गजल : छलकते जाम

Webdunia
निशा माथुर
 
 
गोया वो मदहोश होकर मेरी कसमों से यूं मुकर से जाते है 
जब मयकदे में उनके आगे आशि‍की में जाम छलक जाते हैं
 
इक पल को मुस्करा जाता है चेहरा मेरा बोतल की साकी में  
और प्याला हाथों से उलझ जाता है फिर यारि‍यां निभाने में
 

 
वो फिर चुपके से मेरे वादों से अपनी नजरें भी चुरा लेते हैं 
जब मयखाने के छलकते जाम उनके होठों तक आ जाते हैं
 
प्यालों में कायनात-सी नजर आ जाती है बेपनाह मोहब्बत मेरी  
निगाहें छलक जाती है दो घूंट भर के ऐसी मदहोशि‍यां निभाने में
 
अब वो मेरी झूठी-झूठी कसमों पे अपनी बेफवाई का सिला देते हैं 
और जाम पे जाम वो भी उल्फत के नाम भर-भर के पी जाते हैं
 
कसूर है क्या, नशा मयस्सर है और इसमें ये निशा ही डूबती उतराती है 
कसमों से वफा कैसे करूं, शराब में जालिम तेरी तस्वीर नजर आती है
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन्फ्लेमेशन बढ़ने पर शरीर में नजर आते हैं ये लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

आपको डायबिटीज नहीं है लेकिन बढ़ सकता है ब्लड शुगर लेवल?, जानिए कारण, लक्षण और बचाव

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जानिए उनके जीवन की रोचक बातें

भोलेनाथ के हैं भक्त तो अपने बेटे का नामकरण करें महादेव के इन सुन्दर नामों पर, सदा मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

क्यों फ्लाइट से ऑफिस जाती है ये महिला, रोज 600 किमी सफर तय कर बनीं वर्क और लाइफ बैलेंस की अनोखी मिसाल

सभी देखें

नवीनतम

जानिए अल्कोहल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स की सच्चाई, कितने हैं आपकी त्वचा के लिए सेफ

इन फलों के छिलकों को फेंकने के बजाए बनाएं शानदार हेअर टॉनिक, बाल बनेंगे सॉफ्ट और शाइनी

बच्चे कर रहे हैं एग्जाम की तैयारी तो मेमोरी बढ़ाने के लिए खिलाएं ये सुपर फूड

क्या आप भी हैं भूलने की आदत से परेशान, तो हल्दी खाकर बढ़ाएं अपनी याददाश्त, जानिए सेवन का सही तरीका

डायबिटीज और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए खाएं मेथीदाने की खिचड़ी, नोट कर लें आसान रेसिपी