पूर्ण बजट में 5 लाख से ऊपर कमाने वालों को मिल सकती है कर से छूट, गोयल का संकेत

Webdunia
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019 (21:38 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार चुनावों के बाद पेश होने वाले पूर्ण बजट में 5 लाख रुपए सालाना से अधिक आय वालों को राहत देने पर विचार कर सकती है। गोयल ने अंतरिम बजट पेश करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि 5 लाख रुपए से ऊपर आय वालों के लिए कर दरों और सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगली सरकार मुख्य बजट में अन्य कर प्रस्तावों पर विचार करेगी।
 
 
उन्होंने कहा कि चुनाव के चलते मेरे पास अंतरिम बजट पेश करने की मजबूरी थी। हालांकि कई ऐसी चीजें थीं जिनके लिए हम अंतिम बजट का इंतजार नहीं कर सकते थे, खासकर छोटे करदाताओं को राहत देने के मामले में। बाकी चीजों पर जुलाई 2019 में वित्तमंत्री निर्णय लेंगे।
 
गोयल ने 5 लाख रुपए तक की आय वालों को कर राहत देने पर कहा कि नव-मध्यम वर्ग को अपने भविष्य की कर देनदारियों और रिफंड प्रक्रिया से होने वाली बचत को लेकर स्पष्टता की जरूरत है इसलिए हमने इस श्रेणी के लोगों को लाभ दिया है। वित्तमंत्री ने कहा कि इस श्रेणी में आने वाले लोग कर दायरे से बाहर होंगे। गोयल ने कहा कि कर संग्रह में सुधार के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
 
उन्होंने कहा कि आयकर विभाग अब ऑनलाइन काम कर रहा है। रिटर्न, आकलन, रिफंड और समस्याएं सारे काम ऑनलाइन किए जाते हैं। पिछले साल दाखिल किए गए कुल रिटर्न में से 99.54 प्रतिशत आयकर रिटर्न स्वीकृत हो गए थे।
 
गोयल ने कहा कि सरकार ने अब आयकर विभाग को ज्यादा अनुकूल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित परियोजना को मंजूरी दी है और इसके बाद सभी रिटर्न 24 घंटे में प्रसंस्कृत होंगे और रिफंड भी इसके साथ ही जारी होगा। अगले 2 वर्षों में रिटर्न के सत्यापन और आकलन का पूरा काम इलेक्ट्रॉनिक रूप से होगा और करदाताओं तथा कर अधिकारियों के आमने-सामने आने की गुंजाइश काफी हद तक कम हो जाएगी।
 
किसानों के लिए आय समर्थन योजना पर गोयल ने कहा कि यह योजना उन किसानों के लिए है जिनके पास ज्यादा से ज्यादा 5 एकड़ यानी 2 हैक्टेयर तक भूमि है। आय योजना का सब्सिडी के साथ कोई लेना-देना नहीं है। राजकोषीय घाटे पर वित्तमंत्री ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के जो नए आंकड़े उभर रहे हैं, उनको देखते हुए राजकोषीय घाटे को कम करने की आगे की दिशा में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। (भाषा)

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