ग़ाज़ा में UNRWA के स्कूल पर इसराइली हमले में अनेक लोग हताहत

UN
शुक्रवार, 7 जून 2024 (13:20 IST)
attack in gaza : मध्य ग़ाज़ा के नुसीरात इलाक़े में UNRWA के एक स्कूल पर इसराइली हमले में, 35 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें लगभग 14 बच्चे भी थे। संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने कहा है कि ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित एक स्कूल पर बीती रात एक इसराइली हमले में अनेक लोग हताहत हुए हैं।

इसके अलावा युद्ध के कारण बेदख़ल हुए लोगों में हैज़ा और अन्य जानलेवा बीमारियां फैलने की चेतावनी भी जारी की गई है क्योंकि उन लोगों को घातक कूड़े-कचरे के बीच रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA ने कहा है कि ‘वो ये पुष्टि कर सकती है कि उनके नुसीरत इलाक़े में स्थित एक स्कूल पर बीती रात और आज (गुरूवार) तड़के इसराइली सेनाओं ने हमला किया’

एजेंसी ने कहा है कि आरम्भिक ख़बरों के अनुसार, ‘इस हमले में मारे गए लोगों की संख्या 35 से 45 के बीच है और अनेक अन्य लोग घायल हुए हैं। इस स्तर पर एजेंसी हताहतों की सही संख्या की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है’

युद्ध की चपेट में बच्चे : ग़ाज़ा में स्थानीय अधिकारियों ने बताया है कि मध्य ग़ाज़ा में दियर अल बलाह के निकट नुसीरात शरणार्थी शिविर में स्कूल इमारत पर हुए हमले में 37 लोग मारे गए हैं। ख़बरों के अनुसार इनमें 14 बच्चे भी हैं।

मीडिया ख़बरों में इसराइली सेना के हवाले से कहा गया है कि इस हमले का उद्देश्य हमास की संचालन क्षमता को ख़त्म करना था और इस हमले को, केवल हवाई निगरानी के बाद ही हरी झंडी दी गई थी, जिसमें आम लोगों के लिए जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए गए।

UNRWA ने इस स्कूल हमले की निन्दा करने के लिए व्यक्त की गई प्रतिक्रिया में कहा कि इन आश्रय स्थलों में लगभग 6 हज़ार लोग ठहरे हुए थे। जब से युद्ध शुरू हुआ है, इस यूएन एजेंसी की 180 से अधिक इमारतों को निशाना बनाया गया है। उन इमारतो में ठहरे हुए वाले विस्थापित लोगों में से 450 से अधिक लोग मारे गए हैं। UNRWA ने कहा कि इनमें बहु संख्या ऐसे स्कूलों की है जिन्हें आश्रय स्थलों में तब्दील किया गया था।

एजेंसी ने कहा है कि उसने ‘युद्ध के सभी पक्षों को ये सूचना जारी की थी कि स्कूल और संयुक्त राष्ट्र के अन्य ठिकानों को, कभी भी सैन्य या युद्ध उद्देश्यों के लिए प्रयोग नहीं किया जाए... संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों को हर समय और हर स्थिति में सुरक्षा मुहैया कराई जाए’

घर की जगह मलबा व कूड़ा-कचरा : ये घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब मानवीय सहायता कर्मियों ने, ग़ाज़ा में पहले से ही मौजूद और गम्भीर हो रही, स्वच्छता आपात स्थिति के बारे में आगाह किया है. युद्ध से विस्थापित लोगों के पास, कूड़े-कचरे और UNRWA की ध्वस्त हो चुकी इमारतों के मलबे में रहने के बजाय, और कोई रास्ता नहीं बचा है।

यूएन एजेंसी ने मई महीने में चलाई गई राहत गतिविधियों के बारे में बताया है कि सहायता टीमों को, पिछले तीन सप्ताहों में केवल 450 ट्रक सामग्री ही प्राप्त करने की अनुमति मिली थी।

UNRWA ने कहा है, ‘विशाल ज़रूरतों को देखते हुए, ये संख्या कुछ भी नहीं है। एजेंसी ने साथ ही ज़ोर भी दिया है कि ग़ाज़ा में अकाल और मौतों को रोकने के लिए हर दिन व्यावसायिक, ईंधन और मानवीय सहायता सामग्री से भरे 600 ट्रकों की आवश्यकता है।

एजेंसी के अनुसार, ईंधन बिल्कुल ख़त्म हो रहा है: इसराइली अधिकारियों द्वारा हरी झंडी मिलने पर हमारी टीमें ईंधन का भंडार प्राप्त करने के लिए मुस्तैद हैं। UNRWA की नवीन जानकारी में कहा गया है, ‘इस समय सभी की नज़रें इस युद्ध को रोकने की ख़ातिर एक युद्धविराम लागू किए जाने बन्धकों की रिहाई और ग़ाज़ा में विशाल मात्रा में और सुरक्षित रूप में मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के प्रस्ताव पर टिकी हैं।

ग़ौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन ने 31 मई को, एक प्रस्ताव की पेशकश की थी जिसमें युद्धविराम लागू किए जाने और बन्धकों की रिहाई के लिए रास्ते सुझाए गए हैं. इस प्रस्ताव को 16 अन्य देशों का भी समर्थन हासिल है।

हैज़ा का जानलेवा फैलाव : जैसे-जैसा गर्मी बढ़ रही है, मानवीय सहायता कर्मियों ने इस स्थिति पर गम्भीर चिन्ताएं व्यक्त की हैं कि रोकथाम योग्य बीमारियां बहुत तेज़ी से फैल सकती हैं।

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन– WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि पीने के स्वच्छ पानी की क़िल्लत ने भी इन चेतावनियों को ईंधन दिया है कि हैज़ा भी तेज़ी से फैल सकता है क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, तहस-नहस हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि सघन युद्धक गतिविधियों ने रफ़ाह में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को तहस-नहस कर दिया है, जहां लाखों लोग अब भी बहुत निर्बल हालात का सामना कर रहे हैं।

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