ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार हार पर सफाई, कोच के दबाव में उतरा

Webdunia
मंगलवार, 24 सितम्बर 2019 (18:39 IST)
नई दिल्ली। 2 बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार कजाखिस्तान के नूर सुल्तान में हुई विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपने कोच के जोर देने पर इस चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। 
 
सुशील ने सोमवार को कहा, मुझे ट्रेनिंग किए हुए 2 महीने ही हुए थे। मैं विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लेना चाहता था लेकिन मेरे कोच ने जोर देकर कहा कि आप हर टूर्नामेंट में हिस्सा लो और मुझे विश्व चैंपियनशिप में उतरना पड़ा। 
 
उन्होंने साथ ही कहा, मुझे विश्व चैंपियनशिप की तैयारी पिछले साल एशियाई खेलों के साथ ही कर देनी चाहिए थी। मेरी विश्व चैंपियनशिप के लिए शुरुआत ही गलत हुई। मैंने 2 महीने की ही ट्रेनिंग की थी जबकि मुझे एशियाई खेलों के बाद से ही यह तैयारी शुरू कर देनी चाहिए थी। 
 
ओलंपिक में कांस्य और रजत पदक जीत चुके सुशील को विश्व चैंपियनशिप में अपने 74 किग्रा फ्री स्टाइल वजन वर्ग के क्वालिफिकेशन में ही हार का सामना करना पड़ा था। सुशील ने 2010 की विश्व चैंपियनशिप में मॉस्को में स्वर्ण पदक जीता था और वह उसके 9 साल बाद विश्व प्रतियोगिता में उतरे थे। 
 
अपने पहले राउंड की हार पर सुशील ने कहा, मेरा ग्रुप काफी मुश्किल था। इसमें 10 पहलवान ऐसे थे जो किसी भी हरा सकते थे। मेरे ग्रुप में ईरान, क्यूबा, उज्बेकिस्तान, बेलारूस, अमेरिका, तुर्की और अजरबेजान के पहलवान थे। आप के लिए मुकाबलों में बहुत कुछ ग्रुप और ड्रॉ पर निर्भर करता है। 
 
उन्होंने कहा, मैने मुकाबले में 9-4 की बढ़त बना रखी थी लेकिन आखिरी मिनट में वह गलती की जो मुझे नहीं करनी चाहिए थी। मेरा खेल अटैक का है और मैं अंतिम मिनट में डिफेंस पर आ गया। मैं मानता हूं कि मैंने डिफेंस पर आने की गलती की। 
 
यह पूछने पर कि अब दिल में क्या चल रहा है, सुशील ने कहा, अगले टूर्नामेंट की तैयारी करूंगा जो अगला क्वालिफाइंग टूर्नामेंट होगा। ईश्वर ने चाहा तो इस बार सब ठीक रहेगा। मुझे खुद पर भी भरोसा लगने लगा है कि मेरा शरीर ठीक काम कर रहा है और आगे भी अच्छा होगा। 97 किग्रा में जो पहलवान चौथी बार विश्व चैंपियन बना उसके कोच ने मुझसे आकर कहा कि लड़ना जारी रखो। 
 
सुशील ने संन्यास को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जब तक खिलाड़ी में जान है उसे खेलते रहना चाहिए। उन्होंने कहा, मेरे अंदर जान है और मैं टोक्यो ओलंपिक में उतरने और उसमें पदक जीतने के लिए पूरा जोर लगा दूंगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लीड्स की हार का एकमात्र सकारात्मक पहलू: बल्लेबाजी में बदलाव पटरी पर

ICC के नए टेस्ट नियम: स्टॉप क्लॉक, जानबूझकर रन पर सख्ती और नो बॉल पर नई निगरानी

बर्फ से ढंके रहने वाले इस देश में 3 महीने तक फुटबॉल स्टेडियमों को मिलेगी 24 घंटे सूरज की रोशनी

The 83 Whatsapp Group: पहली विश्वकप जीत के रोचक किस्से अब तक साझा करते हैं पूर्व क्रिकेटर्स

क्या सुनील गावस्कर के कारण दिलीप दोषी को नहीं मिल पाया उचित सम्मान?

अगला लेख