शेयर बाजार में तबाही, सेंसेक्स 1048 अंक लुढ़का, निवेशकों के 12.62 लाख करोड़ रुपए डूबे, ये 3 कारण रहे जिम्मेदार

शेयर बाजार में तबाही  सेंसेक्स 1048 अंक लुढ़का  निवेशकों के 12.62 लाख करोड़ रुपए डूबे  ये 3 कारण रहे जिम्मेदार
वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 13 जनवरी 2025 (19:21 IST)
Stock Market: मुंबई अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़े से फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में शीघ्र कटौती की उम्मीद धूमिल पड़ने से वैश्विक स्तर पर हुई गिरावट से हतोत्साहित निवेशकों द्वारा स्थानीय स्तर पर की गई चौतरफा भारी बिकवाली से शेयर बाजार के आज 7 महीने के निचले स्तर पर लुढ़कने से निवेशकों के 12.62 लाख करोड़ रुपए डूब गए।
 
बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1048.90 अंक अर्थात 1.36 प्रतिशत का गोता लगाकर सात महीने बाद 77 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 76,330.01 अंक पर आ गया। इससे पहले यह 11 जून 2024 को 76,456.59 अंक पर रहा था। साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 345.55 अंक यानी 1.47 प्रतिशत लुढ़ककर 23,085.95 अंक पर बंद हुआ।ALSO READ: Share bazaar: विदेशी कोष की निकासी के कारण शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में गिरावट, रुपया भी 9 पैसे गिरा
 
इस गिरावट के कारण बीएसई का बाजार पूंजीकरण 41705906.74 करोड़ रुपए पर रहा। पिछले कारोबारी दिवस बाजार पूंजीकरण 42967835.05 करोड़ रुपए रहा था। इस तरह से निवेशकों के आज 1261928.31 करोड़ रुपए डूब गए।(भाषा) 
 
ये तीन कारण रहे जिम्मेदार
 
अमेरिका के रोजगार डेटा का असर
 
अमेरिका में रोजगार का डेटा काफी मजबूत आया है। अमेरिका में दिसंबर में 2.56 लाख नौकरियां जुड़ीं, जो 1.65 लाख की अपेक्षा से कहीं ज्यादा हैं। इससे अमेरिका में बेरोजगारी दर घटकर 4.1% रह गई। इससे मजबूत अमेरिकी अर्थव्यवस्था का पता चलता है, लेकिन इससे फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। इसका सीधा अर्थ है कि भारत जैसे इमर्जिंग बाजारों से पैसा निकलकर अमेरिकी बाजार में जाना जारी रहेगा। यही वजह है कि दुनियाभर के शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल बन गया।ALSO READ: वर्ष 2025 में क्या 1 लाख पार कर जाएगा शेयर मार्केट, जानिए क्या कहता है ज्योतिष
 
रुपए का लगातार कमजोर होना
 
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। यह सोमवार को शुरुआती कारोबार में 27 पैसे कमजोर होकर 86.31 रुपये पर आ गया है। रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि निर्यात की लागत बढ़ जाएगी। इससे जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे। महंगाई बढ़ने से रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में कटौती का फैसला लंबे समय के लिए टाल सकता है।ALSO READ: शेयर बाजार में भारी उतार चढ़ाव, रुपया भी अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर
 
भारतीय कंपनियों के निराशाजनक तिमाही नतीजे
 
भारतीय कंपनियां वित्त वर्ष 2024-25 की दिसंबर तिमाही के लिए वित्तीय नतीजे जारी कर रही हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि दिसंबर तिमाही में भी कंपनियों के वित्तीय नतीजे कमजोर बने रहेंगे। इसका मतलब है कि भारतीय बाजार का वैल्यूएशन भी अधिक बना रहेगा।

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