मेरठ में एक वन विभाग के दरोगा अजित भड़ाना ने भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा दे दिया है। इस दरोगा ने राज्य सरकार में मंत्री दिनेश खटीक व सरधना संगीत सोम पर धमकाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने एक राजनीतिक मंच पर बोलते कहा कि विधायक, मंत्री धमकाकर वोट मांगते हैं। बीजेपी वालों ने खून पी रखा है। उनसे परेशान होकर नौकरी छोड़ रहा हूं। समाज के लिए नौकरी से इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि अब यह वर्दी भाजपा को सौंप देंगे।
बुलंदशहर में तैनात वन दरोगा अजित भड़ाना ने भरी सभा में अपनी वर्दी उतारने के बाद गठबंधन रालोद-सपा प्रत्याशी योगेश वर्मा का सभा में ही दामन भी थाम लिया। योगेश वर्मा समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं और धनबल से मजबूत हैं।
अजित भड़ाना सभा में माइक थामे कह रहे थे कि बीजेपी के लोग डरा-धमकाकर वोट मांगते हैं और जब मना किया और कहा कि ये लोग बुरा-भला बोलते हैं, इसलिए वोट नहीं देंगे तो संगीत सोम और मंत्री दिनेश खटीक की तरफ से उनके लोगों ने फोन पर भुगत लेने की धमकी दी है।
भड़ाना ने कहा कि मैं इनकी धमकियों से परेशान होकर सरकारी नौकरी छोड़ रहा हूं। भड़ाना ने कहा कि सरकारी नौकरी है कहां, बड़ी मुश्किल से नौकरी मिली थी, लेकिन भाजपा वाले नौकरी छीन रहे हैं। इनकी ज्यादती से परेशान होकर भरी सभा में त्याग पत्र दे रहा हूं।
मेरठ में वन दरोगा अजित भड़ाना ने हस्तिनापुर से सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार योगेश वर्मा के सामने अपनी दास्तान सुनाते हुए बोले कि मेरे पास भाजपा नेता अशोक कटारिया का फोन आया, पूछा कहां हो। मैंने बताया ड्यूटी कर रहा हूं, तो बोले वोट किसे दे रहे हो। मैं बोला कि आपके विधायक गाली देते हैं, हम उनकी गाली भी सुनें और वोट भी उन्हें दें।
उन्होंने कहा कि कभी दिनेश खटीक, कभी संगीत सोम के यहां से फोन आता है, धमकाते हैं। परेशान हो गया हूं मैं। भाजपा के लोग गुर्जर समाज के लिए कुछ नहीं करते हैं, ये गुर्जर समाज के नहीं है। इसलिए अपने विभाग को इस्तीफा भेज दिया है।
गौरतलब है कि संगीत सोम सरधना वर्तमान में सरधना से भाजपा विधायक हैं और भाजपा प्रत्याशी 2022 भी हैं। वहीं हस्तिनापुर से भाजपा के राज्यमंत्री दिनेश खटीक हैं और हस्तिनापुर विधानसभा सीट के बीजेपी प्रत्याशी भी है। भड़ाना ने भाजपा के मंत्री और विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
हालांकि बीजेपी के किसी बड़े नेता या संगीत सोम और दिनेश खटीक की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। वहीं वन विभाग की तरफ से सूचना नहीं मिल पाई है कि इस्तीफा मंजूर हुआ है या नहीं।
अजित सिंह ने जिस तरह से सपा की भरी सभा में वर्दी उतारते हुए इस्तीफा दिया है, वह भी सोचने पर मजबूर करता है कि यदि वह परेशान थे तो अपने उच्चाधिकारियों से शिकायत क्यों नहीं की। भाजपा सत्ता से नाराज होकर सपा का दामन थामना राजनीति से प्रेरित कदम लगता है।