Corona कर्फ्यू के दौरान UP में अपहरण की घटनाओं में वृद्धि विपक्ष के लिए बन सकता है चुनावी हथियार

अवनीश कुमार
सोमवार, 7 जून 2021 (14:03 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में कोरोना कर्फ्यू के दौरान जहां सरकार कोरोना संक्रमण से लड़ रही थी तो वहीं प्रदेश में दूसरी तरफ अपराध भी तेजी के साथ बढ़ रहा था। अगर सूत्रों से मिले सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तरप्रदेश में कोरोना कर्फ्यू 2021 के दौरान अपहरण, रेप, डकैती और लूट के मामले में बढ़ोतरी देखने को मिली है। प्रदेश में अपराध में तेजी से बढ़ोतरी को लेकर जानकारों का मानना है कि पंचायत चुनाव और कोरोना के चलते बढ़ी बेरोजगारी की वजह से अपराध की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

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आंकड़ों के मुताबिक उत्तरप्रदेश में 2020 में कोरोना के दौरान अपहरण के 11 मामले सामने आए थे जबकि इस बार 2021 में ये मामले बढ़कर 18 हो गए, जो कि पिछले साल की तुलना में 63.64 फीसदी ज्यादा हैं। उत्तरप्रदेश में अगर डकैती की बात करें तो 2020 में कोरोना के दौरान कुल 27 मामले थे जबकि 2021 में 29 हो गए, जो कि 7.41 फीसदी बढ़े हैं।

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उत्तरप्रदेश में 2020 में कोरोना के दौरान बलात्कार के 717 मामले दर्ज हुए थे और 2021 में बढ़कर 787 हो गए। इस दौरान रेप के मामलों में 9.76 फीसदी का इजाफा हुआ है। उत्तरप्रदेश में 2020 में कोरोना के दौरान लूट के 467 मामले दर्ज हुए थे, जो 2021 में बढ़कर 470 हो गए। लेकिन कोरोना के दौरान हत्या के आंकड़ों में 2.84 फीसदी, चोरी में 8.31 फीसदी, बलवा में 12.21 फीसदी, दहेज हत्या में 12.21 फीसदी और कुल अपराधों में 1.96 फीसदी की कमी आई है।
 
कोरोना संकट के दौरान वर्ष 2021 के शुरुआती साढ़े 4 महीनों में अपहरण, बलात्कार और डकैती जैसे कुछ अन्य जघन्य अपराधों में बढ़ोतरी चिंता का करण उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के लिए बन सकती है। चुनावी वर्ष में इस तरह के अपराधों में हो रही बढ़ोतरी पर समय रहते काबू न पाया गया तो यह राज्य में योगी सरकार को भी मुश्किल में डाल सकती है और कोरोना काल में बड़ा अपराध विपक्ष के लिए योगी सरकार पर हमला बोलने का मजबूत हथियार बन सकता है।
 
क्या बोले जानकार? : उत्तरप्रदेश में लगभग 20 वर्षों से सम्मानित समाचार पत्र से जुड़े अतुल कुमार बताते हैं कि कोरोना काल में 63 फीसदी बढ़ोतरी अपहरण के मामलों में चिंता का विषय है और इसके पीछे की मुख्य वजह बेरोजगारी को आप मान सकते हैं। लेकिन सरकार पर भी सवाल खड़े होना बिलकुल तय है। कहीं-न-कहीं अपहरण की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली गईं लेकिन पुलिस का नेटवर्क अपहरण की घटनाओं को रोकने में कामयाब नहीं हो सका। इसके पीछे क्या कारण है, इस पर कुछ कहा जाना अभी ठीक नहीं है लेकिन विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा चुनावी समर के दौरान बन सकता है जिसका जवाब योगी सरकार के पास नहीं होगा। इसकी जिम्मेदार सीधे तौर पर योगी सरकार की पुलिस ही होगी।

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