पहले चरण का चुनाव प्रचार थमा, मुलायम रहे इससे अलग

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लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण उत्तरप्रदेश विधानसभा के पहले चरण के चुनाव क्षेत्रों में प्रचार अभियान गुरुवार को थम गया। इस चरण में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर 11 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 
इस चरण में संवेदनशील मुजफ्फरनगर, शामली, अलीगढ़, बुलंदशहर, मथुरा और आगरा जैसे संवेदनशील जिलों के साथ ही बहुचर्चित बिसाहड़ा गांव में भी चुनाव होगा। पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार प्रथम चरण में केंद्रीय बलों की 826 कंपनियां तैनात की जाएंगी।
 
इस चरण में यूं तो प्रधानमंत्री समेत सभी पार्टियों के नेताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, लेकिन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का चुनाव प्रचार से अलग रहना चर्चा का विषय रहा। चुनाव प्रचार से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अपने को दूर रखा है लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी सांसद डिम्पल यादव की सभाओं में खूब भीड़ उमड़ रही है। वे पति के समर्थकों से 'अपने भैया को एक बार फिर मुख्यमंत्री बना दो' जैसी मार्मिक अपील कर रही हैं। उनके साथ सभाओं में राज्यसभा सदस्य और मशहूर अदाकारा जया बच्चन भी देखी गईं।
 
देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जोड़ी देखी जा रही है। प्रथम चरण के चुनाव क्षेत्रों मेरठ और आगरा में दोनों ने संयुक्त रैली की। कुछ स्थानों पर मिलकर रोड शो किया। इन्हें देखने वालों का तांता लगा रहा, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि आने वाले सभी लोग वोट भी देंगे।
 
पहले चरण के चुनाव में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के बीच मुकाबला माना जा रहा है। रालोद के लिए यह चरण जीवन-मरण का प्रश्न है, क्योंकि पहले और दूसरे चरण में ही रालोद की सीटें निकलने की संभावना है। पश्चिम की अपेक्षा राज्य के पूर्वी और मध्य इलाकों में उसका प्रभाव नहीं के बराबर है इसलिए दोनों ही चरण उसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
 
चुनाव प्रचार के दौरान गठबंधन के दोनों बड़े नेताओं राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मूल रूप से विकास का मुद्दा उठाया। भाजपा पर हमले भी किए लेकिन भाजपा ने विकास के साथ ही मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों, कैराना और उसके आसपास से संप्रदाय विशेष के पलायन का खासतौर पर जिक्र किया। गैरभाजपा दलों ने इसे सांप्रदायिक आधार पर मतों के ध्रुवीकरण का प्रयास माना लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विरोधी दलों के आरोपों को दरकिनार करते हुए बिसाहड़ा गांव में सभा तक कर डाली।
 
इस चरण में कुल 836 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें 20 फीसद पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं जबकि 36 फीसदी करोड़पति हैं। 'जाटलैंड और गन्ना क्षेत्र' के नाम से मशहूर इस इलाके में नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियां हुईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 फरवरी को मेरठ, 5 फरवरी को अलीगढ़ और बुधवार को गाजियाबाद में जनसभा को संबोधित किया।
 
बसपा अध्यक्ष मायावती, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी जनसभाओं को संबोधित किया। भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी भाजपा उम्मीदवारों को जिताने के लिए लगी हुई हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने दामाद राहुल यादव के समर्थन में गौतम बुद्ध नगर में प्रचार किया। प्रथम चरण की 73 सीटों में से 59 पर राष्ट्रीय लोकदल चुनाव लड़ रहा है। रालोद प्रत्याशियों के समर्थन में चौधरी अजित सिंह, उनके पुत्र जयंत चौधरी और पुत्रवधू चारु चौधरी जोर-शोर से प्रचार में लगी रहीं।
 
राज्य विधानसभा के आम चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ रही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी प्रचार में जुटे हैं। उन्होंने कई रैलियां कीं। उनकी ज्यादातर रैलियां मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में आयोजित हुईं। प्रथम चरण की अतिविशिष्ट सीट नोएडा मानी जा रही है, जहां से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ के पुत्र पंकज सिंह भाजपा उम्मीदवार के रूप में पहली बार विधानसभा जाने की जुगत में हैं।
 
अलीगढ़ की अतरौली सीट भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि वहां से राजस्थान के राज्यपाल और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। संदीप सिंह के पिता राजवीर सिंह सांसद हैं। कैराना सीट से भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं। सिंह ने हाल ही में पलायन का मुद्दा उठाकर इस क्षेत्र को सुर्खियों में ला दिया था। मेरठ की सरधना और शामली की थानाभवन सीट पर भी लोगों की नजरें हैं, क्योंकि इस पर मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी संगीत सोम और सुरेश राणा भाजपा उम्मीदवार हैं। ये दोनों विधायक भी हैं।
 
मथुरा सीट से चौथी बार विधानसभा में प्रवेश की कोशिश में लगे कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर को भाजपा प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा से कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी मेरठ शहर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में इन क्षेत्रों में आमतौर पर जाट और मुस्लिम एकजुट होकर राष्ट्रीय लोकदल के पक्ष में मतदान करते थे लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद दोनों की एकजुटता में काफी कमी आई है। इससे लगता है कि चुनाव में दोनों अलग-अलग उम्मीदवारों को मतदान करेंगे।
 
इस क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर भाजपा और बसपा में सीधी टक्कर होने की संभावना है लेकिन कई स्थानों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन और रालोद के उम्मीदवार भी अपने विरोधियों के सामने भारी पड़ रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बसपा ने विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 100 पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा इस समीकरण के जरिए दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाने की फिराक में है, लेकिन कांग्रेस सपा गठबंधन की वजह से मुस्लिम मतदाताओं का एक समूह इस ओर भी आकर्षित हो रहा है। प्रथम चरण में कानून व्यवस्था, गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान, विकास और नोटबंदी मुख्य रूप से प्रचार के केंद्रबिंदु रहे।
 
वर्ष 2012 विधानसभा के चुनाव में पहले चरण की 73 सीटों में से 24 पर सपा, 23 पर बसपा, 12 पर भाजपा, 9 पर रालोद और 5 पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। (वार्ता)
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