अँधेरे में रहकर, प्रकाश बाँटता एक शिक्षक

नूपुर दीक्षित
WDWD
शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अज्ञान के अँधेरे से ज्ञान के उजालों की ओर ले जाता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर हम रुबरू हुए एक ऐसे शिक्षक से जिनके अपने जीवन से रोशनी भले ही मुँह फेर चुकी हो, पर वे अपने सैकड़ों छात्रों के जीवन में प्रकाश कर रहे हैं।

ये शख्‍स हैं श्री भगवान चौधरी। इंदौर स्थित शासकीय विजयनगर उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय में व्‍याख्‍याता के रूप में कार्यरत श्री चौधरी देख नहीं सकते। एक बीमारी की वजह से आज से तेरह वर्ष पूर्व उनकी आँखों की रोशनी चली गई।

आँखों की रोशनी चले जाने के बावजूद उन्‍होंने कर्तव्यपथ की ओर से मुँह नहीं मोड़ा और शिक्षण कार्य जारी रखा। वे आज भी पूरी तल्‍लीनता के साथ ग्‍यारहवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को वाणिज्‍य विषय पढ़ाते हैं।

श्री चौधरी से मिलने हम उनके स्‍कूल पहुँचे, हमारे आश्‍चर्य का उस समय कोई ठिकाना ही नहीं रहा जब हमने उन्‍हें ब्‍लैक बोर्ड पर सवाल समझाते हुए देखा। ब्‍लैक बोर्ड पर उनकी लिखावट स्‍पष्‍ट और सधी हुई थी। हर शब्‍द एक ही पंक्ति में था, आँखों से देखते हुए भी बहुत कम लोग ब्‍लैक बोर्ड पर इतने व्‍यवस्थित ढंग से लिख पाते है, जितनी अच्‍छी तरह से श्री चौधरी लिखते हैं।

हमारे आश्‍चर्य का उस समय कोई ठिकाना ही नहीं रहा जब हमने उन्‍हें ब्‍लैक बोर्ड पर सवाल समझाते हुए देखा। उनकी लिखावट स्‍पष्‍ट और सधी हुई थी। हर शब्‍द एक ही पंक्ति में था, आँखों से देखते हुए भी कम लोग ब्‍लैक बोर्ड पर व्‍यवस्थित ढंग से लिख पाते है।
इसके अलावा बोर्ड परीक्षा में लगभग हर वर्ष उनकी कक्षा का परिणाम शत-प्रतिशत रहता है। मध्‍यप्रदेश बोर्ड में जहाँ हायर सेकण्‍डरी का परीक्षा परिणाम पचास प्रतिशत के इर्द-गिर्द रहता है वहाँ एक शासकीय स्‍कूल में शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम देना एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा।

श्री चौधरी कहते हैं, 'जब मेरे साथ यह हादसा हुआ तो स्‍वाभाविक रूप से मुझे बहुत तकलीफ हुई पर मुझे लगा कि शायद यह ईश्‍वर की मर्जी है कि मैं ऐसे ही रहूँ। इसलिए मैंने अपना कार्य जारी रखा। मैंने अपनी उँगलियों से नाप लेकर पंक्तियों का अंदाजा लगाया और उसके अनुसार ब्‍लैक बोर्ड पर लिखने की कोशिश की। मेरी कोशिशें रंग लाईं, बच्‍चों को विषय गहराई से समझ आए इसलिए मैंने तरह-तरह के उदाहरण देकर उन्‍हें समझाने का प्रयास किया। इस कार्य में मुझे मेरे परिवारजनों, सहकर्मियों और छात्रों ने भी पूरा-पूरा सहयोग दिया। आज मुझे इस बात की संतुष्टि है कि मैं अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्‍ठा से कर रहा हूँ।'

श्री चौधरी के छात्र धर्मेन्‍द्र राजपूत ने हमें बताया कि पूरे शैक्षणिक सत्र के दौरान उसने कभी सर को कुर्सी पर बैठे हुए नहीं देखा। वे पूरे पीरियड के दौरान लगातार पढ़ाते रहते हैं। सर से हम केवल बहिखाता और लेखाकर्म ही नहीं सीखते वरन् सर को देखकर हमें जीवन की चुनौतियों से लड़ने की भी प्रेरणा मिलती है।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

अंगड़ाई लेने से सेहत रहती है दुरुस्त, शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे

रोज लगाते हैं काजल तो हो जाएं सावधान, आंखों में हो सकती हैं ये 5 समस्याएं

चार चरणों के मतदान में उभरी प्रवृत्तियां काफी संकेत दे रही है

ऑफिस में बैठे-बैठे बढ़ने लगा है वजन?

Negative Thinking: नकारात्मक सोचने की आदत शरीर में पैदा करती है ये 5 बीमारियां