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भारतीय हॉकी में पदक का इंतजार खत्म, पहलवान दहिया ने दिलाया दूसरा रजत पदक

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, गुरुवार, 5 अगस्त 2021 (20:54 IST)
टोक्यो। भारत के लिए गुरुवार का दिन दोहरी खुशियां लेकर आया, जिसमें पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर मॉस्को से शुरू हुआ 41 साल का इंतजार खत्म किया तो पहलवान रवि कुमार दहिया ने देश को टोक्यो ओलंपिक में दूसरा रजत पदक दिलाया लेकिन पदक की उम्मीद मानी जा रही विनेश फोगाट और दीपक पूनिया का 'पोडियम' पर पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाया।

पुरुष हॉकी टीम ने पिछड़ने के बाद जबर्दस्त वापसी करते हुए रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे प्ले-ऑफ मैच में जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में कांसे का तमगा जीता। दहिया पुरुषों के 57 किग्रा भार वर्ग में रूसी ओलंपिक समिति के मौजूदा विश्व चैंपियन जावुर युगुएव से 4-7 से हार गए जिससे उनकी देश के सबसे युवा ओलंपिक चैंपियन बनने की उम्मीद भी पूरी नहीं हो सकी। 23 वर्षीय दहिया इससे पहले युगुएव से 2019 में विश्व चैंपियनशिप में भी नहीं जीत पाए थे।

दहिया कुश्ती में ओलंपिक रजत पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गए हैं और यह भारत का कुश्ती में कुल छठा पदक है। हत्या के आरोप में अभी जेल की सजा काट रहे सुशील कुमार ने लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक जीता था।
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टोक्यो खेलों में इस तरह भारत ने पांच पदक जीत लिए है। भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने देश को पहला रजत जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधू और मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य पदक जीते। भारत अभी पदक तालिका में 65वें स्थान पर है। आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय हॉकी टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही।

आखिरी पलों में ज्यों ही गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने तीन बार की चैंपियन जर्मनी को मिली पेनल्टी को रोका, भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गईं। हॉकी के गौरवशाली इतिहास को नए सिरे से दोहराने के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली इस जीत ने पूरे देश को भावुक कर दिया।

इस रोमांचक जीत के कई सूत्रधार रहे जिनमें दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट), हार्दिक सिंह (27वां मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वां मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वां मिनट) तो थे ही लेकिन आखिरी पलों में पेनल्टी बचाने वाले गोलकीपर श्रीजेश भी शामिल हैं।

भारतीय हॉकी टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है। मॉस्को से टोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां शामिल रहीं।
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दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थीं।

भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने न सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजूद 2-5 से हार झेलनी पड़ी।
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भारत को कुश्ती में पूनिया और विशेषकर महिला वर्ग में विनेश से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन ये दोनों पदक जीतने में नाकाम रहे। पूनिया को पुरुषों के 86 किग्रा के प्ले-ऑफ में सैन मरिनो के माइलेस नज्म अमीन के खिलाफ बढ़त बनाने के बावजूद हार झेलनी पड़ी। सैन मारिनो के पहलवान ने उन्हें अंतिम 10 सेकंड में पटखनी देकर यह मुकाबला जीता।

दीपक का रक्षण पूरे मुकाबले के दौरान शानदार था लेकिन सैन मरिनो के पहलवान ने मुकाबले के अंतिम क्षणों में भारतीय पहलवान का दायां पैर पकड़कर उन्हें गिराकर निर्णायक दो अंक हासिल किए। पदक की प्रबल दावेदार विनेश को महिलाओं के 53 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में बेलारूस की वेनेसा कालादजिन्सकाया ने चित्त करके बाहर किया।

विनेश के पास वेनेसा के मजबूत रक्षण का कोई जवाब नहीं था। वेनेसा ने इसके साथ ही इस साल यूक्रेन में भारतीय खिलाड़ी के खिलाफ इसी तरह की शर्मनाक हार का बदला चुकता कर दिया। विनेश ने तब वेनेसा को गिराकर ‘बाय फॉल’ से जीत दर्ज की थी।
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युवा अंशु मलिक 57 किग्रा वर्ग में रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता रूस की वालेरा कोबलोवा के खिलाफ रेपेशॉज मुकाबले में 1-5 की हार के साथ पदक की दौड़ से बाहर हो गईं। भारत की स्वर्ण पदक की उम्मीद अब बजरंग पूनिया पर टिकी है, जो शुक्रवार को किर्गीस्तान के अरनजार अखमातालीव से भिड़ेंगे। महिलाओं में अब केवल सीमा बिस्ला को ही मुकाबले में उतरना है। वे 50 किग्रा में ट्यूनीशिया की सारा हमदी के खिलाफ शुरुआत करेंगी।

भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान खशाबा जाधव थे। उन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया। लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था। वहीं साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में कांसे का तमगा हासिल किया था।

गोल्फ में महिला गोल्फर अदिति अशोक ने दूसरे दिन में शानदार प्रदर्शन जारी रखा जिससे वे संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर चल रही हैं। 23 साल की गोल्फर ने दूसरे दौर में पांच बर्डी से पांच अंडर 66 का कार्ड खेला जिससे उनका कुल स्कोर नौ अंडर 133 है। एक अन्य भारतीय गोल्फर दीक्षा डागर संयुक्त 53वें स्थान पर चल रही हैं।

एथलेटिक्स में भारत के संदीप कुमार अच्छी शुरुआत के बाद पिछड़ने के कारण 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा में 23वें स्थान पर रहे, जबकि अनुभवी केटी इरफान और राहुल ने भी निराश करते हुए क्रमश: 47वां और 51वां हासिल किया।(भाषा)

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