कोरोना संक्रमण के चलते लोगों का जीवन यापन मुश्किल हो गया है। कामकाज न होने की वजह से कमजोर वर्ग के लोग भूखे से परेशान है। 2021 लॉकडाउन में खाकी की अनोखी पहल सामने आई है। आमतौर पर कमजोर वर्ग कि डंडा देखकर छुप जाया करते थे, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू में मेरठ पुलिस गरीबों के लिए मसीहा बन गई है। मेरठ एसएसपी अजय सहानी की पहल पर मेरठ पुलिस कमजोर आय वर्ग के लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध करवा रही है।
गौरतलब है की पुलिस का दूसरा मानवीय पहलू ये भी सामने आया है कि यदि कोई व्यक्ति बीमार है या लॉकडाउन के चलते पुलिस तक पहुंचने में असमर्थ है तो वह पुलिस को फोन कर दें तो पुलिस कि पीसीआर 112 या फैंटम से तुरंत उस व्यक्ति के घर तक भोजन पहुंचा रही है।
पुलिस सुबह और शाम को लगभग रिक्शा चालक, ठेले-रेहड़ी वालों और सड़क पर रहकर जीवन व्यतीत करने वाले कई हजार लोगों की भूख मिटाने में जुटी है। इसके पीछे मेरठ पुलिस का मकसद है कि कोई भूखा न रहें, भूखा न सोये। इसलिए मेरठ थाना सदर, थाना कंकरखेड़ा और थाना परतापुर लगातार कैंप लगाकर और पीसीआर 112 के जरिए गरीब और जरूरत मंद लोगों को राशन और भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं। कोरोना महामारी के समय में जिस तरह से पुलिसवालों ने अपनी जिम्मेदारी को समझकर लोगों की मदद की है सभी तारीफ के काबिल हैं।
मेरठ थाना सदर बाजार के इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा और थाना कंकरखेड़ा इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर दिनरात मनोयोग से अपनी टीम के साथ गरीबों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं। इस क्षेत्र के बेगमपुल चौराहे पर वह रिक्शा चालक, भीख मांगने वाले, सड़कों पर रहकर जीवन यापन करने विले और कमजोर वर्ग के अन्य लोगों को सुबह और शाम पका भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं।
वहीं, जो लोग कैंप तक आने में सक्षम नहीं है, उन लोगों को कुछ मिनट के अंदर 112 के माध्यम से खाना मिल रहा हैं। खाना मिलने के बाद लोगों की खुशी का ठिकाना नही है। खाना प्राप्त करने वाले मुक्त कंठ से पुलिस की प्रशंसा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि लॉकडाउन में हम बीमार है, घर से बाहर जा नहीं सकते, रोजगार नही है, 30-40 रुपए की मजदूरी में जीवन यापन कैसे हो। ऐसे में हम पुलिस को फोन कर रहे है, पुलिस हमें खाना पहुंचा रही है, 112 या फैंटम आकर भोजन दे रही है।
गरीबों की भूख शांत करने में अपना योगदान देने वाले पुलिसकर्मी भी बेहद खुश है, लोगों को भोजन देकर वह संतुष्टि महसूस करते है। जैसे ही भोजन के लिए कहीं से सूचना आती है ये तुरंत खाना पैक करके उनके घर पहुंच जाते है। यही नहीं जहां कहीं सूखे राशन की जरूरत होती है, वहां मेरठ पुलिस एक महीने का राशन भी पहुंचा रही है। लेकिन इस लॉकडाउन में मदद लेने वाले कुछ लोग अपनी पहचान उजागर नही करना चाहते, पुलिस पूरी तरह गोपनीयता रख रही। लगभग एक थाना क्षेत्र में सुबह शाम 1000-1000 लोग भोजन खा रहे है। ऐसा भी नही की खाने की क्वालिटी खराब हो, नियमित अलग-अलग तरह का खाना लोगों को दिया जा रहा है।
इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा का कहना है कि जहां चाह होती है, वहां राह खुद निकल जाती है। कोरोना कर्फ्यू के चलते निम्न वर्ग के लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई। भूखे मरने की नौबत आ गई, ऐसे में एसएसपी के निर्देश पर हमने भोजन वितरण शुरू किया। एक-दो दिन थाने के सभी पुलिसकर्मियों ने अपने सहयोग से भोजन शिविर में योगदान दिया, जैसे-जैसे लोगों को पता चला तो वह खुद सहयोग के लिए हमारे पास आएं।
पिछले 15 दिनों से हमारा स्टाफ लोगों की सेवा में लगा हुआ है, जब तक लॉकडाउन रहेगा, तब तक भोजन शिविर भी चलेगा। वास्तव में पुलिस की यह मुहिम काबिल के लायक है। जहां पुलिस की छवि डंडा फटकारने वाली जनमानस में बनी हुई थी, अब मानवीयता की मिसाल भी पेश कर रही है।