ग़ाज़ा: विकट हुए हालात, अस्पतालों में चिकित्सा आपूर्ति की क़िल्लत

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गुरुवार, 30 मई 2024 (19:31 IST)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को चेतावनी जारी की है कि ग़ाज़ा में जारी हिंसक टकराव और इसराइली बमबारी के बीच स्थानीय अस्पतालों में अति-महत्वपूर्ण चिकित्सा सामग्री ख़त्म होती जा रही है।

फ़लस्तीन में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने बताया कि विशाल मात्रा में ज़रूरी चिकित्सा आपूर्ति वितरित की गई है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक शिविर पर इसराइली हवाई कार्रवाई की व्यापक स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय निन्दा हुई है। रविवाह को हुई इस घटना में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं।

उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ एक बातचीत में कहा कि विस्थापित लोगों पर हुआ यह हमला निन्दनीय है और यह दर्शाता है कि ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है।

यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) द्वारा एक वीडियो साझा किया गया है जिसमें एक फ़ील्ड अस्पताल में मरीज़ों का उपचार किया जा रहा है।

मोहम्मद अल ग़ूफ़ ने कहा कि जब हमला हुआ तो वो अपने बच्चों के बारे में सोच रहे थे। “मैंने उनसे सुपरमार्केट में जाने, कुछ ख़रीदारी करने और गले लगने का वादा किया था, मगर, दुर्भाग्यवश, मैं यहां हूं और वो एक अलग स्थान पर हैं’ अन्तरराष्ट्रीय मेडिकल कोर (IMC) के चिकित्सा निदेशक ने बताया कि मृतकों के अन्तिम संस्कार की तैयारी की जा रही है।

‘मैंने एक पिता के मृत शरीर को देखा, जिसने अपने बच्चों को पकड़ा हुआ है, उसकी आयु सम्भवत: तीन वर्ष की होगी। वे बुरी तरह से जले हुए हैं. हम उन्हें अलग नहीं कर सकते हैं, इसलिए, हमने दोनों को एक बॉडी बैग में रख दिया है। यह बहुत, बहुत मुश्किल है’

उचित स्वास्थ्य देखभाल का अभाव : IMC के फ़ील्ड अस्पताल में क़रीब 75 मरीज़ों का उपचार किया जा रहा है, जिनमें से 25 की हालत बेहद गम्भीर है। उन्होंने चिन्ता जताई कि जले हुए मरीज़ों और चोट के उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाओं व दवाओं की क़िल्लत है और ग़ाज़ा में पहुंच से दूर हैं।

इसराइली सेना ने इस महीने की शुरुआत में रफ़ाह में मुख्य सीमा चौकियों को अपने नियंत्रण में ले लिया था, जहां से होकर सामग्री की आपूर्ति की जाती है।

डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने कहा कि आप ग़ाज़ा में बस इतना ही कर सकते हैं। और बहुत बुरी तरह से जले हुए मामलों में ग़ाज़ा में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां उनका इलाज किया जा सके’ रफ़ाह चौकी के बन्द होने से अब तक, हमारे पास रफ़ाह में केवल तीन ट्रक आए हैं। वे केरेम शेलॉम चौकी के ज़रिये हुए और वही एकमात्र आपूर्ति है। भाग्यवश, हमारे पास अब भी कुछ सामग्री है मगर यह तेज़ी से ख़त्म होती जा रही है’

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जीवनरक्षक सहायता आपूर्ति का अभाव बेहद ख़तरनाक हो सकता है, और इसे टालने के लिए बड़े स्तर पर मानवीय सहायता क़ाफ़िलों को यहां पहुंचने की अनुमति देनी होगी।

सहायता मार्ग में अवरोध : बताया गया है कि ग़ाज़ा में प्रवेश के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के 60 ट्रक तैयार खड़े हैं। इसलिए रफ़ाह चौकी को जल्द से जल्द ना केवल मेडिकल सामान के लिए खोले जाने की ज़रूरत है बल्कि अन्य मानवीय आवश्यकताओं को पूरा किया जाना होगा।

संगठन द्वारा पहले भी चेतावनी जारी की जा चुकी है कि मौजूदा आवश्यकताओं के मद्देनज़र, पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा आपूर्ति का अभाव है और गम्भीर रूप से बीमार या घायल लोगों की ज़िन्दगियों पर जोखिम है।

डॉक्टर पीपरकोर्ट के अनुसार 10 हज़ार से अधिक मरीज़ों को ग़ाज़ा के बाहर इलाज के लिए ले जाना होगा, जिसके लिए तुरन्त परिवहन व्यवस्था का प्रबन्ध करना होगा, मगर 6 मई से रफ़ाह बन्द है। मेडिकल ज़रूरतों से किसी भी व्यक्ति को बाहर ले जाना सम्भव नहीं है।

10 लाख से अधिक विस्थापित: इस बीच, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने कहा है कि रफ़ाह शहर से पिछले तीन हफ़्तों में 9 लाख 40 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। वहीं, उत्तरी ग़ाज़ा में विस्थापितों की संख्या एक लाख बताई गई है।

यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने मंगलवार को अपने एक अपडेट में बताया कि रफ़ाह में हमले बेरोकटोक जारी हैं और लड़ाई के कारण विस्थापित हुए फ़लस्तीनी, भोजन, शरण, जल और अन्य ज़रूरी सामानों की क़िल्लत से जूझ रहे हैं। इस अपडेट में चिन्ता जताई गई है कि ग़ाज़ा में ज़रूरी मानवीय सहायता नहीं पहुंच पा रही है। केरेम शेलॉम सीमा चौकी सैद्धान्तिक तौर पर खुली है।

मगर, हिंसक टकराव, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और जटिल समन्वय प्रक्रियाओं के कारण राहत संगठनों के लिए ग़ाज़ा की दिशा से वहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल है, जिससे मानवीय राहत प्रयास प्रभावित हो रहे हैं।

यूएन एजेंसी ने बताया कि 1 मई से 26 मई के दौरान, इसराइली प्रशासन ने उन इलाक़ों के लिए 137 मानवीय सहायता मिशन को स्वीकृति दी थी, जिन्हें ग़ाज़ा में समन्वय की आवश्यकता होती।

मगर 86 मिशनों को हरी झंडी मिलने के बाद बाधा का सामना करना पड़ा या फिर उन्हें शुरू में ही नकार दिया गया, जबकि 43 मिशन स्थगित कर दिए गए।

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