हमारा शरीर घोवों, चोटों या बर्न को खुद ही ठीक करने में सक्षम है, परंतु हर व्यक्ति में हिलिंग की प्रक्रिया, खासतौर पर डायबटीज के पेशेंट्स में दूसरों के मुकाबले स्लो होती है। डायबटीज हिलिंग प्रक्रिया को धीमा कर देता है जिसकी वजह से घोवों को ठीक होने में लंबा समय लगता है एवं इन्फेक्शन का रिस्क भी ज्यादा होता है।
Caltech के वैज्ञानिकों ने बायो-सेंसर व प्रिंटेड सर्किट से लैस बैंडेज को विकसित किया है जिसकी वजह से क्रोनिक घावों का इलाज कर पाना आसान, असरदार एवं कम महंगा होगा। इन 'स्मार्ट बैंडेज' को Wei Gao की लैब में विकसित किया गया है। वेई मेडिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर व हेरिटेज मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के इंवेस्टिगेटर हैं। उनका कहना है कि आज के दौर में एक ऐसी टेक्नोलॉजी की डिमांड है, जो रिकवरी को आसान बना सके।
अब शोधकर्ताओं ने ऐसा डिवाइज विकसित किया है, जो कि स्ट्रेचेबल, वायरलेस, बायोइलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस है। यह बैंडेज 3 हिस्सों में काम करता है। पहला कि यह घाव से एकत्रित डाटा को वायरलैसली कम्प्यूटर या मोबाइल पर पेशेंट या मेडिकल प्रोफेश्नल को ट्रांसमिट कर देगा।
दूसरा कि यह एंटीबायोटिक या बैंडेज में स्टोर की गई दूसरी मेडिकेशन को सीधा इन्फेक्शन या इन्फ्लेमेशन की जगह पर लगा देगा। तीसरा कि यह लो-लेवल इलेक्ट्रिकल फील्ड का निर्माण कर सकता है जिससे टिशू की ग्रोथ बढ़ेगी और जल्द से जल्द हिलिंग हो जाएगी। इस रिसर्च की फंडिंग नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ, नेशनल साइंस फाउंडेशन, कैलटेक के बायोइंजीनियरिंग सेंटर आदि द्वारा दी गई है।
Edited by: Ravindra Gupta