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PM मोदी का इंटरव्यू : अखिलेश-जयंत पर साधा निशाना, संसद में पं. नेहरू के नाम लेने के सवाल का दिया यह जवाब

हमें फॉलो करें PM मोदी का इंटरव्यू : अखिलेश-जयंत पर साधा निशाना, संसद में पं. नेहरू के नाम लेने के सवाल का दिया यह जवाब
, बुधवार, 9 फ़रवरी 2022 (20:14 IST)
नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव में मतदान से 12 घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश सहित 5 राज्यों में जीत का दावा किया है। प्रधानमंत्री ने बुधवार को न्यूज एजेंसी एएनआई को इंटरव्यू में कहा कि एक मैं इस चुनाव में सभी राज्यों में देख रहा हूं कि भाजपा के प्रति लहर है। हम 5 राज्यों में भारी बहुमत से जीतेंगे। हमें सेवा का मौका इन सभी 5 राज्यों की जनता देगी।

जिन राज्यों ने हमें सेवा का मौका मिला है उन्होंने हमें परखा है, हमारे काम को देखा है।  प्रधानमंत्री मोदी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और जयंत चौधरी का नाम लिए बिना हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमने पहले भी दो लड़कों का खेल देखा था। उनमें इतना अहंकार था कि उन्होंने 'गुजरात के दो गढ़े (गधे)' शब्दों का प्रयोग किया। उत्तरप्रदेश ने उन्हें सबक सिखाया।
एक बार उनके साथ 'दो लड़के' और एक 'बुआजी' थे। फिर भी, यह उनके लिए कारगर नहीं हुआ। संसद में जवाहरलाल नेहरू को लेकर दिए बयान पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने किसी के पिता, माता, नाना, दादा के लिए कुछ नहीं कहा। मैंने देश के प्रधानमंत्री ने क्या कहा, वो कहा है। मैंने बताया कि एक प्रधानमंत्री के ये विचार थे तब क्या स्थिति थी और आज प्रधानमंत्री के ये विचार हैं तब क्या स्थिति है।

क्या प्रधानमंत्री ने
इस देश के लोकतंत्र का ये सबसे पहला कर्तव्य बनता है कि जनता के साथ संवाद करते ही रहना चाहिए, हम लगातार संवाद करते हैं। हर किसी को मुझे और मेरी सरकार को भी सुनना चाहिए और बातचीत करनी ही चाहिए।
 
कांग्रेस की कार्यशैली और विचारधारा के आधार सम्प्रदायवाद, जातिवाद, भाषावाद, प्रांतवाद, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार हैं। अगर यही इस देश की मुख्य धारा में रहेगा तो देश का कितना बड़ा नुकसान होगा। देश की आज जो हालत है उसमें सबसे जिम्मेदार कोई मुख्यधारा है तो वह कांग्रेस है।
 
परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र की सबसे बड़ी दुश्मन है, क्योंकि लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों को ही यह नकारता है। जब परिवारवादी राजनीति चलती है, परिवार को बचाओ देश बचे न बचे, पार्टी बचे न बचे ये जब होता है तब सबसे नुकसान टैलेंट का होता है। सार्वजनिक जीवन में जितनी ज्यादा अधिक टैलेंट आये ये बहुत जरूरी है। इसलिए राजनीतिक दलों का लोकतंत्रीकरण बहुत आवश्यक है।

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