विश्व मुक्केबाजी में मैरीकॉम और लवलीना ने पक्के किए पदक

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नई दिल्ली। भारत की सुपरस्टार और पांच बार की चैम्पियन एमसी मैरीकॉम (48 किग्रा) ओर लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ने मंगलवार को यहां चल रही दसवीं एआईबीए महिला विश्व चैम्पियनिशप के सेमीफाइनल में प्रवेश कर पदक पक्का कर लिया।
 
 
54 किलोग्राम में युवा मुक्केबाज मनीषा मौन को हालांकि 2016 विश्व चैम्पयनिशप की रजत पदक विजेता स्टोयका पैट्रोवा से 1–4 से और 81 किलोग्राम में भाग्यवती काचरीको कोलंबिया की जेसिका पीसी सिनिस्टरा से 2–3 से पराजय का मुंह देखना पड़ा। 
 
पांच बार की विश्व चैम्पियन मैरीकॉम ने दिन की शुरूआत क्वार्टर फाइनल में चीन की यू वु पर 5-0 की शानदार जीत से की, अब वह वीरवार को उत्तर कोरिया की हयांग मि किम से भिड़ेंगी, जिन्हें उन्होंने पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप के फाइनल में हराया था। तीनों राउंड में पांचों जज ने 49–46, 50–45, 49–46 अंक दिए।
 
असम की 21 साल की लवलीना ने तेज तर्रार मुक्कों से ऑस्ट्रेलिया की 34 साल की काए फ्रांसेस स्कॉट को 5– 0 से पस्त किया और अंतिम चार में 22 नवंबर को चीनी ताइपे की चेन निएन चिन के सामने होंगी। पांचों जज ने 30-27, 29-28, 30-27, 30-27, 30-27 अंक प्रदान किए।
 
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मैरीकॉम ने अपने चिर परिचित अंदाज में खेलते हुए चीनी मुक्केबाज को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखाया। उनके दांए बांए हाथ से लगाए गए मजबूत मुक्कों का यू वु के पास कोई जवाब नहीं था।
 
विश्व चैम्पियनिशप में छह पदक जीत चुकी मैरीकॉम आत्ममुग्ध होने से बचना चाहती हैं और एक बार में एक ही मुकाबले पर ध्यान लगा रही हैं। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, यह काफी कठिन भी नहीं थी और आसान भी नहीं थी। मैं रिंग में ध्यान भंग नहीं होने देती, जिससे फायदा मिलता है। मैं उसे देखकर उसके खिलाफ खेल रही थी। चीन की मुक्केबाज काफी मजबूत हैं, लेकिन उसके खिलाफ यह मेरा पहला मुकाबला था।
 
अगले मुकाबले के बारे में उन्होंने कहा, अब मैं पदक दौर में प्रवेश कर चुकी हूं। एशियाई चैम्पियनशिप में मैंने उसको हराया था। अभी सेमीफाइनल में लड़ना है, अति आत्मविश्वास से नहीं खेलना। उसकी वीडियो का आकलन किया था, उसी के हिसाब से खेलूंगी।
 
लवलीना के लिए यह शानदार उपलब्धि है, जिन्होंने अपनी पहली विश्व चैम्पियनशिप में पदक पक्का कर लिया है, लेकिन वह स्वर्ण पदक से कम पर संतोष नहीं करना चाहती। उनके खिलाफ उतरीं ऑस्ट्रेलियाई मुक्केबाज ने ओलंपिक में पदक जीतने की मुहिम के अंतर्गत दो वजन वर्ग कम किए हैं। वह अस्ताना में 2016 में हुई विश्व चैम्पियनशिप में 81 किलोग्राम में रजत पदक जीत चुकी हैं और वेल्टरवेट में उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में अपने देश में कांस्य पदक जीता था।
 
लवलीना ने कहा, जो रणनीति बनाई थी, वैसा ही किया। खुश हूं, लेकिन मुझे स्वर्ण पदक जीतना है। ताइपे के खिलाफ मेरी सेमीफाइनल बाउट है, उसके हिसाब से रणनीति बनानी होंगी। मैं उससे पहले खेल चुकी हूं, लेकिन मैं हार गई थी। तब मैंने शुरूआत की थी और इतनी अच्छी नहीं थी।
 
दोपहर के सत्र में दूसरी भारतीय मनीषा रिंग में उतरी। वह शीर्ष वरीय के खिलाफ कहीं न कहीं अनुभव की कमी महसूस हुई। मनीषा की यह सीनियर में पहली बड़ी चैम्पियनशिप थी, लेकिन उनका मानना है कि यह अनुभव उनके लिए बहुत काम आएगा।
 
बुल्गारिया की मुक्केबाज ने शुरू से मनीषा को दबाव में रखा और कुछ बेहतरीन पंच से उन्हें कोई मौका नहीं दिया। बैंथमवेट मुक्केबाज मनीषा को शुरू से ड्रॉ में कड़े मुकाबले खेलने पडे, उन्होंने पहले दौर में विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदकधारी अमेरिका की अनुभवी क्रिस्टीना क्रूज को, फिर मौजूदा विश्व चैम्पियन कजाखस्तान की डिना जोलामैन को मात दी थी। लेकिन आज वह जीत हासिल नहीं कर सकीं।
 
वहीं फिनलैंड की शीर्ष वरीय और ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मीरा पोटकोनेन को उलटफेर का सामना करना पड़ा। वह थाईलैंड की सुदापोर्न सीसोन्दी से 1-4 से हार गईं।

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