2 दशक बाद चुनाव मैदान में आई माकपा ने बनाई चुनावी रणनीति

संदीप श्रीवास्तव
फैज़ाबाद। जिले में एक समय ऐसा भी था जब मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का झंडा लगातार तीन दशक से अधिक समय तक गड़ा रहा। इसका श्रेय फैज़ाबाद जिले के मलकीपुर विधानसभा क्षेत्र के निवासी स्व. बाबू मित्रसेन यादव है, जिन्होंने अपनी राजनीति वामपंथी सियासत से वर्ष 1957 में माक्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से शुरू की तो पार्टी का परचम लगातार तीन दशक से अधिक समय तक जिले में फहराए रखा व चार बार माकपा से ही विधायक व एक बार संसद चुने गए। 
 
पार्टी में प्रदेश कमेटी में सर्वोच्च पद राज्य सचिव को सुशोभित भी किया। उस दौरान फैज़ाबाद ही नहीं बल्कि फैज़ाबाद की माकपा की धमक उसके आसपास के जिलों तक गूंजती थी, किंतु वर्ष 1993 में मित्रसेन यादव माकपा छोड़ सपा का दामन थामने के बाद से माकपा का अस्तित्व ही खत्म-सा हो गया। 
 
केवल केवल पार्टी थाना प्रति तक ही सिमट गई जिले में, किंतु  फिर से दो दशक के लंबे अंतराल के बाद पार्टी दम भरते हुए फैज़ाबाद जिले में एक से अधिक विधानसभा तीन विधानसभाओं में अपने प्रत्याशी उतारे हैं और अब सियाशी दांव-पेंच व रणनीति भी चलनी शुरू कर दी है।  

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