पढ़ाई और खेल में ऐसे तालमेल बैठाते थे नोएडा के DM और सिल्वर मेडलिस्ट पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास

खेल और पढ़ाई साथ हो सकती है: सुहास यथिराज

Webdunia
बुधवार, 8 सितम्बर 2021 (18:44 IST)
नई दिल्ली: पैरालंपिक रजत पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी और नोएडा के जिलाधिकारी सुहास यथिराज का कहना है कि यह गलतफहमी है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती।

यथिराज रविवार को तोक्यो में पुरुष एकल एसएल4 वर्ग बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से करीबी मुकाबले में हार गये। उन्हें दो बार के विश्व चैम्पियन माजूर से 62 मिनट तक चले फाइनल में 21-15 17-21 15-21 से हराया।

अड़तीस साल के सुहास के एक पैर के टखने में जन्मजात विकार है। 2016 में इस खेल में आने के बाद उन्होंने हाल में तोक्यो पैरालंपिक में पदार्पण करते हुए रजत पदक हासिल किया।अपनी इस उपलब्धि के लिये उन्होंने अपने दिवंगत पिता की प्रेरणादायी भूमिका को श्रेय दिया।

इस नौकरशाह ने यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद कारपोरेट नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि वह नौकरी और अपने जुनून के बीच सही संतुलन बनाने के आदी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘बचपन से ही मैं दो घंटे खेलता था, खेल हमेशा से पढ़ाई के साथ मेरे जीवन का हिस्सा रहा है। समाज में गलतफहमी ही है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती। ’’

कर्नाटक के हसन में जन्में सुहास ने कहा, ‘‘मैं माता पिता और समाज को बताना चाहूंगा कि यह तर्क भूल जाइये। आपका बच्चा दोनों में अच्छा कर सकता। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘2016 में मैंने अपना पहला पेशेवर टूर्नामेंट खेला था जो बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप थी जिसमें मुझे स्वर्ण पदक मिला था। मुझे लगता है कि वह पेशेवर बैडमिंटन के हिसाब से मेरे लिये टर्निंग प्वाइंट था। ’’

आजमगढ़, प्रयागराज और हाथरथ के जिलाधिकारी रह चुके सुहास ने अपने दिवंगत पिता यथिराज एल के को अपनी सफलता का श्रेय दिया और कहा कि उन्हें खेलते हुए देखकर ही वह बैडमिंटन खेलने के लिये प्रेरित हुए। उनके पिता भी एक सरकारी अधिकारी थे।

सुहास ने कहा, ‘‘मेरा विकार जन्मजात है। जब मैं बच्चा था तो इसे ठीक करने के लिये मेरी सर्जरी भी हुई थी। बचपन में हम अच्छा या बुरा समझने के लिये परिपक्व नहीं होते। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये जब लोग बात करते तो आप बहुत संवेदनशील होते हो, आपको खुद पर भरोसा नहीं होता कि आप जिंदगी में क्या हासिल कर सकते हो। लेकिन यहीं मेरे पिता की भूमिका अहम रही, उन्होंने मुझमें इतना आत्मविश्वास भर दिया कि मैं क्या नहीं कर सकता। इसलिये बचपन से ही मैं सक्षम खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करता था। ’’

उन्होंने कहा कि बचपन से ही वह बैडमिंटन खेलना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण भारत में बॉल बैडमिंटन खेला जाता है, मेरे पिता भी यही खेलते थे और मैं इससे आकर्षित होता था। ’’

इंजीनियरिंग कर चुके सुहास ने पैरालंपिक पदक जीतने वाला पहला आईएएस अधिकारी बनकर इतिहास रचा। उन्हें 30 मार्च 2020 को गौतम बुद्ध नगर का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया और उन्होंने कोविड-19 महामारी प्रबंधन में काफी अहम भूमिका निभायी।

गौतम बुद्ध नगर में उनके साथ अभ्यास करने वाले सार्थक अवस्थी, आदित्य वर्मा तथा उत्कर्ष चौधरी तीनों खिलाड़ी पैरालंपिक की तैयारी के दौरान अभ्यास में उनके साथी रहे हैं। इन तीनों खिलाड़ियों ने उनके साथ देर रात तक उनके अभ्यास में सहयोग किया।

सुहास की उपलब्धि को पत्नी ने बताया गर्व करने वाला पल

गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी (डीएम) और बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज ने पैरालंपिक खेलों के आखिरी दिन रविवार रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया जिसे उनकी पत्नी ने गर्व करने वाला पल बताया।

सुहास पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाले देश के पहले आईएएस अधिकारी है। उनकी इस उपलब्धि पर आईएएस संघ और आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारियों ने भी खुशी जतायी जिसमें उनके साथ काम करने वाले नोएडा के अधिकारी भी शामिल है।

सुहास की पत्नी ऋतु सुहास ने एक प्रेस वार्ता में उन्हें स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन रजत पदक हासिल करना भी भी गर्व की बात है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी,, लेकिन देश के लिए रजत पदक जीतना भी गर्व की बात है। देश के लिए पदक जीतने पर मुझे तथा पूरे परिवार को सुहास पर गर्व है।’’

टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने के बाद नोएडा आने पर सुहास एल वाई का भव्य स्वागत

तोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीतने के बाद वतन लौटे जिलाधिकारी सुहास एल.वाई. का सोमवार शाम नोएडा पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया।

सुहास एल वाई का स्वागत करने के लिए नोएडा-दिल्ली सीमा पर लोग इकट्ठा हो गए। गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी उनकी अगवानी के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचे।

जिलाधिकारी का स्वागत करने के लिए ग्रेटर नोएडा, दादरी और जेवर के लोग भी नोएडा सीमा पर आए। डीएनडी फ्लाईओवर के पास पहुंचने पर सुहास एल वाई को फूलों से सजी एक खुली जीप पर सवार किया गया। इसके बाद लोग फूल बरसाते हुए और नारे लगाते हुए उन्हें डीएम आवास तक लेकर आए।

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