नज़्म - कली का मसलना देखा

Webdunia
शकुंतला सरुपरिया 
 
रात के पिछले पहर मैंने वो सपना देखा 
खि‍लने से पहले, कली का वो मसलना देखा 
 
एक मासूम कली, कोख में मां के लेटी 
सिर्फ गुनाह कि नहीं बेटा, वो थी इक बेटी
सोचे बाबुल कि जमाने में होगी हेटी 
बेटी आएगी पराए धन की एक पेटी 
 
सुबह-सांझ बाबा का बेटा-बेटा रटना देखा 
तन्हा मां के तब कलेजे का यूं फटना देखा 
 
दादी चाहे कि एक पोते की ही दादी वो बने 
दादा चाहे कि मेरे वंश में, बेटी न जने 
मां की मजबूरी, कि बिनती वो उल्टी ही गिने 
जां बचाने को कायरता में, हाथ खून ने सने 
 
खुद की लाचारी में एक मां का कलपना देखा 
आंखों से अश्क नहीं खून का टपकना देखा 
 
बेईमानी से उसे कोख में पहचाना गया 
फिर किसी जख़्म की मानिंद कुरेदा भी गया 
अनगढ़े हाथों को, पैरों को कुचल काटा गया 
नैनों को, होंठो को, गालों को नोंचा भी गया 
 
कितना आसान है, बेटी का यूं मरना देखा 
कोख में कत्ल हुई, बेटी का तड़पना देखा 
 
क्या मिला तुमको, बताओ ऐ जमाने वालों 
बेटे को बेटी से बेहतर बताने वालों 
किसी की मजबूर-सी मां को यूं दबाने वालों 
लम्हा-लम्हा किसी के प्राण मिटाने वालों 
 
किसी सीता का फिर अग्नि से, गुज़रना देखा 
द्रौपदी-सा किसी का दांव पे लगना देखा 
सबने खुदगर्जी में बस मतलब देखा 
कैसे बर्बाद, वतन होगा ये अपना देखा 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

रानी अहिल्याबाई के पति की मौत कैसे हुई थी?

लोकमाता देवी अहिल्याबाईः सुशासन और महिला स्वावलंबन की प्रणेता

ट्रंप क्यों नहीं चाहते Apple अपने प्रोडक्ट भारत में बनाए?

क्यों पद्मश्री से नवाजे गए ब्राजील के वेदांत आचार्य जोनास मसेट्टी? जानिए एक विदेशी आचार्य की प्रेरणादायक कहानी

जैव विविधता पर कविता : मैं अब भी प्रतीक्षा में हूं