Ground Report : मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट पर क्या भाजपा की होगी हैट्रिक

हिमा अग्रवाल
बुधवार, 12 जनवरी 2022 (10:47 IST)
मिशन 2022 में विजय ध्वज फहराने के सभी राजनीतिक पार्टियों ने जोर-शोर के साथ मैदान में डट गई है। वही यूपी में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। हालांकि कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने फिलहाल कुछ समय के लिए रैलियों और राजनीतिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी है। सभी दल अपना चुनावी प्रचार-प्रसार वर्चुअल कर सकते हैं।
 
चुनाव घोषणा से पहले भारतीय जनता पार्टी और सपा-रालोद ने गठबंधन के तहत जनसभा, रैलियां और रोड शो करते निकालते हुए चुनावी मैदान तैयार किया। लेकिन इस दौरान बहन मायावती बिल्कुल शांत नजर आई। अब कोरोना ने जनता के मूड को भांपने पर ब्रेक लगा दिया है। ऐसे में राजनीतिक दल जनता की नब्ज टटोलने और उन तक कैसे पहुंचे के मथन पर जुटे हैं। वही सत्ता पर कौन काबिज होगा, इसका फैसला तो जनता ही करेगी।

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मेरठ की मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट (Meerut South Seat) का क्या गणित है और क्या मुद्दे, ये जानने की कोशिश करते है। मेरठ की सात विधानसभाओं में मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट मतदाताओं के लिहाज विशाल और सबसे बड़ी विधानसभा सीट है।
 
मेरठ दक्षिण सीट का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। सन् 2008 में नए परिसीमन के बाद मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। पहली बार 2012 में आस्तित्व में आई विधानसभा संख्या 49 मेरठ दक्षिण ने अब तक कुल जमा 2 विधानसभा चुनाव देखें हैं। सन् 2012 में मेरठ दक्षिण विधानसभा से पहले विधायक पाने के लिए चुनाव हुआ था। इस सीट पर दोनों ही बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजय रथ पर सवार हुए है।
 
2012 में मेरठ दक्षिण सीट पर पहली बार भाजपा के रविन्द्र भड़ाना ने बसपा के हाजी अखलाक से टक्कर लेते हुए लगभग 10 वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की थी। हाजी राशिद अखलाक के हार का एक कारण यह भी रहा कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने भी यहां से मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किये थे, मुस्लिम वोटों का विभाजन कमल खिलाने में कामयाब रहा। अगर इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का बिखराव होगा उसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा।
 
मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट पर 2017 में भाजपा के सतेंद्र तोमर ने भगवा फहराते हुए बार फिर से कमल है। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा का कड़ा मुकबला बहुजन समाजवादी पार्टी के हाजी याकूब से रहा। इस बार सोमेंद्र तोमर ने याकूब कुरैशी को 35 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की। इस बार बीजेपी के सोमेंद्र तोमर को 1 लाख 13 हजार 86 वोट मिले और बसपा के याकूब कुरैशी को 77 हजार 727 वोट मिले थे। तीसरे नम्बर पर कांग्रेस-सपा ने गठबंधन के तहत आजाद सैफी और चौथे स्थान पर आरएलडी के पप्पू गुर्जर रहे थे।

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मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र मेरठ की सातों विधानसभा में मतदाताओं के हिसाब से सबसे क्षेत्र है। मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है, यहां पर लगभग 80 हजार मुस्लिम मतदाता है लेकिन अनुसूचित जाति, वैश्य और जैन मतदाताओं की संख्या लगभग 45-45 हजार के निकट है। जाट, गुर्जर, ब्राह्मण वोटर भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं। जैन, सैनी, प्रजापति, पाल, यादव, सिख भी यहां चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते स्थिति में हैं।
 
यहां कुल मतदाताओं की संख्या 4,74,512 है। जिसमें 2 लाख 57 हजार 976 पुरुष वोटर, 2 लाख 16 हजार 515 महिला वोटर और 211 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। इस सीट पर शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र काफी विस्तृत है। इस सीट की प्रमुख समस्याएं है, बेरोजगारी, अपराध, सड़के, कानून व्यवस्था और सुरक्षा है।
 
वही मेरठ दक्षिण विधानसभा में बड़ क्षेत्र परतापुर, मोहकमपुर इंडस्ट्रियल है, बड़ी कंपनियों और खेल के समान यहां बनते है, हवाई पट्टी भी यही स्थित है। इसी क्षेत्र में प्रसिद्ध गगोल तीर्थ, मंशा देवी मंदिर और सरदार बल्लभ भाई पटेल मेरठ मेडिकल कालेज स्थापित है। यहां के वर्तमान भाजपा विधायक सोमेंद्र तोमर फिर से दावेदारी की लाइन में है। वहीं विपक्ष मुस्लिम प्रत्याशी लाने की तैयारी कर रहा है। अब देखना होगा कि इस सीट पर पुनः कमल खिलेगा या गठबंधन का रंग जमेगा।

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