नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 104 पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि प्रदेश घृणा राजनीति, विभाजन और कट्टरता का केंद्र बन गया है और शासन के संस्थान सांप्रदायिक जहर में शामिल हो गए हैं।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला शामिल हैं। पत्र में धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने की मांग भी की गई है।
पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने आरोप लगाया है कि उत्तरप्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश का इस्तेमाल खासतौर पर उन भारतीय पुरुषों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है, जो मुस्लिम हैं और वे महिलाएं जो चयन करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का साहस दिखाती हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश में 27 नवंबर को जारी अध्यादेश में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया का उल्लेख है और अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाई गई है। भाजपा नीत मध्यप्रदेश सरकार ने भी इसी तरह का अध्यादेश जारी किया है। सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने 29 दिसंबर को लिखे पत्र में कहा कि यह पीड़ादायक लेकिन स्पष्ट है कि कभी गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए जाना जाने वाला उत्तरप्रदेश अब घृणा राजनीति, विभाजन और कट्टरता का केंद्र बन गया है और शासन के संस्थान भी सांप्रदायिक जहर में डूब गए हैं।
नौकरशाहों ने मुरादाबाद में हुए अंतरधार्मिक विवाह का भी उल्लेख किया जिसमें लड़का मुस्लिम और लड़की हिन्दू है। पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरान बोरवांकर ने भी इस पत्र में हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में लिखा गया है कि मुरादाबाद की घटना में 22 वर्षीय राशिद और उसके 25 वर्षीय भाई सलीम को गिरफ्तार किया गया और 2 सप्ताह बाद उनकी रिहाई तब संभव हुई, जब राशिद की पत्नी पिंकी ने यह बयान दर्ज कराया कि उसने अपनी मर्जी से बिना किसी दबाव के विवाह किया है।
इसमें कहा गया है कि दंपति ने जुलाई 2020 में विवाह किया था, जब अध्यादेश नहीं आया था। दंपति ने 5 दिसंबर को अपने विवाह का पंजीकरण कराया था। राशिद पर कथित तौर पर बजरंग दल के लोगों ने लव जिहाद का आरोप लगाया और पुलिस के पास ले गए।
पत्र के अनुसार शिकायतकर्ता पिंकी के परिवार को भी पुलिस थाने ले आए। पुलिस के सामने उन लोगों ने पिंकी, राशिद से पूछताछ की और उन्हें कथित तौर पर परेशान किया। राशिद के अनुसार पिंकी का गर्भपात हो गया जिसका कारण संभवत: उन्हें परेशान किया जाना था। पत्र में सवाल किया गया है क्या यह एक अजन्मे बच्चे की हत्या नहीं थी? और राज्य की पुलिस ने कुछ न करके क्या इसमें साथ नहीं दिया?
आगे पत्र में कहा गया आपके प्रशासन द्वारा उत्तरप्रदेश के युवा भारतीयों के खिलाफ किए गए जघन्य अत्याचारों की श्रृंखला में यह एक घटना है। पत्र में कहा गया कि आप अपने ही नागरिकों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर इस तरह बड़ा खतरा देश के लिए उत्पन्न नहीं कर सकते। संघर्ष केवल देश के दुश्मनों के हित ही साधेंगे। चाणक्य ने हमें बताया है कि कुटिल राजनीतिज्ञ विरोधियों में फूट के बीज बोते हैं। यहां आप अपने ही नागरिकों में फूट के बीच बो रहे हैं। (भाषा)