वित्त मंत्री सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, जानिए 10 खास बातें

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 (14:56 IST)
economic survey : मजबूत बुनियाद, सूझ-बूझ वाली राजकोषीय मजबूती का खाका और निजी खपत बने रहने के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
 
समीक्षा में कहा गया है कि मजबूत बाह्य खाते, सूझ-बूझ वाली राजकोषीय मजबूती का खाका, निजी खपत बने रहने के साथ घरेलू अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई हैं। इसके साथ हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.3 और 6.8 प्रतिशत के बीच रहेगी।
 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीतिक और विवेकपूर्ण नीतिगत प्रबंधन के साथ घरेलू बुनियाद को और मजबूत करने की जरूरत होगी। इसमें कहा गया है कि अधिक सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और कारोबार को लेकर उम्मीद में सुधार से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।
 
समीक्षा में मुद्रास्फीति के संबंध में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में जिंस की ऊंची कीमतों को लेकर जोखिम सीमित जान पड़ता है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर दबाव अब भी एक मुद्दा है।
 
सब्जियों की कीमतों में मौसमी आधार पर कमी और खरीफ फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है।

भारतीय डेटा सेंटर बाजार 11.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान : संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार भारत के डेटा सेंटर बाजार के 2032 तक 11.6 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। वर्ष 2023 में यह 4.5 अरब डॉलर था। समीक्षा कहती है कि भारत के डेटा सेंटर बाजार में पर्याप्त वृद्धि हो रही है, जिसे बुनियादी ढांचे के विस्तार और डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग से बल मिला है।
 
कैसे बढ़ेगा दलहन, तिलहन का उत्पादन : चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए बजट-पूर्व दस्तावेज में अनाज के अधिक उत्पादन को हतोत्साहित करने तथा दलहन एवं खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार करने का सुझाव दिया गया है। देश दलहन और खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए फिलहाल आयात पर निर्भर है। किसानों को बाजार से बिना किसी बाधा के मूल्य संकेत प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए, साथ ही कमजोर परिवारों की सुरक्षा के लिए अलग तंत्र होना चाहिए। दस्तावेज में तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों की रूपरेखा दी गई है - मूल्य जोखिम हेजिंग के लिए बाजार तंत्र स्थापित करना, अत्यधिक उर्वरक उपयोग को रोकना तथा ऐसी फसलों के उत्पादन को हतोत्साहित करना जिनमें बिजली और पानी की जबर्दस्त खपत होती है।
 
जानिए आर्थिक सर्वे की 10 खास बातें
-भारतीय अर्थव्यवस्था के 2024-25 में 6.3 से 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान
-मजबूत बाह्य खाता और स्थिर निजी खपत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत
-वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं। भू-राजनीतिक और व्यापार अनिश्चितताएं वृद्धि के मार्ग की प्रमुख बाधाएं।
-चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति के नरम पड़ने की संभावना, सब्जियों की कीमतों में गिरावट, खरीफ फसलों की आवक से मिलेगी मदद।
-वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक, सूझ-बूझ और नीतिगत प्रबंधन के साथ घरेलू बुनियाद को और मजबूत करने की जरूरत होगी। 
-वित्त वर्ष 2025-26 में जिंस की ऊंची कीमतों से मुद्रास्फीति का जोखिम सीमित लगता है, भू-राजनीतिक दबाव अब भी जोखिम उत्पन्न कर रहा है
-दिवाला कानून के निवारक प्रभाव ने हजारों देनदारों को शुरुआती चरण में ही संकट से बाहर निकलने में मदद की।
-एआई के लिए उचित शासन ढांचे की कमी से प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग होने की आशंका।
-भारत को जमीनी स्तर के संरचनात्मक सुधारों, नियमन को शिथिल करते हुए अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बेहतर करने की जरूरत।

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