जन्नत पुकारती है...

Webdunia
- मुनव्वर राना
FILE

एक बार फिर से मिट्टी की सूरत करो मुझे
इज्जत के साथ दुनिया से रुख्सत करो मुझे

जन्नत पुकारती है कि मैं हूं तेरे लिए
दुनिया गले पड़ी है कि जन्नत करो मुझे

हमारी बेरुखी की देन है बाजार की जीनत
अगर हम में वफा होती तो ये कोठा नहीं होता

न दिल राजी न वह राजी तो काहे की इबादत है
किए जाता हूं मैं सज्दा मगर सज्दा नहीं होता

फकीरों की ये बस्ती है फरावानी नहीं होगी
मगर जब तक रहोगे हां परेशानी नहीं होगी

( फरावानी-समृद्धि, आसानी से उपलब्ध होना)

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

दादी-नानी की भोजन की ये 8 आदतें सेहत के लिए हैं बहुत लाभकारी

ये है सनबर्न का अचूक आयुर्वेदिक इलाज

गर्मियों में ट्राई करें ये 5 लिपस्टिक शेड्स, हर इंडियन स्किन टोन पर लगेंगे खूबसूरत

गर्मियों में हाथों को खूबसूरत बनाएंगे ये 5 तरह के नेल आर्ट

आखिर भारत कैसे बना धार्मिक अल्पसंख्यकों का सुरक्षित ठिकाना

सभी देखें

नवीनतम

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

कैसे बनाएं बीटरूट का स्वादिष्ट चीला, नोट करें रेसिपी

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

घर में बनाएं केमिकल फ्री ब्लश

बच्चे के शरीर में है पोषक तत्वों की कमी अपनाएं ये 3 टिप्स