अंतरिम बजट 2019 में देना बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, इलाहाबाद बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पीएसीए (प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन) से बाहर किए जाने के फैसले से बैंकिंग जगत में उत्साह देखा जा रहा है।
बजट के दौरान वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और OBC (ऑरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स) को पीएसीए (प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन) से पहले ही बाहर कर रखा है और अब हम आठ और बैंक को इससे बाहर कर देंगे।
इसका फायदा सीधे तौर पर लोन मिलने में आसानी और भर्तियों के रूप में रोजगार को बढ़ाने में मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इन सरकारी बैंकों को आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (PCA) के दायरे में ला दिया था। आरबीआई ने कहा है कि पीएसीए में शामिल बैंकों की वित्तीय हालत जब तक नहीं सुधरती, तब तक ये कोई बड़ा नया कर्ज नहीं दे सकते हैं।
कौन से प्रतिबंध लगते हैं: जो बैंक PCA या रिस्क कैटेगरी टू में रखे जाते हैं वे न तो नई शाखा खोल पाते हैं और न ही लोन दे पाते हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण है जब आरबीआई ने देना बैंक पर नया कर्ज देने पर रोक लगा दी है।
इसके अलावा वे ऊंची ब्याज दर पर जमाराशि भी नहीं ले पाते हैं। इन बैंकों में भर्तियों पर भी रोक लग जाती है। आरबीआई इन बैंकों का स्पेशल ऑडिट कराता है और इन बैंकों के प्रमोटरों यानी मालिकों को बैंकों की माली हालत सुधारने और भरोसा जमाने के लिए अतिरिक्त पूंजी भी लगानी पड़ती है।