हिन्दी ग़जल : लगाया दांव पर दिल को...

Webdunia
- ठाकुर दास' सिद्ध'


 
लगाया दांव पर दिल को जुआरी है,
मगर हारा कि दिल क्या, जान हारी है।
 
पयामे-यार आना था नहीं आया,
कहें किससे कि कितनी बेकरारी है।
 
झुकाकर सर खड़े होना जरूरी सा,
जहां सरकार की निकली सवारी है।
 
कभी इक पल नजर थी जाम पर डाली,
अभी तक, मुद्दतें गुजरीं, खुमारी है।
 
तलाशें क्यों कहीं अब दूसरा दुश्मन,
हमारी जब हमीं से जंग जारी है।
 
कही इक नासमझ ने आज ये सबसे,
समझ में आ गई अब बात सारी है।
 
मुखातिब है जमाने की हंसी से यूं,
कभी सहमी नहीं ईमानदारी है।
 
मेरी मौजूदगी में चुप खड़े थे सब,
चला आया कि फिर चर्चा हमारी है।
 
लगे कैसे नहीं तीखी जमाने को,
अजी ये' सिद्ध' की नगमा निगारी है।

 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

मिलिंद सोमन की मां 85 साल की उम्र में कैसे रखती हैं खुद को इतना फिट, जानिए उनके फिटनेस सीक्रेट

फिर से फैल रहा है कोरोना, रखें ये 6 सावधानियां

ये हेल्दी फैट्स हार्ट को रखते हैं दुरुस्त, कोलेस्ट्रॉल भी रहता है कंट्रोल

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम और महत्व

05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस, जानें पर्यावरण संरक्षण पर 20 प्रेरणादायक और प्रभावी स्लोगन

अगला लेख