसकी झलक देखने को नहीं मिली। मुझे राइट हॉफ गुरबाज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। उन्होंने दूसरे हॉफ में डिफेंस के साथ ही साथ कुछ अच्छे मूव बनाकर आउटस्टेंडिंग प्रदर्शन किया। 
चूंकि मैं खुद भारतीय हॉकी टीम का गोलकीपर रह चुका हूं और यह भी जानता हूं कि इतने बड़े फाइनल में गोलकीपर पर कितना दबाव रहता है, ऐसे में भारतीय गोलकीपर श्रीजेश का प्रदर्शन दिल को छू गया। उन्होंने बेहद शानदार प्रदर्शन किया और सही मायने में वे इस जीत के 'नायक' बनकर उभरे हैं। वैसे भी पिछले तीन-चार सालों में श्रीजेश की गोलकीपिंग में हैरतअंगेज सुधार देखने को मिला है। एशियाड के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ तो उन्होंने गजब की चपलता दिखाई। मेरे विचार से भारत ने आज 1982 में दिल्ली एशियाड की हार का हिसाब बराबर कर दिया। 
 
नेगी ने कहा कि यह बड़ी बात है कि इस स्वर्ण पदक ने भारत को 2016 के रियो ओलंपिक खेलों का टिकट दे दिया लेकिन अब खिलाड़ियों पर जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। एशियाड के प्रदर्शन में बहुत ज्यादा सुधार की दरकार है। इस तरह के प्रदर्शन से ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद नहीं की जा सकती। 
 
उन्होंने कहा कि अभी भी भारतीय खिलाड़ियों के पास काफी वक्त है और वे अपने खेल में निखार ला सकते हैं। विशेषकर पेनल्टी कॉर्नर को गोल में न बदल पाने की कमजोरी को दूर करने की जरूरत है। भारत को पाकिस्तान के खिलाफ मिले पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। ओलंपिक में भारत को बेहद उच्चस्तरीय प्रदर्शन करना होगा। वैसे एशियाड की जीत से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ना लाजमी है और मैं भी दिल से चाहता हूं कि रियो ओलंपिक में पोडियम पर भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के गले पीले तमगे से सजें...
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