भ्रष्टाचार के आरोपों से हूपर ने पल्ला झाड़ा

Webdunia
गुरुवार, 12 अगस्त 2010 (23:01 IST)
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राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइक हूपर ने राजधानी में होने वाले 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के प्रसारण अधिकारों के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की अंतरिम रिपोर्ट में अपने ऊपर की गई टिप्पणियों और ठेके देने की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

कैग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि महज तीन लोगों आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, सीजीएफ के अध्यक्ष माइक फैनेल और हूपर की सलाह पर ही मैसर्स फास्ट ट्रैक सेल्स लिमिटेड को राष्ट्रमंडल खेलों के अंतरराष्ट्रीय प्रसारण अधिकारों के लिए सलाहकार चुन लिया गया।

हूपर ने कहा कि यह देखना आयोजन समिति की जिम्मेदारी थी कि सलाहकार चुनने का काम भारतीय कानून के अनुसार हो।
उन्होंने कहा कि मैं अनियमितता के हर आरोप को खारिज करता हूँ। ठेके की प्रक्रिया आयोजन समिति को भारत के कानूनों के दायरे में रहकर पूरी करनी थी। यह आयोजन समिति की जिम्मेदारी थी कि वह आउटसोर्सिंग के लिए किसे चुनती है।

हालाँकि हूपर ने साथ ही कहा कि फास्ट ट्रैक के नाम की अनुशंसा कंपनी के बीते रिकॉर्ड को देखकर की गई थी। उन्होंने कहा कि सीजीएफ इस बात पर कायम है कि हमने फास्ट ट्रैक के नाम की अनुशंसा की। इसने अतीत में सफल रिकॉर्ड कायम किए हैं। इस कंपनी को 2006 में मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलों में भी जिम्मेदारी दी गई थी और यह आयोजकों की उम्मीदों पर खरी उतरी थी।

उन्होंने कहा मैं समझता हूँ कि आयोजन समिति ने समुचित प्रक्रिया अपनाई होगी और बोली लगाने वालों तथा संबद्ध पक्षों की क्षमताओं का पूरा आकलन किया होगा। मुझे लगता है कि जरूरी प्रक्रियाएँ जरूर पूरी की गई होंगी।

खेल परिसरों के सवाल पर हूपर ने कहा कि इनमें अभी बहुत काम बाकी है। फिनिशिंग में बहुत कुछ किया जाना है, इसलिए सभी को इन खेलों पर ध्यान केंद्रित करके इसे सफल करना चाहिए। हालाँकि उन्होंने कहा कि इन खेलों में खेलने वाले खिलाड़ी ही इनका सही मूल्यांकन करेंगे।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रसारण अधिकारों से संबंधित ठेके के लिए बोलीकर्ताओं का कोई तकनीकी आकलन नहीं किया गया और उचित प्रक्रिया अपनाए बिना कंपनी को ठेका दे दिया गया। इससे 24.6 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद है।

राष्ट्रमंडल खेलों के प्रायोजक जुटाने का काम ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्पोर्ट्स मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट (एसएमएएम) को दिया गया था। कैग रिपोर्ट के मुताबिक इस करार को एक ही वित्तीय निविदा में निपटा दिया गया था। इसके लिए चार कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन एसएमएएम ने इसमें बाजी मार ली और आयोजन समिति कंपनी को 25.31 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कमीशन देने पर भी राजी हो गई।

हालाँकि आयोजन समिति ने एसएमएएम के साथ करार को इस आधार पर रद्द कर दिया है कि कंपनी उसकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। दूसरी ओर कंपनी ने इन आरोपों का खंडन किया है।

कैग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में गत 29 अक्टूबर को लंदन के ऐतिहासिक बकिंघम पैलेस में हुए क्वींस बेटन रिले समारोह कार्यक्रम के लिए अपनी गई0 प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए थे। कैग का अंदाजा है कि समारोह का ठेका मैक्सम को देने से 6 करोड़ 16 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।

हूपर ने मंगलवार को कहा कि आयोजन समिति के हाथ से समय निकलता जा रहा है और खेलों को शुरु होने में केवल कुछ हफ्ते बचे हैं, इसलिए जल्द से जल्द काम पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रमंडल खेलों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों और तैयारी में लगातार हो रही देरी से चिंतित हैं। (वार्ता)

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