फाइनेंशियल प्लानिंग से करें सपनों को साकार

Webdunia
उमेश राठी

हर व्यक्ति के अपने कुछ सपने होते हैं और सपनों को हकीकत में बदलने के लिए सुदृढ़ योजना की आवश्यकता होती है। आज एक तरफ जहाँ हम महँगाई की मार एवं टैक्स के बोझ तले दब रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे पास सीमित वित्तीय संसाधन हैं। ऐसे में अपने सपनों को साकार करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग आवश्यक है।

वैसे तो हम सभी ने फाइनेंशियल प्लानिंग शब्द का उपयोग कई लोगों द्वारा करते हुए सुना है, परंतु इसके बारे में आम जनता की सोच टैक्स एवं निवेश तक ही सीमित है, जबकि वास्तव में फाइनेंशियल प्लानिंग एक बहुत ही व्यापक विषय है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति विशेष की परिस्थितियों, आवश्यकताओं एवं जोखिम क्षमता को ध्यान में रखकर प्लानिंग की जाती है, जिसमें निम्न बातों का समावेश होता है :

जीवन के लक्ष्यों का आकल न

जीवन के लक्ष्य ही फाइनेंशियल प्लानिंग का केंद्र-बिंदु हैं अतः फाइनेंशियल प्लानिंग करने के लिए इनका सही आकलन आवश्यक है। इनका सही आकलन करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना होता है।

लक्ष्यों का निर्धारण- हर व्यक्ति के जीवन में अपने विभिन्ना लक्ष्य होते हैं, जैसे- बच्चों की पढ़ाई-शादी, कार खरीदना, मकान खरीदना, रिटायरमेंट आदि। इन लक्ष्यों का सही रूप से आकलन कर इनकी सूची बनाना एवं यह निर्धारित करना कि इन लक्ष्यों के लिए वित्तीय आवश्यकता संभवतः किस वर्ष में होगी।

लक्ष्यों को वित्तीय स्वरूप देना- हम सभी अपने लक्ष्य को अच्छे से हासिल करना चाहते हैं। अक्सर लोगों से यह सुनने में आता है कि वह अपनी रिटायरमेंट लाइफ अच्छे से जीना चाहते हैं अथवा अपने बच्चों की शादी अच्छे से करना चाहते हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए हमें अपने लक्ष्यों को वित्तीय स्वरूप देना आवश्यक है, साथ ही हमें महँगाई दर को ध्यान में रखकर भविष्य में लगने वाली राशि का निर्धारण भी करना आवश्यक है। जैसे बच्चों की शादी में 10 लाख का खर्च आएगा अथवा घर बनाने में 25 लाख लगेंगे।

प्राथमिकता का निर्धारण- लक्ष्यों का निर्धारण एवं उन्हें वित्तीय स्वरूप देने के बाद विभिन्ना लक्ष्यों की प्राथमिकता निर्धारण भी आवश्यक होती है। सामान्यतः हमारे लक्ष्यों का क्रम एवं लक्ष्यों की प्राथमिकता का क्रम अलग-अलग होता है। प्राथमिकता का निर्धारण करने से हम अपने वित्तीय संसाधनों का सही रूप से प्रबंध कर सकते हैं।

निवेश प्लानिंग- हर व्यक्ति अपने निवेश पर अधिक से अधिक रिटर्न चाहता है, परंतु हमें यह समझना आवश्यक है कि रिस्क एवं रिटर्न एक सिक्के के दो पहलू हैं, अतः अधिक रिटर्न में रिस्क भी अधिक होती है, जबकि वास्तव में हम अधिक रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं। अतः निवेश करने के पूर्व हमें अपनी रिस्क प्रोफाइलिंग समझना आवश्यक होती है।

रिस्क प्रोफाइलिंग- रिस्क प्रोफाइलिंग में व्यक्ति विशेष की जोखिम वहन क्षमता अर्थात वित्तीय रूप से रिस्क लेने की क्षमता एवं जोखिम सहनशीलता अर्थात मानसिक रूप से रिस्क लेने की क्षमता दोनों का ही आकलन किया जाता है।

निवेश का उद्देश्य- इसमें व्यक्ति विशेष के लघु-मध्यम एवं लंबी अवधि के लक्ष्यों एवं रिस्क प्रोफाइलिंग के आधार पर निवेश के उद्देश्य तैयार किए जाते हैं, जिसमें यह निर्धारित किया जाता है कि व्यक्ति नियमित आय, ग्रोथ अथवा नियमित आय एवं ग्रोथ किस उद्देश्य से निवेश करना चाहता है।

असेट् एलोकेशन- असेट् एलोकेशन से आशय यह निर्धारित करने से है कि कितना पैसा किस असेट् क्लॉस में लगाया जाए अर्थात कितना पैसा निश्चित आय एवं सुरक्षित साधनों में लगाया जाए, कितना पैसा इक्विटी में, कितना गोल्ड में, कितना प्रॉपर्टी में एवं कितना नकद में रखा जाए। विभिन्न रिसर्च के मुताबिक निवेश के रिटर्न को असेट् एलोकेशन सर्वाधिक प्रभावित करता है। असेट् एलोकेशन व्यक्ति विशेष की आवश्यकता एवं रिस्क प्रोफाइलिंग के आधार पर तय किया जाता है।

रिस्क मैनेजमेंट एवं इंश्योरेंस प्लानिंग- हमारा जीवन अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है, जिसके कारण हमारे लक्ष्यों को हासिल करने में विभिन्ना रुकावट आ सकती हैं। अतः रिस्क मैनेजमेंट में व्यक्ति विशेष की संभावित रिस्क का आकलन किया जाकर उसके लिए उचित योजना बनाई जाती है। इंश्योरेंस रिस्क को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया है, जिसके तहत हम अपनी वित्तीय रिस्क को इंश्योरेंस कंपनी को प्रीमियम चुकाकर ट्रांसफर कर सकते हैं एवं अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। इंश्योरेंस प्लानिंग के तहत यह निश्चित किया जाता है कि व्यक्ति-विशेष को इंश्योरेंस की जरूरत है या नहीं एवं है तो कितनी है।

टैक्स प्लानिंग- टैक्स प्लानिंग केवल टैक्स बचत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टैक्स बचत के साथ-साथ व्यक्ति विशेष की आवश्यकताओं, जीवन के लक्ष्य एवं जोखिम-वहन-क्षमता को ध्यान में रखकर उचित साधनों में निवेश किया जाता है।

एस्टेट प्लानिंग- एस्टेट प्लानिंग में किसी भी अनहोनी होने की दशा में व्यक्ति-विशेष की संपत्ति, जिसके प्रियजनों को उसकी इच्छानुसार कम से कम न्यायिक प्रक्रिया, विवाद एवं खर्चे के टैक्स इफेक्टिव तरीके से मिल सके, इसका प्रबंध किया जाता है।

साथ ही शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता की स्थिति में प्रियजनों द्वारा पारिवारिक हित में संपत्ति का सही उपभोग किया जा सके। ऐसे में फाइनेंशियल प्लानिंग के अभाव में अपने सपनों को साकार करना किसी भी व्यक्ति के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव है। अतः इस भ्रांति को दूर कर लेना आवश्यक है कि फाइनेंशियल प्लानिंग महज टैक्स बचत या निवेश करने तक ही सीमित है एवं यह केवल उन्हीं के लिए उपयोगी है, जिनके पास निवेश करने की क्षमता है। वास्तव में फाइनेंशियल प्लानिंग हर उन व्यक्तियों के लिए आवश्यक है, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पाना चाहते हैं।

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