दिग्गज जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने संन्यास की घोषणा की

WD Sports Desk
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024 (11:24 IST)
Dipa Karmakar retires : ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनकर इतिहास रचने वाली दिग्गज खिलाड़ी दीपा कर्माकर ने सोमवार को संन्यास लेने की घोषणा की।
 
रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर मामूली अंतर से चूकने वाली दीपा का करियर इस तरह समाप्त हो गया जिसमें वह नियमित रूप से अत्यधिक कठिन प्रोडुनोवा वॉल्ट करके लोगों को प्रभावित करती थीं।
 
त्रिपुरा की 31 वर्षीय इस छोटी कद की खिलाड़ी ने 2016 रियो खेलों के वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर सुर्खियां बटोरी थीं जहां उन्होंने वह सिर्फ 0.15 अंक से ओलंपिक पदक से चूक गई थी।
 
दीपा ने बयान में कहा, ‘‘बहुत सोच-विचार और चिंतन के बाद मैंने प्रतिस्पर्धी जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का फैसला किया है। यह आसान फैसला नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि यह सही समय है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘जब से मुझे याद है तब से जिम्नास्टिक मेरे जीवन का केंद्र रहा है और मैं उतार-चढ़ाव और बीच के हर लम्हे के लिए आभारी हूं।’’
 
दीपा ने कहा कि वह अपने जीवन में किसी समय कोच बनकर खेल को कुछ वापस देने की उम्मीद करती हैं या फिर वह ‘अपने सपनों का पीछा करने वाले जिम्नास्टों की अगली पीढ़ी की समर्थक’ बनी रह सकती हैं।
 
अगरतला की रहने वाली दीपा जिम्नास्टिक के इतिहास की केवल पांच महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने प्रोडुनोवा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है जिसमें जमीन पर उतरने से पहले दो बार ‘समरसॉल्ट’ करना होता है और इसे ‘वॉल्ट ऑफ डेथ’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें चोट लगने का जोखिम बहुत अधिक होता है।


 
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे अपनी हर उपलब्धि पर गर्व महसूस होता है। विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना, पदक जीतना और सबसे यादगार, रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट करना, इसे हमेशा मेरे करियर के शिखर के रूप में याद किया जाएगा।’’
 
दीपा ने कहा, ‘‘ये पल सिर्फ मेरे लिए जीत नहीं थे। ये भारत की हर उस युवा लड़की की जीत थी जिसने सपने देखने की हिम्मत की जिसने माना कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है।’’
 
दीपा छह साल की उम्र में जिम्नास्टिक से जुड़ी और उन्हें सोमा नंदी और बिश्वेश्वर नंदी से ट्रेनिंग मिली जो उनके पूरे करियर में उनके मेंटर (मार्गदर्शक) रहे और उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पदक दिलाने में मदद की।
 
बचपन में दीपा को ‘फ्लैट फुट’ (पैर सपाट होना) की समस्या थी। यह एक ऐसी शारीरिक समस्या थी जिसकी वजह से उनका जिम्नास्ट बनने का उनका सपना टूट जाता लेकिन गहन प्रशिक्षण के माध्यम से वह इस समस्या से निजात पाने में सफल रहीं।
 
खेल जगत में नाम कमाने के दीपा के सफर की शुरुआत 2008 में शुरू हुई जब उन्होंने जलपाईगुड़ी में जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती।
 
वह पहली बार तब चर्चा में आईं जब उन्होंने ग्लास्गो में 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में वॉल्ट में कांस्य पदक जीता और इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनीं। उन्होंने 2015 में एशियाई चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता और 2015 विश्व चैंपियनशिप में पांचवां स्थान हासिल किया जो पहली बार किसी भारतीय महिला जिम्नास्ट ने किया था।
 
रियो ओलंपिक 2016 के बाद दीपा को चोटों और उसके बाद की सर्जरी सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
 
उन्होंने हालांकि तुर्की में 2018 के कलात्मक जिम्नास्टिक विश्व कप में शीर्ष स्थान जीतकर जोरदार वापसी की और वैश्विक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बन गईं। उसी वर्ष उन्होंने जर्मनी के कॉटबस में कलात्मक जिम्नास्टिक विश्व कप में कांस्य पदक भी जीता।
 
करियर में कई असफलताओं का सामना करने के बावजूद दीपा ने 2021 में ताशकंद में एशियाई जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
 
दीपा ने कहा, ‘‘लेकिन ताशकंद में एशियाई जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में मेरी आखिरी जीत एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। उस जीत के बाद मुझे पूरा विश्वास था कि मैं जोर लगातार फिर से नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती हूं। लेकिन कभी-कभी हमारा शरीर हमें बताता है कि आराम करने का समय है, तब भी जबकि हमारा दिल आगे बढ़ना चाहता है।’’
 
दीपा का करियर विवादों से भी अछूता नहीं रहा और उन्हें प्रतिबंधित पदार्थ हिगेनामाइन के लिए पॉजिटिव पाए जाने के बाद लगभग दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया। इस पदार्थ का उपयोग अस्थमा और खांसी के इलाज के लिए भी किया जाता है।
 
परीक्षण अक्टूबर 2021 में किया गया था लेकिन उस समय भारत में किसी को नहीं पता था कि वह डोप परीक्षण में विफल रहीं थी। उनका प्रतिबंध 10 जुलाई 2023 तक चला।
 
लेकिन उन्हें अपने करियर में शर्मिंदगी से ज्यादा सराहना मिली।
 
दीपा को उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए पद्म श्री, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा मेरे साथ रहने वाली यादों और सीख के साथ प्रतिस्पर्धा से दूर जा रही हूं। मैंने इस खेल को अपना खून, पसीना और आंसू दिए हैं और बदले में इसने मुझे उद्देश्य, गर्व और अनंत संभावनाओं से भरा जीवन दिया है।’’
 
दीपा ने कहा, ‘‘मैं अपने कोच, टीम के साथियों, सहयोगी स्टाफ और सबसे महत्वपूर्ण रूप, आप सभी प्रशंसकों की हमेशा आभारी रहूंगी जिन्होंने हर उतार-चढ़ाव में मेरा साथ दिया" (भाषा) 

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